नई दिल्लीः कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने साल 2023-2024 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में केंद्र सरकार की नौकरियों और पदों में आरक्षण से संबंधित आंकड़ों को हटा दिया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने प्रकाशित इस वार्षिक रिपोर्ट में से एक तालिका को हटा दिया गया है, जिसमें मंत्रालयों और विभागों में केंद्र सरकार के सभी पदों का विवरण दिया जाता था और ग्रुप ए, बी, सी और डी में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों की संख्या के बारे में बताया जाता था.
इससे पहले यह तालिका डीओपीटी की पिछली सभी रिपोर्टों में मौजूद रहती थी. मीडिया द्वारा इस संबंध में पूछे गए सवालों का डीओपीटी ने जवाब नहीं दिया है.
आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच ने इस कदम की आलोचना करते हुए रविवार (1 दिसंबर) को आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि आदिवासियों को नौकरियों से बाहर करने के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण के आंकड़ों को ‘जानबूझकर हटाया’ गया है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की नेता वृंदा करात ने कहा है कि इस कदम को ‘जानबूझ कर जानकारी को छिपाने’ के लिए उठाया गया है. उन्होंने कहा कि यह कदम हाशिए पर रहने वाले समुदायों को अपने अधिकारों की मांग करने से ‘रोकने का एक तरीका है.’
करात ने कहती हैं, ‘वे अदालत भी नहीं जा सकते, क्योंकि कितनी नौकरियां हैं, कितने आरक्षित पद भरे गए हैं और कितने खाली हैं, इसका कोई डेटा उपलब्ध नहीं है.
डीओपीटी की सार्वजनिक रूप से उपलब्ध वार्षिक रिपोर्ट के विश्लेषण से पता चला है कि आरक्षण की तालिका में 1 जनवरी, 2016 तक कुल 32 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों का उल्लेख था, और यह आंकड़ा साल 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट में उपलब्ध था.
हालांकि, इसके बाद की रिपोर्टों में आरक्षण की तालिका में सरकारी कर्मचारियों की कुल संख्या करीब 19 लाख बताई गई है.