नई दिल्ली: कर्नाटक के बल्लारी जिला अस्पताल में गुरुवार को प्रसव के बाद एक महिला की जान चली गई. करीब एक महीने के भीतर हुई यह पांचवी ऐसी घटना है. इससे पहले भी जिन चार महिलाओं की मौत हुई है, उन सभी की डिलीवरी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में सीजेरियन सेक्शन से हुई थी.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बल्लारी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (बीआईएमएस) अस्पताल में 25 वर्षीय सुमैया अब्दुल की मौत कथित तौर पर प्रतिबंधित रिंगर लैक्टेट इन्फ्यूजन घोल दिए जाने के बाद हुई. सुमैया के परिजनों ने दावा किया है कि 22 नवंबर को एक बच्ची को जन्म देने के बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई.
उन्होंने आरोप लगाया कि सुमैया की मौत प्रतिबंधित ग्लूकोज घोल और बीआईएमएस कर्मचारियों की लापरवाही के कारण हुई.
सुमैया के पति अब्दुल खान ने अस्पताल के कर्मचारियों के प्रति क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी पत्नी ने 22 नवंबर को एक बच्ची को जन्म दिया. डॉक्टरों ने उनके परिवार के सदस्यों से कहा कि उसकी हालत गंभीर है, लेकिन उन्होंने उन्हें कभी नहीं बताया कि यह जोखिम वाला केस था.
खान ने कहा, ‘अगर उन्होंने हमें सूचित किया होता, तो हम उसे एक निजी अस्पताल में ले जाते.’ उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी की मौत बीआईएमएस के डॉक्टरों की ओर से लापरवाही के कारण हुई. उन्होंने कहा कि सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने औषधि नियंत्रक को निलंबित करने का आदेश दिया है तथा अस्पताल को घटिया रिंगर लैक्टेट इन्फ्यूजन, एक IV द्रव, की आपूर्ति करने के आरोप में पश्चिम बंगा फार्मास्युटिकल के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई है.
संस्थान के निदेशक गंगाधर गौड़ा ने कहा कि सुमैया नामक महिला को 11 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसी दिन उसका सीजेरियन ऑपरेशन हुआ था. प्रसव के बाद उसकी हालत बिगड़ गई और उसे अगले दिन विजयनगर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (वीआईएमएस) ले जाया गया, जहां वह 24 दिनों तक आईसीयू में रही. लेकिन उनके गुर्दे की स्थिति गंभीर बनी रही और कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया जिसके कारण रात करीब 8 बजे उसकी मौत हो गई.
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया था कि 9 से 11 नवंबर के बीच बल्लारी जिला अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन के बाद मातृ मृत्यु में अचानक वृद्धि हुई है.
स्वास्थ्य विभाग के बयान में कहा गया था कि इस अवधि के दौरान किए गए 34 सीजेरियन में से सात रोगियों को जटिलताओं का सामना करना पड़ा, जिसमें गंभीर किडनी की चोट के कारण डायलिसिस की आवश्यकता और कई अंगों का प्रभावित होना शामिल था.
गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में सिद्धारमैया ने स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव को विस्तृत रिपोर्ट जारी करने का निर्देश दिया. उन्होंने विभाग से ऐसी किसी भी घटना की पुनरावृत्ति से बचने के लिए पर्याप्त एहतियाती कदम उठाने का भी आग्रह किया.
इस बीच, विपक्षी भाजपा ने लोकायुक्त के समक्ष औपचारिक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री के तत्काल इस्तीफे की मांग की गई, तथा मौतों के लिए राज्य सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया.
शुक्रवार को अस्पताल का दौरा करने वाले पूर्व मंत्री और भाजपा नेता बी. श्रीरामुलु ने यहां हुई मौतों के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव और जिला प्रभारी मंत्री बीजेड ज़मीर अहमद खान की आलोचना की.
श्रीरामुलु ने कहा, ‘अस्पताल में मरीज़ डर के साए में हैं. हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई है और मैं स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफ़े की मांग करता हूं. मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाना चाहिए.’
ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने आरोप लगाया था, ‘सीजेरियन के बाद जो ग्लूकोज दिया गया वह नकली था. रिंगर लैक्टेट ग्लूकोज पश्चिम बंगा फार्मास्युटिकल लिमिटेड द्वारा आपूर्ति किया गया था. इस ग्लूकोज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. विभाग ने इसे न देने के लिए कहा था. इसके बाद भी इसका इस्तेमाल किया गया और महिलाओं की जान चली गई.’
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अन्य मामले में, गुरुवार को बीएमसीआरसी में एक नवजात शिशु की मौत हो गई. बच्चे के परिजनों ने मौत के लिए डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया, जबकि अस्पताल के अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया.