जम्मू: मेघा इंजीनियरिंग के विरोध के बीच भाजपा विधायक ने कहा- ईस्ट इंडिया कंपनी के रास्ते पर

जम्मू से भाजपा विधायक शगुन परिहार का आरोप है कि मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड किश्तवाड़ में बिजली परियोजना को लेकर 'ईस्ट इंडिया कंपनी' की तरह काम कर रही है. जम्मू-कश्मीर सरकार पहले ही कंपनी पर पर्यावरण संबंधी गंभीर ख़तरे पैदा करने के आरोप लगा चुकी है.

रlले हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट की साइट. (फोटो साभार: आरएचपीसीएल वेबसाइट)

श्रीनगर: तेलंगाना की मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) कंपनी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक विधायक शगुन परिहार ने आरोप लगाया है कि ये किश्तवाड़ में 5,281 करोड़ रुपये की रतले बिजली परियोजना के काम को क्रियान्वित करते समय ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के रास्ते पर चल रही थी.

स्थानीय लोगों और श्रमिकों की हड़ताल और विरोध प्रदर्शनों के कारण ये काम फिलहाल रुका हुआ है.

मालूम हो कि विधायक का ये आरोप ऐसे समय में सामने आया है, जब जम्मू-कश्मीर सरकार पहले ही इस निर्माण कंपनी पर ‘अवैज्ञानिक तरीके से विस्फोट, ड्रिलिंग, मलबा निपटान और वाहनों की आवाजाही’ को लेकर पर्यावरण संबंधी गंभीर खतरा पैदा करने के आरोप लगा चुकी है. सरकार का कहना है कि इससे पर्यावरण-नाज़ुक क्षेत्र के ‘वनस्पति-जीव और पारिस्थितिकी तंत्र’ अपूरणीय क्षति हुई है.

इस 850 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना के मई 2026 तक चालू होने की उम्मीद है. हालांकि इसके आसपास रहने वाले स्थानीयों ने एमईआईएल पर अनुबंध में निर्धारित शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है, जिससे कथित तौर पर उनके घरों और दुकानों जैसी संपत्तियों को नुकसान हुआ है. अवैज्ञानिक विस्फोट और कचरे के डंपिंग के कारण श्वसन और अन्य बीमारियों में भी वृद्धि हुई है.

‘क्या उन्होंने कोई पार्क या अस्पताल बनाया है?’

सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो में किश्तवाड़ से विधानसभा की नवनिर्वाचित सदस्य शगुन परिहार को पिछले सप्ताह शाम के विरोध प्रदर्शन के दौरान किश्तवाड़ के द्रबशल्ला गांव में पीड़ित स्थानीय लोगों के एक समूह को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि एमईआईएल कथित रूप से विकास कार्यों को पूरा करने में विफल हो गई है. इसके साथ ही अनुबंध के हिस्से के रूप में स्थानीय लोगों को भी परियोजना में शामिल नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘यह परियोजना स्थानीय लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए है, न कि उन्हें परेशान करने के लिए. कंपनी ने यहां के लोगों के भले के लिए क्या किया है? क्या उन्होंने कोई पार्क या अस्पताल बनाया है? हम यहां ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ की तरह काम करने की उनकी प्रवृत्ति को अनुमति नहीं देंगे. यदि निवासी यहां डंपिंग यार्ड नहीं चाहते हैं, तो हम इसे किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर देंगे.’

एक महिला प्रदर्शनकारी को भाजपा विधायक से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि परियोजना के निर्माण में भारी विस्फोट के कारण उनके घरों और दुकानों में दरारें आ गई हैं. जैसा कि द वायर ने पहले रिपोर्ट किया था कि ब्लास्टिंग से आसमान में धूल का गुबार उड़ता है, जिससे परियोजना के आसपास रहने वाले लोगों के बीच स्वास्थ्य संकट पैदा हो गया है.

एक महिला प्रदर्शनकारी को भाजपा विधायक से यह कहते हुए भी सुना जा सकता है, ‘जब भारी मशीनें सड़कों पर चलती हैं तो ऐसा लगता है जैसे भूकंप आ गया हो. किसी को हमारी बात सुनने की परवाह नहीं है. हम इस प्रोजेक्ट से तंग आ चुके हैं और जब हम अपनी आवाज उठाने की कोशिश करते हैं तो महिला पुलिसकर्मी हमें धमकाती हैं. हमने क्या गलत किया है? क्या हमने किसी को मारा? अगर सरकार चाहेगी तो हम अपना घर छोड़ देंगे.’

‘राजनीतिक सिफ़ारिशें’

वहीं, इस वीडियो में रतले परियोजना के एमईआईएल प्रबंधक हरपाल सिंह को विधायक से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ये डंपिंग साइट सरकार द्वारा कंपनी को आवंटित की गई है और परियोजना में 1,700 से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार दिया गया है.

वे कहते हैं, ‘अगर सरकार चाहे तो हम इसे बंद कर देंगे, हमने आपकी (राजनीतिक) सिफारिशों पर इस परियोजना में लोगों को रोजगार दिया है.’

बिजली परियोजना में स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए राजनीतिक सिफारिशों को लेकर सिंह की टिप्पणी के बारे में स्पष्टीकरण के लिए द वायर का सिंह से संपर्क नहीं हो सका. द वायर इस संबंध में एमईआईएल अधिकारियों से भी संपर्क नहीं कर सका.

वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक स्थानीय नेता मोहिंदर कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि 2022 में जब से इस परियोजना पर काम शुरू हुआ है, तब से केवल सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों को ही नौकरियां दी गई हैं.

उन्होंने द वायर से कहा, ‘यह एक बड़ा घोटाला है जिसकी सरकार को जांच करनी चाहिए.’

चेतावनियां और नोटिस

रतले बिजली परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति (जेकेपीसीसी) द्वारा एमईआईएल को कारण बताओ जारी करने के कुछ दिनों बाद हुआ था, जिसमें कथित तौर पर निर्माण मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू करने की चेतावनी दी गई थी.

एमईआईएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को जारी नोटिस में कहा गया है, ‘आपको 15 दिनों के भीतर यह बताने का निर्देश दिया जाता है कि पर्यावरण मंजूरी की शर्तों का उल्लंघन करने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रदूषणकर्ता भुगतान सिद्धांत के आधार पर और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार पर्यावरणीय मुआवजा क्यों नहीं दिया जाना चाहिए.’

जेकेपीसीसी समिति ने यह भी पाया कि खुले विस्फोट के कारण द्रबशल्ला में वायु और ध्वनि प्रदूषण हुआ, जबकि कंपनी पर्यावरण और शोर उत्पादन की निरंतर निगरानी के लिए मीटर लगाने में भी विफल रही, जो पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी पर्यावरण मंजूरी की शर्तों का उल्लंघन था.

जेकेपीसीसी का नोटिस पिछले महीने द्रबशल्ला और आसपास के अन्य क्षेत्रों के स्थानीय लोगों द्वारा स्थानीय प्रशासन को सौंपे गए एक ज्ञापन के बाद आया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एमईआईएल ने परियोजना के निष्पादन में मानदंडों का उल्लंघन किया है. ये राष्ट्रीय जलविद्युत ऊर्जा (एनएचपीसी) और जम्मू-कश्मीर राज्य विद्युत विकास निगम (एसपीडीसी) का एक संयुक्त उद्यम है.

इस साल सितंबर में जम्मू-कश्मीर सरकार के लोक निर्माण विभाग ने किश्तवाड़ में परियोजना स्थल के आसपास की सड़कों पर ‘भारी वाहनों की अनधिकृत आवाजाही’ को रोकने के लिए एमईआईएल को चेतावनी दी थी, जिसे लेकर रिश्वतखोरी के आरोप में सीबीआई ने मामला दर्ज किया था.

ज्ञात हो कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने रैटल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की स्थापना की थी, जिसने 2022 में इस परियोजना के निष्पादन के लिए एमईआईएल के साथ एक अनुबंध समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. ये कंपनी इस साल में खबरों में थी, क्योंकि ये विवादास्पद चुनावी बॉन्ड की दूसरी सबसे बड़ी खरीददार कंपनी थी.

इस कंपनी ने भाजपा को सबसे ज्यादा 586 करोड़ रुपये का चंदा दिया था. वहीं, कंपनी ने भारत राष्ट्र समिति को 195 करोड़ रुपये, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम को 85 करोड़ रुपये, इसके अलावा युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी को 37 करोड़ रुपये, तेलुगु देशम पार्टी को 28 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 18 करोड़ रुपये का चंदा दिया था.

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