नई दिल्ली: अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने अंततः 30 नवंबर को अपने और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अमेरिका में लगे रिश्वतखोरी के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने आरोपों से लड़ने और नियमों के पालन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर में एक पुरस्कार समारोह में अडानी ने कहा कि ये आरोप समूह के लिए एक और बाधा है जिसे पार करना है. अडानी का बयान ऐसे समय में आया है जब 265 मिलियन डॉलर के कथित रिश्वतकांड ने भारत और उसके बाहर बड़ा राजनीतिक और आर्थिक विवाद पैदा कर दिया है.
अडानी ने कहा, ‘हमें अडानी ग्रीन एनर्जी में अनुपालन नियमों के बारे में अमेरिका से आरोपों का सामना करना पड़ा. यह पहली बार नहीं है जब हमें ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.’
ज्ञात हो कि पिछले हफ्ते अमेरिकी न्याय विभाग और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने अडानी पर भारत में सौर ऊर्जा अनुबंधों को हासिल करने के लिए साल 2020 से 2024 के बीच 265 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी मामले में व्यक्तिगत रूप से शामिल होने का आरोप लगाया था. अनुमान है कि उन अनुबंधों से अडानी ग्रुप को 20 सालों में 2 अरब डॉलर का मुनाफा हो सकता है.
अमेरिकी अभियोग में आरोप लगाया गया है कि अडानी के अधिकारियों, जिनमें स्वयं अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अडानी ग्रीन के प्रबंध निदेशक विनीत जैन शामिल थे, ने बिजली अनुबंधों के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने और अमेरिकी निवेशकों को गुमराह करने की योजना बनाई थी.
हालांकि, अडानी ग्रीन एनर्जी ने पहले स्पष्ट किया था कि तीनों अधिकारियों के खिलाफ आरोप प्रतिभूतियों और वायर धोखाधड़ी से संबंधित हैं, न कि विशेष रूप से विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (जो सीधे विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने) के उल्लंघन से से संबंधित है.
अडानी ने कहा, ‘मैं आपको यह बता सकता हूं कि हर हमला हमें मजबूत बनाता है और हर बाधा एक अधिक लचीले अडानी समूह के लिए एक कदम बन जाती है. आज की दुनिया में नकारात्मकता तथ्यों की तुलना में तेजी से फैलती है, और जैसा कि हम कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से काम करते हैं, मैं विश्व स्तरीय नियामक अनुपालन के लिए हमारी पूर्ण प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि करना चाहता हूं.’
अडानी मामले को लेकर पिछले हफ़्ते संसदीय कार्यवाही पूरी तरह से ठप्प रही. विपक्षी दलों ने अडानी मामले पर चर्चा की मांग की, जिससे सत्ताधारी दल से टकराव हुआ, जिसके कारण लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बार-बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. सत्ताधारी दल ने विपक्ष पर जानबूझकर विधायी कामकाज में बाधा डालने का आरोप लगाया.
राजनीतिक क्षेत्र से परे इस घोटाले का अडानी समूह पर पहले से ही महत्वपूर्ण व्यावसायिक प्रभाव पड़ा है. एक भारतीय राज्य वर्तमान में समूह के साथ एक बिजली सौदे की समीक्षा कर रहा है और फ्रांसीसी ऊर्जा दिग्गज टोटलएनर्जीज ने समूह में अपने निवेश को रोक दिया है. केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने अडानी समूह के साथ सभी सौदों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की घोषणा की थी, जिसमें जोमो केन्याटा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का ‘विवादास्पद’ अधिग्रहण भी शामिल था.
हालांकि, कुछ भागीदारों ने अडानी में निरंतर विश्वास व्यक्त किया है. इन आरोपों के कारण अडानी समूह की कंपनियों के बाजार मूल्य को अरबों का नुकसान हुआ है, जिससे उनके भविष्य को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गई है.
इस बीच, केंद्र सरकार ने कहा है कि उसे इस मामले के संबंध में अमेरिका से कोई आधिकारिक संदेश नहीं मिला है.