यूपी: पार्षदों को ‘द साबरमती रिपोर्ट’ दिखाने ले गई थीं लखनऊ मेयर, अब बिल भुगतान पर खींचतान

सीएम योगी आदित्यनाथ और मंत्रियों के ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म देखने के बाद लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल ने पार्षदों और अफसरों को फिल्म दिखाई थी. अब वित्त विभाग ने इस पर ख़र्च हुए क़रीब 46,000 रुपये का भुगतान विकास निधि से किए जाने से इनकार कर दिया है.

द साबरमती रिपोर्ट. (फोटो साभार: स्क्रीनग्रैब/ सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: गोधरा कांड से कथित तौर पर जुड़ी विक्रांत मैसी की फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है. इस फिल्म को लेकर मनोरंजन से ज्यादा राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है. एक ओर फिल्म को कई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया है, तो वहीं इस फिल्म की संसद भवन में भी स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई.

नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, लखनऊ में ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ कई मंत्रियों के लिए मल्टीप्लेक्स में स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी. सीएम के साथ मेयर सुषमा खर्कवाल भी फिल्म देखने गई थीं. इसके बाद मेयर ने नगर निगम अफसरों को निर्देश दिया था कि सभी दलों के पार्षदों और अफसरों को यह फिल्म दिखाई जाए.

मेयर सुषमा खर्कवाल के निर्देशानुसार, 23 नवंबर को लखनऊ नगर निगम के पार्षदों और अफसरों को ‘द साबरमती रिपोर्ट’ दिखाई गई. इस फिल्म के लिए कुल  200 टिकटें खरीदी गईं, साथ ही स्नैक्स का भी प्रबंध किया गया, जिस पर करीब 46,000 रुपये का खर्च सामने आया.

हालांकि, पूरे मामले में खींचतान तब शुरू हुई, जब मल्‍टीप्लेक्स ने इसका बिल नगर निगम को भुगतान के लिए भेजा। यहां से ये फाइल वित्त विभाग के पास पहुंची, जहां मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) ने यह कहते हुए इसे लौटा दिया कि नगर निगम के किसी भी शासनादेश में फिल्म दिखाने पर हुए खर्च के भुगतान का प्रावधान नहीं है.

उधर, मेयर सुषमा खर्कवाल ने दावा किया है कि फिल्म के बिल का भुगतान विकास निधि से कर दिया गया है. लेकिन नगर निगम के सीएफओ एनआर कुरील का कहना है कि किसी भी निधि का इस्तेमाल मनोरंजन कार्य में नहीं हो सकता. इसलिए विकास निधि से भुगतान का प्रस्ताव नकार दिया गया है.

वहीं, इस पूरे मामले के तूल पकड़ने के बाद विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने फिल्म दिखाए जाने पर सवाल उठाते हुए इसे फिजूलखर्ची बताया है.

सपा पार्षद दल नेता कामरान बेग ने अखबार से कहा कि पार्षदों का काम विकास कार्य पर ध्यान देना है. इस तरह की फिजूलखर्ची से बचना चाहिए. इसीलिए सपा पार्षद इस आयोजन में शामिल नहीं हुए थे. वहीं, कांग्रेस पार्षद दल नेता ममता चौधरी ने भी कहा कि एक जनसेवक को फिल्म पर खर्च करने से बेहतर क्षेत्र के विकास पर ध्यान देना चाहिए.

गौरतलब है कि फिल्म भले ही राजनीतिक गलियारों में विवाद का विषय बनी हो, पर फिल्म को जनता से अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली और यह बॉक्स ऑफिस पर भी कुछ खास कमाल दिखा नहीं पाई.

विपक्ष ने इस फिल्म को शुरुआत से ही प्रोपगैंडा फिल्म बता रहा था, तो वहीं भाजपा नेता और सरकारें इसे प्रोत्साहन देती नजर आए थे, जहां कई भाजपा शासित राज्यों में इसे टैक्स-फ्री घोषित किया गया.

फिल्म को लेकर इसके मुख्य अभिनेता विक्रांत मैसी भी खासी चर्चाओं में रहे थे. संयोगवश, उन्होंने सोमवार (2 दिसंबर) को ही सोशल मीडिया मंच इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट लिखकर एक्टिंग की दुनिया को अलविदा कहने का ऐलान किया है.