प्रधानमंत्री मोदी की पाकिस्तान के साथ मिलकर साज़िश संबंधी कथित टिप्पणी पर गतिरोध जारी. दोनों सदनों में कांग्रेस मोदी के माफ़ी मांगने तक अड़ी.
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित टिप्पणी को लेकर माफी की मांग कर रहे कांग्रेस के सांसदों ने गुरुवार को भी संसद के दोनों सदानों में हंगामा किया जिससे सदन नहीं चल पाया. संसद सत्र शुरू होने के बाद यह पांचवां कार्यदिवस है, जब संसद बाधित रही और दोनों सदनों में कामकाज नहीं हो पाया.
कांग्रेस सदस्यों ने गुरुवार को लोकसभा में नारेबाजी की और अपनी बात रखने की अनुमति नहीं दिए जाने पर सदन से वाकआउट किया. दूसरी ओर राज्यसभा में मनमोहन सिंह के बारे में नरेंद्र मोदी की कथित टिप्पणी और 2-जी घोटाला मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के अदालत के फैसले को लेकर सत्ता पक्ष से स्पष्टीकरण की मांग कर रहे कांग्रेस सदस्यों के भारी हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक शुरू होने के करीब बीस मिनट बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने टिप्पणी की थी कि मणिशंकर अय्यर के घर पर पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ डिनर के दौरान गुजरात चुनाव को लेकर साजिश की गई. इस डिनर में मनमोहन सिंह, पूर्व सेना प्रमुख दीपक कपूर, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी समेत कई नेता और अधिकारी उपस्थित थे. कांग्रेस इस टिप्पणी के लिए संसद में प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण की मांग कर रही है.
लोकसभा में सुबह सदन की बैठक शुरू होते ही कांग्रेस सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे. वे मुद्दे पर प्रधानमंत्री से माफी की मांग कर रहे थे. हंगामे के बीच ही स्पीकर सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल चलाया.
इस दौरान कांग्रेस के सदस्य आसन के समीप आकर नारे लगा रहे थे और आसन से पूर्व प्रधानमंत्री सिंह के खिलाफ की गई कथित टिप्पणी के संबंध में बोलने की अनुमति मांग रहे थे.
हालांकि अध्यक्ष ने उनसे अपनी सीटों पर जाने का आग्रह किया और स्पष्ट किया, मैं आपको अनुमति नहीं दूंगी. आम सभाओं और चुनावी सभाओं के मुद्दे पर बात रखने की अनुमति नहीं दूंगी.
इस बीच कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को जोर जोर से यह कहते सुना गया, आपको हमारी बात सुननी होगी. सरकार यह तय नहीं करेगी कि क्या सुना जाए. अध्यक्ष ने नारेबाजी और हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल चलाया.
शून्यकाल शुरू होने पर भी कांग्रेस सदस्य नारेबाजी करते रहे और अपनी बात रखने की अनुमति मांगते रहे. वे चाह रहे थे कि उक्त मुद्दे पर सदन में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को बात रखने की अनुमति दी जाए.
खड़गे ने अपने स्थान पर खड़े होकर कुछ कहना भी चाहा लेकिन अनुमति नहीं मिलने के बाद कांग्रेस के सदस्यों ने शून्यकाल के दौरान ही सदन से वाकआउट किया.
राज्यसभा में मांगा स्पष्टीकरण, कार्यवाही स्थगित
मनमोहन सिंह के बारे में नरेंद्र मोदी की कथित टिप्पणी और 2-जी घोटाला मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के अदालत के फैसले को लेकर सत्ता पक्ष से स्पष्टीकरण की मांग कर रहे कांग्रेस सदस्यों के भारी हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक गुरुवार को शुरू होने के करीब बीस मिनट बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. इसके बाद सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि करीब एक सप्ताह से कांग्रेस सदस्य मांग कर रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी सदन में आएं और गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ की गई अपनी कथित टिप्पणी पर स्पष्टीकरण दें. आज प्रश्नकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रश्न हैं.
उन्होंने कहा कि आज और कुछ ऐसा हुआ है जिसे लेकर भी पार्टी और विपक्ष को स्पष्टीकरण चाहिए. उन्होंने कहा आज उस मामले में फैसला आया है जिस मामले को लेकर हम विपक्ष में और आप राजग विपक्ष से सत्ता में आए. आज टूजी मामले में अदालत का फैसला आया जिसमें सभी आरोपी बरी कर दिए गए. इससे साबित होता है कि आपने एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये के टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले का जो आरोप लगाया था, वह गलत था.
इस बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि इस सदन में कोई ऐसी बात नहीं हुई है जिस पर स्पष्टीकरण देना पड़े. बहुत सारा सरकारी कामकाज रुका हुआ है इसलिए सदन की कार्यवाही चलने देना चाहिए.
आजाद ने कहा क्या यह आरोप नहीं है कि मनमोहन सिंह पाकिस्तान के साथ षड्यंत्र कर रहे थे उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पर लगाए गए इस आरोप पर स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि टूजी घोटाला मामले में भी आपके सााधारी दल के आरोप गलत साबित हुए हैं. सभापति एम वेंकैया नायडू ने आजाद को यह मुद्दा उठाने से रोकते हुए कहा आपने इसके लिए कोई नोटिस नहीं दिया है इसलिए मैं आपको यह मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दूंगा.
सदन के बाहर के मुद्दे यहां न उठाएं
इस बीच कांग्रेस सदस्य आसन के समक्ष आकर सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ नारे लगाने लगे. नायडू ने तल्खी भरे शब्दों में आजाद से उनकी पार्टी के सदस्यों को वापस बुलाने के लिए कहा.
उन्होंने कहा लोकतंत्र का मतलब शोर करना नहीं होता बल्कि नियमों के अनुसार काम करना होता है. जिस विषय को उठाने की अनुमति नहीं दी गई है, उसे नहीं उठाएं. अगर सदन में कोई गंभीर बात हुई है तो उसे उठाया जाना चाहिए. सदन के बाहर के मुद्दे यहां न उठाएं.
नायडू ने अपनी बात के समर्थन में पूर्व सभापति शंकरदयाल शर्मा द्वारा दी गई व्यवस्था का भी उल्लेख किया. उन्होंने यह भी कहा यह चलन हो गया है कि विभिन्न मुद्दे उठाने के वास्ते कामकाज निलंबित करने के लिए नियम 267 के तहत कई नोटिस दे दिए जाते हैं.
आसन के समक्ष नारे लगा रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने की अपील करते हुए नायडू ने कहा यह भाजपा कांग्रेस का मसला नहीं है. यह सदन है. यहां प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और किसी राजनीतिक दल का नाम लेना ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा कि सदन में मौजूद सदस्यों की तीन चौथाई संख्या चाहती है कि सदन चले. लेकिन आप सदन नहीं चलने देना चाहते. मैंने विषय की गंभीरता को देखते हुए आपसे, विपक्ष के नेता और सदन के नेता से बात कर बीच का रास्ता निकालने का सुझाव दिया था. आपको यह स्वीकार नहीं है तो कोई क्या कर सकता है.
आजाद ने नारे लगा रहे सदस्यों को अपने स्थानों पर जाने के लिए कहा. इसके बाद सदस्य लौट गए लेकिन अपने स्थानों से ही वह स्पष्टीकरण की मांग करते रहे. नायडू ने शून्यकाल के तहत मुद्दे उठाए जाने के लिए सूचीबद्ध नाम पुकारे. पहला नाम कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का था लेकिन तिवारी ने अपना मुद्दा उठाने से मना कर दिया. तब अगला नाम नायडू ने सपा के रामगोपाल यादव का लिया. यादव ने अपना मुद्दा उठाना शुरू किया लेकिन हंगामे की वजह से उनकी बात सुनी नहीं जा सकी.
इसी दौरान कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कुछ कहना शुरू किया. नायडू ने उन्हें बैठने और सदन की कार्यवाही चलने देने को कहा. लेकिन शर्मा बोलते रहे. तब नायडू ने कहा आसन की अवज्ञा करना सही नहीं है. यह पद्धति नहीं है.
प्रधानमंत्री के माफी मांगने तक बीच के रास्ते का कोई सवाल ही नहीं: रेणुका चौधरी
मनमोहन सिंह के खिलाफ प्रधानमंत्री की कथित टिप्पणी को लेकर संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित होने के बीच कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी ने बुधवार को कहा कि जब तक प्रधानमंत्री अपनी टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांग लेते, तब तक बीच के रास्ते का कोई सवाल ही नहीं है.
शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को लेकर दोनों सदनों की कार्यवाही अभी तक बार बार बाधित हुई है. इसी मुद्दे पर बुधवार को तीसरे दिन भी लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाहियां बाधित रहीं. प्रधानमंत्री मोदी ने यह टिप्पणी गुजरात चुनाव में एक रैली के दौरान कथित तौर पर की थी.
रेणुका ने संवाददाताओं से कहा, बीच के रास्ते का सवाल ही नहीं है… देश के प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया है कि पूर्व प्रधानमंत्री ने देश के खिलाफ कदम उठाया और वह भी शत्रु देश के साथ. क्या आपको नहीं लगता कि इस मुद्दे पर माफी मांगी जानी चाहिए. उनसे पूछा गया था कि संसद के दोनों सदनों में गतिरोध समाप्त करने के लिए क्या कोई बीच का रास्ता निकल सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)