नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार (29 नवंबर) को कहा कि भारतीय अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप निजी फर्मों और अमेरिकी सरकार के बीच का कानूनी मामला है. साथ ही कहा कि अमेरिका से अब तक समन के लिए कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ है.
पिछले हफ़्ते सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) और न्यूयॉर्क के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने गौतम अडानी पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के मामले अभियोग लाया था. इसे 250 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी का मामला बताया जा रहा है.
अडानी समूह ने आरोपों को ‘निराधार’ बताते हुए इसका खंडन किया है.
न्यूयॉर्क के एक जिला न्यायाधीश ने गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी को 21 नवंबर को समन जारी कर एसईसी द्वारा लगाए गए आरोपों का 21 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा.समन उनके अहमदाबाद के पते पर भेजा गया है.
पहली बार आधिकारिक तौर पर टिप्पणी करते हुए, केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने संकेत दिया कि इस स्तर पर नई दिल्ली के हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार (29 नवंबर) को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, ‘यह निजी फर्मों और व्यक्तियों तथा अमेरिकी न्याय विभाग से जुड़ा एक कानूनी मामला है. ऐसे मामलों में स्थापित प्रक्रियाएं और कानूनी रास्ते हैं, जिनका हमें विश्वास है कि पालन किया जाएगा.’
उन्होंने कहा कि भारत सरकार को ‘इस मुद्दे को लेकर पहले से सूचित नहीं किया गया था.’
अडानी को समन भेजे जाने की खबरों के बारे में उन्होंने कहा, ‘किसी विदेशी सरकार द्वारा समन/गिरफ्तारी वारंट की तामील के लिए किया गया कोई भी अनुरोध आपसी कानूनी सहायता का हिस्सा है. ऐसे अनुरोधों की योग्यता के आधार पर जांच की जाती है. हमें इस मामले में अमेरिका की ओर से कोई अनुरोध नहीं मिला है.’
विपक्ष मौजूदा संसद सत्र के दौरान अडानी के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों पर चर्चा की मांग कर रहा है, लेकिन इन मांगों को अस्वीकार कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप बार–बार संसद की कार्रवाई स्थगित हो रही है.