उत्तरकाशी की मस्जिद के ख़िलाफ़ हिंदुत्व समूहों की महापंचायत, ‘लव-लैंड जिहाद’ से लड़ने का आह्वान

उत्तरकाशी में रविवार को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच दक्षिणपंथी समूहों द्वारा आयोजित महापंचायत में शहर में दशकों पुरानी मस्जिद के ख़िलाफ़ जिले भर में विरोध प्रदर्शन की योजना की घोषणा की गई, साथ ही 'लैंड जिहाद' से निपटने के लिए 'बुलडोज़र' के इस्तेमाल की सलाह दी गई.

उत्तरकाशी में आयोजित हिंदू महापंचायत. (फोटो साभार: फेसबुक/ Suresh Singh Chauhan)

नई दिल्ली: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रविवार को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा आयोजित महापंचायत हुई, जिसके दौरान उत्तराखंड के शहर में दशकों पुरानी मस्जिद के खिलाफ जिले भर में विरोध प्रदर्शन की योजना की घोषणा की गई, जिसके बारे में उनका दावा है कि इसे अवैध रूप से बनाया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महापंचायत में वक्ताओं ने हिंदुओं से एकजुट होकर ‘लव जिहाद और भूमि जिहाद’ के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया और राज्य में हो रहे जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर चिंता जताई.

महापंचायत का आयोजन उत्तरकाशी जिला प्रशासन द्वारा हरी झंडी दिए जाने के बाद किया गया, हालांकि कुछ दिन पहले उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि इस आयोजन के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है. मामले पर अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होनी है.

महापंचायत की अनुमति कई शर्तों के साथ दी गई थी, जिसमें नफरत फैलाने वाले भाषण न देना, रैलियां न निकालना, यातायात में बाधा न डालना, धार्मिक भावनाएं न भड़काना और शांति बनाए रखना शामिल है.

आयोजकों ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान सभी नियमों का पालन किया गया.

महापंचायत में तेलंगाना के भाजपा विधायक टी. राजा सिंह भी शामिल हुए, जो सांप्रदायिक बयान देने को लेकर विवादों में रहे हैं. राजा सिंह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आग्रह किया कि वे ‘भूमि जिहाद’ से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रेरणा लें. सिंह ने सुझाव दिया कि धामी इस मुद्दे को हल करने के लिए ‘बुलडोजर का इस्तेमाल करने’ पर विचार करें.

सिंह ने कहा, ‘मुख्यमंत्री धामी को योगी आदित्यनाथ के साथ चाय पर चर्चा करनी चाहिए. जिस तरह योगी जी उत्तर प्रदेश में ‘भूमि जिहादियों’ को सबक सिखाते हैं, उसी तरह धामी को भी बुलडोजर चलाना चाहिए. हम उत्तराखंड में जिहादियों को भूमि जिहाद में शामिल नहीं होने देंगे. देश भर के हिंदू उत्तराखंड के लोगों से एक उदाहरण पेश करने की उम्मीद कर रहे हैं.’

उन्होंने हिंदुओं से इस मुद्दे के खिलाफ एकजुट होने की अपील की.

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रदेश अध्यक्ष अनुज वालिया ने मस्जिद के खिलाफ़ पूरे जिले में विरोध प्रदर्शन और एक महीने में उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में एक और महापंचायत की योजना की घोषणा की, जिसमें उत्तराखंड भर से हिंदू कार्यकर्ताओं की भागीदारी का आह्वान किया गया.

वालिया ने कहा, ‘यह हमारे संघर्ष की शुरुआत है. हम उनकी भाषा में जवाब देंगे और उत्तराखंड से इन ताकतों को उखाड़ फेंकेंगे.’

इस अवसर पर गंगोत्री विधायक सुरेश सिंह चौहान ने भी उत्तरकाशी में मांस और शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने की वकालत की, उनका कहना था कि इससे शहर के धार्मिक चरित्र को संरक्षित किया जा सकेगा.

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग इस धार्मिक शहर के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे. उत्तरकाशी में कई महत्वपूर्ण मंदिर हैं और यह हमारी आस्था का केंद्र है. इसे एक सच्चा धार्मिक शहर बना रहना चाहिए. यहां मांस, अंडे या शराब की दुकानें नहीं होंगी.’

उन्होंने कहा कि जो लोग लंबे समय से शहर में रह रहे हैं और स्थानीय भावनाओं का सम्मान करते हैं, उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है.

उत्तरकाशी में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अखबार को बताया कि उन्हें इस तरह की महापंचायत से कोई परेशानी नहीं है, बशर्ते कि कोई नफरत फैलाने वाली बात, उकसावे या हिंसा न हो. नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले इन निवासियों ने कहा कि समुदाय अपने अधिकारों और मस्जिद के लिए कानूनी लड़ाई जारी रखेगा, जिसका निर्माण कानूनी तौर पर किया गया है.

रविवार की महापंचायत की योजना को शुरू में अनुमति नहीं दी गई थी, उत्तरकाशी के तत्कालीन एसपी अमित श्रीवास्तव ने बुधवार को बताया था कि इसे सार्वजनिक स्थान पर आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. हालांकि, श्रीवास्तव का उसी दिन तबादला कर दिया गया.

24 नवंबर को महापंचायत को रोकने और क्षेत्र में पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य को मस्जिद के आसपास कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था.

याचिकाकर्ता अल्पसंख्यक सेवा समिति के अध्यक्ष मुशर्रफ अली और इस्तियाक अहमद ने मस्जिद और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर धमकियां देने और नफरत फैलाने वाले अभियान चलाने का आरोप लगाया था. उनके अनुसार, 1969 में खरीदी गई ज़मीन पर बनी और 1987 में वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत मस्जिद पर कुछ समूहों की ओर से अवैधता के निराधार आरोप लगाए गए थे.

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि 27 अगस्त को जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय ने आरटीआई अधिनियम के तहत गलत जानकारी दी, जिसमें कहा गया कि मस्जिद के नाम पर कोई नजूल, फ्रीहोल्ड या लीज वाली संपत्ति दर्ज नहीं है. उन्होंने दावा किया कि 6 सितंबर को उत्तरकाशी में एक रैली आयोजित की गई थी, जिसमें मस्जिद के सरकारी जमीन पर होने की गलत सूचना फैलाई गई थी.

संयुक्त सनातन धर्म रक्षा संघ और विहिप जैसे समूहों से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने मस्जिद को गिराए जाने की मांग की तथा ऐसे भाषण दिए जिन्हें याचिकाकर्ताओं ने हेट स्पीच बताया.

गौरतलब है कि यह विवाद सितंबर में शुरू हुआ, जब संयुक्त सनातन धर्म रक्षा संघ और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े होने का दावा करने वाले कुछ लोगों ने कथित तौर पर मस्जिद को ध्वस्त करने की धमकी दी. इससे शहर में तनाव पैदा हो गया, जो अंततः पथराव और तोड़फोड़ में परिणत हुआ.

विभिन्न समूहों के गठबंधन संयुक्त सनातन धर्म रक्षा संघ ने 9 सितंबर को डीएम मेहरबान सिंह बिष्ट को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें दावा किया गया कि मस्जिद राजस्व रिकॉर्ड में सूचीबद्ध नहीं है और इसे ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए.

जवाब में डीएम ने दावों की जांच के लिए एसडीएम भटवारी के नेतृत्व में एक समिति गठित की. समिति ने पाया कि मस्जिद कानूनी रूप से बनाई गई थी और उसने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण नहीं किया था. हालांकि, संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ ने समिति के निष्कर्षों को खारिज कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि मस्जिद अवैध थी और उसे गिरा दिया जाना चाहिए.

24 अक्टूबर को मस्जिद के खिलाफ एक विरोध रैली के दौरान हाथापाई और पथराव में पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो हुए थे.