कांग्रेस सांसदों ने राज्यसभा में पूछा- अडानी शब्द संसदीय है या असंसदीय?

राज्यसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने जानना चाहा कि क्या उद्योगपति गौतम अडानी का कोई भी उल्लेख 'संसदीय है या असंसदीय' है, क्योंकि सत्ता पक्ष ने भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 पर बहस के दौरान अडानी का नाम लेने पर विरोध जताया था.

कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 पर बहस के दौरान राज्यसभा में बोलते हुए. (फोटो साभार: फोटो: संसद टीवी)

नई दिल्ली: मंगलवार (3 दिसंबर) को राज्यसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने जानना चाहा कि क्या उद्योगपति गौतम अडानी का कोई भी उल्लेख ‘संसदीय है या असंसदीय’ है, क्योंकि सत्ता पक्ष ने भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 पर बहस के दौरान उद्योगपति का उल्लेख करने पर विरोध जताया.

90 साल पुराने विमान अधिनियम को बदलने के लिए लाए गए इस विधेयक को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने राज्यसभा में पारित करने के लिए पेश किया था. इसे पहले अगस्त में लोकसभा ने पारित किया गया था.

‘एयरपोर्ट अथॉरिटी का नाम बदलकर अडानी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया किया जाना चाहिए’

विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि नीति आयोग और वित्त मंत्रालय ने अडानी समूह को दिए गए छह हवाई अड्डों की बोली के दौरान आपत्तियां उठाई थीं.

हुसैन ने कहा, ‘एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया का नाम बदलकर अडानी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कर देना चाहिए था. 2019 में मोदी जी ने मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ समेत कई बड़े एयरपोर्ट अपने खास दोस्त को दे दिए. मैं ऑन रिकॉर्ड यह बताना चाहता हूं कि नीति आयोग और वित्त मंत्रालय ने छह एयरपोर्ट की बोली प्रक्रिया के दौरान आपत्ति जताई थी.’

उन्होंने कहा, ‘जब यह प्रस्ताव सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति के पास आया, तो आर्थिक मामलों के विभाग ने कहा कि एक ही बोली लगाने वाले को दो हवाई अड्डे दिए जाने चाहिए. तो उसे छह हवाई अड्डे कैसे मिले? सरकार को देश को बताना चाहिए. मोदी जी ने अपने दोस्त को छह हवाई अड्डे दिए. इसके अलावा नीति आयोग ने यह भी कहा था कि पर्याप्त तकनीकी क्षमता के बिना किसी भी बोली लगाने वाले को कोई हवाई अड्डा नहीं दिया जाना चाहिए.’

हुसैन ने कहा कि पता नहीं अडानी के पास कौन सी तकनीकी क्षमता थी कि उन्हें छह एयरपोर्ट दे दिए गए. कांग्रेस सांसद ने कहा कि इन एयरपोर्ट पर आम आदमी को लूटा जा रहा है और कहा कि लैंडिंग फीस, यूजर डेवलपमेंट फीस सब बढ़ गई है.

उन्होंने कहा, ‘सरकार अपने चंद दोस्तों के लिए काम कर रही है, जो पूंजीवाद में लिप्त है. उन्होंने 25 अन्य हवाई अड्डों के निजीकरण की बात कही है. यहां भी अडानी कह रहे हैं कि वे बोली लगाएंगे. हमारे प्रधानमंत्री किसी की नहीं सुनेंगे और ये सभी 25 हवाई अड्डे अडानी को दे देंगे.’

मालूम हो कि फरवरी 2019 में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) ने सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी के तौर पर सभी छह हवाई अड्डों को विकसित और उनका प्रबंधन करने का ठेका हासिल किया था. एएआई ने मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद जुलाई 2019 में अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरु हवाई अड्डों के परिचालन का काम अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को सौंपने के संबंध में स्वीकृति पत्र जारी किए थे.

समूह को यह ठेका 50 साल तक के लिए मिला है. उसने सबसे ऊंची बोली लगाई थी. एएआई ने विजेता का चुनाव ‘मासिक प्रति यात्री शुल्क’ के आधार पर किया था.

जब हुसैन ने अमेरिका में अडानी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों और हिंडनबर्ग रिपोर्ट द्वारा उजागर किए गए शेयर बाजार में हेरफेर के आरोपों का उल्लेख किया, तो सदन की अध्यक्षता कर रहे बीजद सांसद सस्मित पात्रा ने सत्ता पक्ष के विरोध के बीच उनसे कानून के बारे में बात करने को कहा.

भाजपा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने नियम 110 का हवाला देते हुए आदेश का मुद्दा उठाया और मांग की कि उनकी टिप्पणियों को हटा दिया जाए.

कांग्रेस नेताओं ने पूछा, अडानी का जिक्र करना असंसदीय क्यों है?

इसके बाद कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने खड़े होकर कहा कि विमानन उद्योग में जो लोग ऑपरेटर और प्रमोटर हैं, उन्हें विधेयक पर चर्चा में शामिल किया जाना चाहिए.

तिवारी ने पूछा, ‘जब विमानन नीति पर चर्चा होगी, तो इसके संचालक, प्रमोटर और मालिक पर भी चर्चा होगी. क्या उनका नाम लिए बिना ऐसी चर्चा हो सकती है? और दूसरी बात, ‘अडानी’ शब्द संसदीय है या असंसदीय?’

पात्रा ने कहा कि भाषण के उन हिस्सों को चर्चा के रिकॉर्ड से बाहर रखा जाएगा जो विधेयक से संबंधित नहीं हैं, वहीं हुसैन एक बार फिर यह पूछने के लिए खड़े हुए कि उनके भाषण में असंसदीय क्या था.

हुसैन ने कहा, ‘मैंने जो कहा उसमें असंसदीय क्या था? क्या व्यापार को बढ़ावा देना असंसदीय था? हमारी विदेश नीति को एक व्यक्ति के पक्ष में कैसे बनाया जा रहा है, क्या यह असंसदीय है? क्या यह सच नहीं है कि प्रधानमंत्री बांग्लादेश जाते हैं और अडानी को अनुबंध मिल जाता है और यही श्रीलंका, मलेशिया में भी होता है? मैंने एक भी ऐसा शब्द इस्तेमाल नहीं किया जो असंसदीय हो.’

सत्ता पक्ष के विरोध के बीच पात्रा ने फैसला सुनाया कि कानून से संबंधित न होने वाले किसी भी संदर्भ को नहीं लिया जाएगा.

इससे पहले संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्ष के सदस्यों ने मकर द्वार के बाहर अडानी के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. विपक्षी सदस्यों ने तख्तियां और बैनर पकड़े हुए थे, जिन पर लिखा था ‘मोदी और अडानी एक हैं.’ हालांकि, समाजवादी पार्टी और टीएमसी के सदस्य विरोध प्रदर्शन से अनुपस्थित रहे.

एक सप्ताह तक कोई कामकाज न होने के बाद मंगलवार को दोनों सदनों में कार्रवाई हुई क्योंकि विपक्षी सांसदों ने अडानी समूह के खिलाफ आरोपों, उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा, मणिपुर में जारी हिंसा आदि पर चर्चा की मांग की थी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)