सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से सूचना आयोगों में ख़ाली पदों को जल्द भरने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) और राज्य सूचना आयोगों के रिक्त पदों को जल्द भरने का निर्देश दिया है. वर्तमान में सीआईसी में वर्तमान में आठ पद खाली हैं, वहीं पांच राज्यों के सूचना आयोग काम नहीं कर रहे हैं.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) और राज्य सूचना आयोगों (एसआईसी) में रिक्तियों को गंभीरता से लेते हुए खाली पड़े पदों को जल्द भरने के लिए कहा है.

बार और बेंच के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने 26 नवंबर को सामाजिक कार्यकर्ता एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश पारित किया. इन याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष सीआईसी और एसआईसी में खाली पड़े विभिन्न पदों का मुद्दा उठाया था.

इस संबंध में अदालत ने कहा है कि 11 नवंबर को प्रस्तुत स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, सीआईसी में वर्तमान में आठ पद खाली हैं और केवल तीन सूचना आयुक्त सेवा में हैं.

पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बृजेंद्र चाहर को सीआईसी में रिक्त पदों को भरने के लिए की गई पहल के बारे में अदालत को सूचित करते हुए दो सप्ताह के भीतर एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

अदालत के अनुसार, ‘झारखंड, तेलंगाना और त्रिपुरा राज्यों में राज्य सूचना आयोग पिछले कई वर्षों से निष्क्रिय पड़े हैं, क्योंकि उनमें कोई नई नियुक्ति नहीं की गई है, इस तथ्य को इस न्यायालय ने 30.11.2023 के आदेश में भी बताया था.’

अदालत ने इन राज्यों को दो सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश जारी करते हुए कहा कि इस बारे में कोर्ट को सूचित किया जाए कि उपरोक्त नियुक्तियां कितनी जल्दी की जा सकती हैं.

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करते हुए वकील प्रशांत भूषण ने अदालत को 11 नवंबर को दी गई जानकारी के अनुसार रिक्तियों के बारे में बताया. अदालत ने अन्य सभी राज्यों को अपने संबंधित एसआईसी में स्वीकृत पदों की संख्या और वर्तमान में रिक्तियों की संख्या के बारे में जानकारी के साथ स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है.

अदालत ने कहा है कि राज्यों को यह भी बताना होगा कि कितने समय में चयन प्रक्रिया शुरू की जाएगी और रिक्त पदों को भरा जाएगा. आवश्यक कार्रवाई दो सप्ताह के भीतर की जाएगी.

गौरतलब है कि इस साल जुलाई में संगठन सूचना के जनअधिकार का राष्ट्रीय अभियान (एनसीपीआरआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर चिंता व्यक्त की थी.

मालूम हो कि प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष दोनों ही आरटीआई अधिनियम के तहत स्थापित चयन समिति के सदस्य हैं. इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज, निखिल डे और वेंकटेश नायक समेत अन्य शामिल थे.

इस संबंध में एनसीपीआरआई ने 12 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्ष के नेताओं को उनके प्रदेश के संबंधित राज्य सूचना आयोगों (एसआईसी) में रिक्तियों को भरने के लिए भी पत्र लिखा था. फिलहाल पांच राज्य सूचना आयोग काम नहीं कर रहे हैं.

इनमें झारखंड एसआईसी मई 2020 से, तेलंगाना एसआईसी 24 फरवरी 2023 से, त्रिपुरा एसआईसी 13 जुलाई 2021 से, मध्य प्रदेश एसआईसी 28 मार्च 2024 से और गोवा एसआईसी 1 मार्च 2024 से के नाम शामिल हैं.

इसके अलावा कई अन्य आयोग भी रिक्त पदों और बड़े बैकलॉग के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. सीआईसी तीन आयुक्तों के साथ काम करता है और उसके पास लगभग 23,000 मामले लंबित हैं.