श्रीनगर: जम्मू के पुंछ जिले में सेना के शिविर पर हमला होने के कुछ ही घंटों बाद बुधवार शाम (4 दिसंबर) को दक्षिण कश्मीर के त्राल इलाके में संदिग्ध आतंकियों ने सेना के एक जवान को गोली मारकर घायल कर दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, घायल जवान की पहचान पुलवामा जिले के त्राल के खानगुंड गांव के निवासी डेलार मुश्ताक सोफी के रूप में हुई है, जो हाल ही में अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताने के लिए छुट्टी पर घर आया था.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बुधवार शाम को सोफी कार से जा रहे थे, तभी संदिग्ध आतंकवादियों ने उनके घर के पास उन पर गोलियां चला दीं. संदिग्ध आतंकवादियों की संख्या अभी तक पता नहीं चल पाई है. इसके बाद वे इलाके से भाग गए.
अधिकारी ने बताया, ‘स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस ने पीड़ित को तुरंत पास के अस्पताल पहुंचाया. उसके दाहिने पैर में दो गोलियां लगी हैं और उसकी हालत स्थिर है.’ उन्होंने बताया कि अपराधियों को पकड़ने के लिए इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया गया है.
त्राल उपजिला अस्पताल के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. जहूर अहमद भट ने बताया कि पीड़ित को बाद में सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया. सोफी प्रादेशिक सेना में काम करते हैं और वह उत्तरी कश्मीर के पट्टन में 29 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात हैं.
इस हमले की जिम्मेदारी नवगठित आतंकवादी समूह कश्मीर स्ट्राइकर्स ने ली है. पिछले दो महीनों में यह अपनी तरह का दूसरा हमला है, जिसमें संदिग्ध आतंकवादियों ने एक स्थानीय सैनिक को निशाना बनाया.
8 अक्टूबर को दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग में सुरक्षा बलों द्वारा तलाशी अभियान शुरू किए जाने के दौरान संदिग्ध आतंकवादियों ने प्रादेशिक सेना के एक राइफलमैन का अपहरण कर लिया और उसकी हत्या कर दी.
सेना की चौकी पर ग्रेनेड फेंके गए
त्राल में यह हमला जम्मू के पीर पंजाल क्षेत्र के पुंछ जिले में एक सैन्य चौकी पर संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा ग्रेनेड फेंकने के कुछ ही घंटों बाद हुआ, हालांकि, इससे कोई नुकसान नहीं हुआ.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुंछ के सुरनकोट इलाके में नियंत्रण रेखा के पास आर्मी कैंप के पीछे की चौकी पर दो ग्रेनेड फेंके गए. इनमें से एक ग्रेनेड जोरदार धमाके के साथ फटा, लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं हुआ, जबकि दूसरा ग्रेनेड फटा नहीं, जिसे बाद में बम निरोधक दस्ते ने निष्क्रिय कर दिया.
अधिकारियों के अनुसार, एक ग्रेनेड का सेफ्टी पिन सेना शिविर की दीवार के पास पाया गया, जिसके बाद आतंकवादियों का पता लगाने के लिए सेना और पुलिस द्वारा व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया गया.
बुधवार के हमले द रेजिस्टेंस फ्रंट-, जिसे अधिकारी पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक छद्म संगठन मानते हैं, के शीर्ष आतंकवादी के श्रीनगर के बाहरी इलाके में हरवान इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के एक दिन बाद हुए हैं.
पुलिस के अनुसार, मारे गए आतंकवादी की पहचान जुनैद अहमद भट के रूप में हुई है, जो लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर था और उस दस्ते के दो सदस्यों में से एक था, जिसने अक्टूबर में गांदरबल जिले के गगनगीर इलाके में एप्को इंफ्रा कंस्ट्रक्शन कंपनी के अड्डे पर हमला कर एक डॉक्टर समेत सात श्रमिकों की हत्या कर दी थी.
सीसीटीवी कैमरे में भट को एक राइफल पकड़े हुए तथा बेस के एक क्वार्टर में अपने निशाने को तलाश करते हुए देखा गया था. यह क्वार्टर श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर रणनीतिक जेड-मोड़ सुरंग का निर्माण कर रही कंपनी के श्रमिकों के लिए रात्रि आश्रय के रूप में काम करता था.
माना जा रहा है कि हरवान इलाके के ऊंचे इलाकों में कम से कम एक से दो आतंकवादी छिपे हुए हैं, जहां बुधवार को तीसरे दिन भी तलाशी अभियान जारी रहा. घने जंगल और घनी वनस्पतियों के कारण सुरक्षा बल किसी भी तरह के नुकसान से बचने के लिए सावधानी से अभियान चला रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर में इस साल अब तक कम से कम 63 आतंकवादी मारे गए हैं, जहां सेना और पुलिसकर्मियों के साथ-साथ नागरिकों को निशाना बनाकर की जाने वाली उग्रवाद संबंधी हिंसा में हाल के महीनों में वृद्धि देखी गई है. 2024 में कम से कम 31 नागरिक मारे गए हैं, जो पिछले तीन सालों में सबसे ज़्यादा है.
ऐसा कहा जा रहा है कि पहले केवल कश्मीर घाटी तक सीमित अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद जम्मू क्षेत्र में भी फैल गया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष जम्मू के 10 में से आठ जिलों में आतंकवादी हमले हुए, जिनमें सुरक्षाकर्मियों और हिंदू तीर्थयात्रियों सहित कई नागरिक मारे गए.