ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर बैन लगाया

ऑस्ट्रेलिया सोलह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बन गया है. ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा पारित इस क़ानून का उद्देश्य युवाओं को ऑनलाइन गतिविधियों से मानसिक स्वास्थ्य को होने वाले संभावित नुकसान से बचाना है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया मंच पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बन गया है. ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा पारित इस ऐतिहासिक कानून का उद्देश्य युवाओं को ऑनलाइन गतिविधियों से मानसिक स्वास्थ्य को होने वाले संभावित नुकसान से बचाना है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, आस्ट्रेलियाई सीनेट ने गुरुवार (28 नवंबर) को इस विधेयक को 19 के मुकाबले 34 मतों से पारित कर दिया. इससे पहले प्रतिनिधि सभा ने बुधवार (27 नवंबर) को 13 के मुकाबले 102 मतों से इस कानून को मंजूरी दे दी थी.

इस संबंध में प्रधान मंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने कहा कि ये कानून ऑनलाइन गतिविधियों से होने वाले नुकसान से चिंतितअभिभावकों का समर्थन करता है.

अल्बानीज़ ने संवाददाताओं से आगे कहा, ‘अब ऐसे मंचों पर यह सुनिश्चित करने की सामाजिक ज़िम्मेदारी है कि हमारे बच्चों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है.’

ऑस्ट्रेलिया के सोशल मीडिया कानून के प्रमुख प्रावधान:

आयु सत्यापन: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कम उम्र के यूजर्स को उनकी सेवाओं तक पहुंचने से रोकने के लिए जिम्मेदार होंगे.

सख्त दंड: जो कंपनियां आयु सत्यापन जरूरतों का पालन करने में असफल रहती हैं, उन्हें 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक के भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है.

छूट: मैसेजिंग ऐप्स, ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म और शैक्षणिक सेवाओं को इस प्रतिबंध से छूट दी जाएगी.

फेसबुक, टिकटॉक अन्य ने कार्यान्वयन पर चिंता जताई

मालूम हो कि इस कानून में नियमों का उल्लंघन करने वाले युवाओं या अभिभावकों के लिए कोई दंड नहीं है. सोशल मीडिया कंपनियां भी यूजर्स को उनकी उम्र का आकलन करने के लिए डिजिटल आईडी सहित सरकारी पहचान प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगी.

सोशल मीडिया मंचों के पास इस बात पर विचार करने के लिए एक साल का समय है कि वे प्रतिबंध को कैसे लागू कर सकते हैं.

मेटा प्लेटफ़ॉर्म, जो फेसबुक और इंस्टाग्राम का मालिक है, ने कहा कि इस कानून को ‘जल्दबाजी’ में लाया गया है.

ज्ञात हो कि इस कानून को लेकर कई सोशल मीडिया मंचों ने शिकायत की थी कि ये अव्यवहारिक होगा. मेटा ने सीनेट से कम से कम जून 2025 तक इंतज़ार करने का आग्रह किया था, जब सरकार द्वारा आयु आकलन टेक्नोलॉजी का मूल्यांकन यह साफ़ करेगा कि छोटे बच्चों को कैसे बाहर रखा जा सकता है.

मेटा ने कहा,  ‘स्वाभाविक रूप से हम ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा तय किए गए कानूनों का सम्मान करते हैं. हालांकि, हम उस प्रक्रिया के बारे में चिंतित हैं, जिसने सबूतों पर उचित विचार किए बिना कानून को जल्दबाजी में पारित कर दिया.’

वहीं, स्नैपचैट ने एक बयान में कहा, ‘हालांकि, इस कानून को व्यवहार में कैसे लागू किया जाएगा, इसके बारे में कई सवाल हैं, जिनका जवाब नहीं हैं, हम गोपनीयता को संतुलित करने वाले दृष्टिकोण को विकसित करने में मदद करने के लिए 12 महीने की कार्यान्वयन अवधि के दौरान सरकार और ईसेफ्टी कमिश्नर के साथ मिलकर काम करेंगे. सुरक्षा और व्यावहारिकता के साथ हमेशा की तरह स्नैप ऑस्ट्रेलिया में सभी लागू कानूनों और विनियमों का अनुपालन करेगा.’