पंजाब: अकाली दल का शीर्ष नेतृत्व बेअदबी मामले में दोषी क़रार, सुखबीर बादल समेत अन्य को सज़ा

श्री अकाल तख्त साहिब ने साल 2007 से 2017 तक पंजाब में तत्कालीन शिरमोणि अकाली दल की सरकार में लिए गए विवादास्पद फैसलों के लिए पार्टी को धार्मिक कदाचार का दोषी ठहराया और सज़ा सुनाई है. उस समय सुखबीर सिंह बादल के पिता प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे.

सुखबीर सिंह बादल. (फोटो साभार: एक्स/ @officeofssbadal)

चंडीगढ़: अमृतसर के श्री अकाल तख्त साहिब में सुखबीर सिंह बादल के तन्खाह (धार्मिक दंड) मामले पर सोमवार (2 दिसंबर) को सुनवाई हुई, जिसमें अकाल तख्त जत्थेदार (प्रमुख) ज्ञानी रघबीर सिंह के नेतृत्व में पांच उच्च सिख साहिबानों ने शिरोमणि अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व को दरबार साहिब के बाहर पहरा देने, जूठे बर्तन साफ करने, लंगर घर में सेवा करने समेत शौचालयों को साफ करने की सज़ा सुनाई है.

मालूम हो कि सिखों की सर्वोच्च संस्था  श्री अकाल तख्त साहिब ने साल 2007 से 2017 तक पंजाब में तत्कालीन शिरमोणि अकाली दल की सरकार में लिए गए विवादास्पद फैसलों के लिए पार्टी को धार्मिक कदाचार का दोषी ठहराया और सज़ा सुनाई है. उस समय सुखबीर सिंह बादल के पिता प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे.

श्री अकाल तख्त साहिब ने सजा के तौर पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत प्रकाश सिंह बादल को दी गई फख्र-ए-कौम (सिख समुदाय का गौरव) की उपाधि को भी रद्द करने की घोषणा की है. ज्ञात हो कि दिवंगत अकाली नेता को 2011 में उनके लंबे राजनीतिक करिअर और सिख समुदाय में योगदान के सम्मान में यह उपाधि दी गई थी.

अकाल तख्त साहिब ने कोर शिरोमणि अकाली दल समिति को वर्तमान पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल सहित अन्य लंबित इस्तीफे स्वीकार करने और तीन दिनों के भीतर वापस रिपोर्ट करने का भी आदेश दिया है. साथ ही पार्टी को छह महीने के भीतर नया नेतृत्व चुनने का भी निर्देश दिया है.

मालूम हो कि सुखबीर सिंह बादल ने 16 नवंबर को अपना इस्तीफा दे दिया था, लेकिन पार्टी कोर कमेटी ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. क्योंकि  सुखबीर सिंह बादल की अभी भी पार्टी संगठन पर मजबूत पकड़ है. ऐसे में एक नया और निष्पक्ष नेतृत्व कैसे उभरता है यह देखना बाकी है.

हालांकि, इस फैसले को बादल परिवार पर एक गंभीर अभियोग के रूप में देखा जा रहा है. इस परिवार के नेतृत्व में ही देश की सबसे पुरानी क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी ने सत्ता में 10 साल शासन किया था और इसी दौरान धार्मिक महत्व के मुद्दों पर अपने विवादास्पद फैसलों के कारण राजनीतिक पतन देखा.

जैसा कि अकाल तख्त साहिब ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है, इन विवादास्पद निर्णयों ने न केवल शिरोमणि अकाली दल की छवि को धूमिल किया, बल्कि सिख समुदाय की भावनाओं को भी आहत किया. कहा जा रहा है कि पार्टी सिख मूल्यों को बनाए रखने में विफल रही.

इससे पहले 30 अगस्त को एक धार्मिक फैसले के तहत सुखबीर सिंह बादल को तनखैया (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया गया था. 2 दिसंबर को सज़ा सुनवाई के दौरान उन्हें स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर गार्ड की पोशाक पहनकर सेवा करने का निर्देश दिया गया. उनके पैर में हेयरलाइन फ्रैक्चर होने के चलते उन्हें व्हीलचेयर पर बैठकर सजा काटने की अनुमति दी गई.

बादल ने कबूली गलतियां

तनखैया फैसले सत्र के दौरान सुखबार सिंह बादल के सामने सभी आरोपों को पढ़ा गया और उन्होंने उनका जवाब  स्पष्ट शब्दों में ‘हां’ या ‘नहीं’ में दिया.

बादल सरकार के जिन विवादास्पद फैसलों पर सज़ा सुनाई गई है, उनमें सबसे ज्यादा चर्चा में 2007 की ईशनिंदा की घटना है, जिसमें सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफी देना शामिल था. इस घटना ने सिख समुदाय को काफी प्रभावित किया था, जिसके चलते पंजाब में कई वर्षों तक धार्मिक और राजनीतिक उथल-पुथल रही.

इस सत्र के दौरान सुखबीर सिंह बादल ने डेरा प्रमुख को माफ़ी दिलाने में अपनी भूमिका स्वीकार की. उन्होंने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के फंड का उपयोग करके माफी को उचित ठहराते हुए अखबारों में विज्ञापन देने की बात भी कबूल की. सुखबीर और अन्य वरिष्ठ नेताओं को विज्ञापनों पर खर्च किए गए 90 लाख रुपये ब्याज सहित एसजीपीसी के बैंक खातों में वापस करने के लिए कहा गया है.

सुखबीर ने बरगाड़ी बेअदबी के अपराधियों और कोटकपूरा और बहबल कलां गोलीबारी की घटनाओं के लिए पुलिस अधिकारियों को दंडित करने में अपनी विफलता स्वीकार की. उन्होंने वरिष्ठ पदों पर विवादास्पद पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की अनुमति देने की बात भी स्वीकार की, जो 1980 के दशक में आतंकग्रस्त पंजाब के दौरान सिख युवाओं के फर्जी मुठभेड़ मामलों में आरोपी थे. तब उनके पिता मुख्यमंत्री थे और सुखबीर उपमुख्यमंत्री थे.

सुखबीर और उनके दिवंगत पिता को सजा सुनाने के बाद उच्च साहिबानों द्वारा यह भी निर्णय लिया गया कि राम रहीम को माफ़ी दिलाने के लिए बादल के साथ मिलीभगत करने को लेकर अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार गुरबचन सिंह को दी गई सभी सुविधाएं वापस ले ली जाएं. उन्हें भी अकाल तख्त के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया है.

तत्कालीन कैबिनेट सदस्यों के लिए अभियोग

सुखबीर सिंह बादल के अलावा अकाली दल के 17 पूर्व मंत्रियों और जो 2007 और 2017 के बीच पार्टी की कोर कमेटी के सदस्य थे, उन्हें अकाल तख्त के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया था. उच्च सिख साहिबानों ने उनमें से अधिकांश को तब दोषी ठहराया, जब उन्होंने तत्कालीन अकाली नेतृत्व के गलत कामों के दौरान चुप रहने की बार स्वीकार की.

साहिबानों ने सुखदेव ढींढसा, गुलज़ार रानीकेया और जनमेजा सेखों सहित वरिष्ठ अकाली नेताओं को भी सेवादार वर्दी पहनने और सुखबीर के साथ स्वर्ण मंदिर के बाहर सेवा करने का आदेश दिया.

दलजीत चीमा, सुच्चा सिंह लंगाह, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा और बिक्रम सिंह मजीठिया सहित अन्य सदस्यों को शौचालय साफ करने और स्वर्ण मंदिर के लंगर हॉल में सेवा करने का निर्देश दिया गया.

वहीं, मनजिंदर सिंह सिरसा और मनप्रीत सिंह बादल, जो अब भारतीय जनता पार्टी में हैं, को भी ऐसी ही सज़ा दी गई.

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