इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने यूपी पुलिस की एफआईआर के ख़िलाफ़ जुबैर की याचिका की सुनवाई से ख़ुद को अलग किया

यूपी पुलिस ने कट्टरपंथी नेता यति नरसिंहानंद की कथित हेट स्पीच पर पोस्ट करने को लेकर फैक्ट-चेकर मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है. इसके ख़िलाफ़ ज़ुबैर की याचिका की सुनवाई से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और प्रशांत कुमार की पीठ ने ख़ुद को अलग कर लिया.

मोहम्मद ज़ुबैर. (फोटो साभार: ट्विटर/@zoo_bear)

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और प्रशांत कुमार की पीठ ने फैक्ट-चेकर और ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.

जुबैर पर धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और हिंदू कट्टरपंथी यति नरसिंहानंद के खिलाफ मुसलमानों को भड़काने का आरोप लगाते हुए पिछले महीने नरसिंहानंद की सहयोगी ने एफआईआर दर्ज कराई थी.

यूपी पुलिस ने 27 नवंबर को अदालत को बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 के तहत भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का अपराध जुबैर के खिलाफ एफआईआर में जोड़ा गया है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार (3 दिसंबर) को पीठ ने सुनवाई के 20 मिनट के भीतर ही खुद को अलग कर लिया और निर्देश दिया कि मामले को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए.

एफआईआर को चुनौती देते हुए जुबैर ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि एक्स पर उनके पोस्ट ने विवादास्पद नेता के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया था, बल्कि पुलिस को उनके कार्यों के बारे में सचेत किया था और उनके खिलाफ कानूनी उपाय करने की मांग की थी. उन्होंने यह भी कहा है कि यह दो धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने के बराबर नहीं हो सकता.

याचिका में बीएनएस के तहत मानहानि का आरोप लगाने को भी इस आधार पर चुनौती दी गई कि नरसिंहानंद के अपने वीडियो, जो पहले से ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं, पोस्ट करना और उन पर कार्रवाई की मांग करना मानहानि के समान नहीं है.

उनकी रिट याचिका में यह भी कहा गया है कि जब नरसिंहानंद ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक बयान दिया था, तब वह नफरत फैलाने वाले भाषण के मामले में जमानत पर बाहर थे और उनकी जमानत शर्तों में कहा गया था कि उन्हें सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा देने वाले बयान नहीं देने हैं.

ज्ञात हो कि जुबैर के खिलाफ एफआईआर नरसिंहानंद की सहयोगी और यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी की शिकायत पर आधारित है. उन्होंने आरोप लगाया है कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए उनकी एक पुरानी क्लिपिंग पोस्ट की थी.

लाइव लॉ के मुताबिक, नरसिंहानंद के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें पैगंबर या कुरान के बारे में सवाल उठाने से रोकने की मांग वाली एक जनहित याचिका उसी अदालत में लंबित है.

बता दें कि गाज़ियाबाद में डासना मंदिर के पुजारी और कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद की 29 सितंबर की कथित इस्लाम विरोधी टिप्पणी को लेकर कई राज्यों में एफआईआर दर्ज हुई थीं और यूपी पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था. नरसिंहानंद की विवादास्पद टिप्पणी लेकर यूपी, महाराष्ट्र, तेलंगाना और जम्मू-कश्मीर में विरोध प्रदर्शन भी हुए थे.

जुबैर ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर एक रिट याचिका में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती दी है और दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग की है.

ज्ञात हो कि जुबैर के खिलाफ यह पहली एफआईआर नहीं है. उन्हें 2018 में किए गए एक पोस्ट को लेकर जून 2022 में भी गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया, नागरिक समाज और विपक्षी दलों ने आलोचना की थी, जिनका आरोप था कि यह असहमति को दबाने और फैक्ट-चेकर को निशाना बनाने का प्रयास था.