एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इज़रायल पर ग़ाज़ा में नरसंहार करने का आरोप लगाया

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमलों के बाद इज़रायल ने सैन्य आक्रमण के ज़रिये ग़ाज़ा में फिलिस्तीनियों पर ढिठाई से लगातार क़हर बरसाया और विनाश किया है.

इज़रायली हमले में तबाह हुए ग़ाज़ा की तस्वीर: (फोटो साभार: X/@UNinHindi)

नई दिल्ली: मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गुरुवार को प्रकाशित एक ताजा रिपोर्ट में इज़रायल पर गाजा युद्ध में फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार करने का आरोप लगाया है.

‘यू फील लाइक यू आर सबह्यूमन’: इज़रायल्स जेनोसाइड अगेंस्ट पैलेस्टेनियंस इन गाजा’ शीर्षक से प्रकाशित हुई यह रिपोर्टएमनेस्टी के महीनों के शोध पर आधारित है. इस रिपोर्ट में सैकड़ों लोगों के साक्षात्कार, जिसमें फिलिस्तीनी पीड़ितों, गवाहों, स्थानीय अधिकारी आदि शामिल हैं, और सैटेलाइट इमेजरी सहित विजुअल और डिजिटल साक्ष्यों, इज़रायली सरकार और सैन्य अधिकाकारियों के बयानों का विश्लेषण किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि  7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इज़रायल में हमास के हमलों के बाद इज़रायल ने सैन्य आक्रमण के ज़रिये गाजा में फिलिस्तीनियों पर ढिठाई से, लगातार और बिना सजा के किसी डर के कहर बरसाया और विनाश किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2023 को हमास के घातक हमलों के बाद इज़रायल की कार्रवाई ने ग़ाजा की जनसंख्या को विनाश की कगार पर पहुंचाया है. 7 अक्टूबर 2024 तक इसके क्रूर सैन्य आक्रमण में 42,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे गए, जिनमें 13,300 से अधिक बच्चे हैं और 97,000 से अधिक घायल हुए.

इसमें कहा गया है कि कई प्रत्यक्ष या जानबूझकर अंधाधुंध किए गए हमलों में पीढ़ियों से रहने वाले कई परिवार पूरी तरह से बर्बाद हो गए.

रिपोर्ट में कहा कि गाजा में अभूतपूर्व विनाश हुआ है. शहरें पूरी तरह से समतल हो गए और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, कृषि भूमि और सांस्कृतिक और धार्मिक जगहें नष्ट हो गईं. इसके कारण गाजा का बड़ा हिस्सा रहने लायक नहीं रह गया है.

रिपोर्ट में कहा, ‘इज़रायल ने गाजा में जीवन की ऐसी स्थितियां थोपीं, जिससे कुपोषण, भूख और बीमारियों के घातक परिस्थितियां पैदा हो हो गईं. साथ ही फ़िलिस्तीनियों को धीमी, सुनियोजित मौत का सामना करना पड़ रहा है. इज़रायल ने गाजा से सैकड़ों फिलिस्तीनियों को गुप्त हिरासत में भेजा, उनके साथ यातना और अन्य दुर्व्यवहार भी किया.’

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का गंभीर उल्लंघन

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इज़रायल द्वारा गाजा में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गाजा में इज़रायल के आचरण के समग्र पैटर्न का विश्लेषण किया, इजरायली सरकार और सैन्य अधिकारियों के अमानवीय और नरसंहारक बयानों की समीक्षा की. इज़रायल ने गाजा की अमानवीय नाकाबंदी और फ़िलिस्तीनी क्षेत्र पर 57 साल पुराने गैरकानूनी सैन्य कब्जे पर विचार किया.

रिपोर्ट में कहा कि इज़रायली सेना ने पूरे गाजा में कानूनी तौर पर हमास और अन्य सशस्त्र समूहों को निशाना बनाया और वह दावा किया कि अभूतपूर्व विनाश और सहायता से इनकार हमास और अन्य सशस्त्र समूहों द्वारा गैरकानूनी आचरण का परिणाम है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने निष्कर्ष निकाला कि ये दावे विश्वसनीय नहीं हैं. घनी आबादी वाले क्षेत्र के निकट या भीतर हमास लड़ाकों की मौजूदगी, नागरिकों को बचाने की सभी संभावित सावधानियां बरतने और अंधाधुंध या असंगत हमले न करने की जिम्मेदारी से इज़रायल को बरी नहीं करती.

शोध में पाया गया कि इज़रायल ऐसा करने में बार-बार विफल रहा और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अनेक अपराध करता रहा जिनको हमास की हरकतों को आधार बनाकर सही नहीं ठहराया जा सकता.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इजरायल के ऐसे 22 बयानों की पहचान की, जो आक्रमण के प्रबंधन संभाल रहे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिए गए और नरसंहार कृत्यों के लिए आह्वान करते या उन्हें उचित ठहराते पाए गए.

एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा सत्यापित ऑडियो-विजुअल में सैनिकों को गाजा को ‘मिटाने’ या इसे रहने लायक नहीं रहने देने का आह्वान करते और फिलिस्तीनी घरों, मस्जिदों, स्कूलों और विश्वविद्यालयों के विनाश का जश्न मनाते हुए दिखाया गया है.

हमले और हत्याएं

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गाजा में फ़िलिस्तीनियों की हत्या और गंभीर मानसिक और शारीरिक क्षति पहुंचाने के नरसंहार कृत्यों का दस्तावेजीकरण किया. इसमें 7 अक्टूबर 2023 और 20 अप्रैल 2024 के बीच हुए 15 हवाई हमलों की जांच के परिणामों की समीक्षा किया गया. इन हमलो में 141 बच्चों सहित कम से कम 334 नागरिक मारे गए और सैकड़ों अन्य घायल हो गए.

एमनेस्टी इंटरनेशनल को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि इनमें से कोई भी हमला सैन्य उद्देश्य के लिए किया गया था.

इसमें एक उदाहरण दिया गया है कि 20 अप्रैल 2024 को एक इजरायली हवाई हमले ने पूर्वी रफ़ा के अल-जेनिनाह क्षेत्र में अब्देलाल परिवार के पुश्तैनी घर को नष्ट कर दिया, जिसमें एक फ़िलिस्तीनी परिवार की तीन पीढ़ियों की मौत हो गई, जिनमें 16 बच्चे भी शामिल थे. हमले के वक्त वे सो रहे थे.
इसमें कहा गया है कि इस तरह ये नागरिकों और उनके वस्तुओं पर बार-बार सीधे हमलों या जानबूझकर किए गए अंधाधुंध हमले एक व्यापक पैटर्न का संकेत देते हैं. हमले इस तरह से भी किए गए जिससे नागरिक आबादी के बीच मरने वालों और घायलों संख्या बहुत ज्यादा हो.

विनाशकारी परिस्थितियां थोपना

रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे इज़रायल ने जानबूझकर गाजा में फिलिस्तीनियों पर जीवन की ऐसी स्थितियां थोपीं जिनका इरादा समय के साथ उनके विनाश की ओर ले जाना था. ये शर्तें एक साथ तीन पैटर्न के माध्यम से लगाई गईं जो बार-बार एक-दूसरे के विनाशकारी प्रभाव को बढ़ाते हैं.

इसमें कहा गया है कि जीवन-निर्वाह करने के बुनियादी ढांचे और अन्य वस्तुओं का नुकसान और विनाश, जो नागरिक आबादी के अस्तित्व के लिए बेहद जरूरी है; लगभग पूरे गाजा की आबादी को जबरन विस्थापित करने के मनमाने और भ्रमित करने वाले सामूहिक ‘बेदखली’ आदेश का बार-बार उपयोग; और गाजा में और उसके भीतर आवश्यक सेवाओं की पहुंच, मानवीय सहायता और अन्य जीवन रक्षक आपूर्ति से इनकार और बाधा.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इज़रायल ने गैरकानूनी नाकाबंदी की, ऊर्जा स्रोतों को नियंत्रित किया, गाजा के भीतर मानवीय सहायता, जीवन-रक्षक सामान, आयात और वितरण में बाधा उत्पन्न की.

इसमें कहा कि इस प्रकार पहले से मौजूद मानवीय संकट को और बढ़ा दिया. यह गाजा के घरों की तबाही, अस्पतालों, पानी और स्वच्छता सुविधाओं और कृषि भूमि को नुकसान, बड़े पैमाने पर जबरन विस्थापन के कारण भुखमरी का स्तर भयावह हो गया और खतरनाक दर पर बीमारियां फैलने का कारण बना. मुख्य रूप से छोटे बच्चों और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर इसका प्रभाव सबसे अधिक रहा.

इसमें कहा गया है कि इजरायल बार-बार लोगों को बेदखली का आदेश दिया जिसके परिणामस्वरूप 19 लाख फिलिस्तीनियों को विस्थापित होना पड़ा. जबरन विस्थापन के इन कई दौरों ने बेशुमार लोगों को बेरोज़गार बनाया और गहरे सदमे में डाल दिया, ख़ासकर तब जब गाजा के लगभग 70% निवासी शरणार्थी हैं जिनके कस्बों और गांवों को 1948 के नकबा के दौरान इज़रायल ने जातीय सफाया किया था.

रिपोर्ट में कहा कि उन्होंने विस्थापित लोगों को उत्तरी गाजा में अपने घरों में लौटने या अस्थायी रूप से अधिकृत फ़िलिस्तीनी क्षेत्र या इज़रायल के अन्य हिस्सों में स्थानांतरित होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया.