नई दिल्ली: केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा आवास और शहरी मामलों की संसदीय स्थायी समिति को सौंपी गई जानकारी में बताया गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई) के तहत अब तक निर्मित सभी किफायती आवासों में से लगभग आधे खाली हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने मंगलवार (10 दिसंबर) को संसद में पेश पीएमएवाई पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि ये मिशन 2015 में शुरू किया गया था और इसे 2022 में समाप्त होना था, लेकिन इसे 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है, ताकि 122.69 लाख स्वीकृत घरों को पूरा किया जा सके.
मालूम हो कि इस योजना के चार कार्यक्षेत्र हैं- लाभार्थी के नेतृत्व में निर्माण, इन-सीटू स्लम पुनर्विकास, साझेदारी में किफायती आवास और एक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी योजना, जिसके तहत अब तक 88.32 लाख घर पूरे हो चुके हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि साझेदारी में किफायती आवास के तहत, जहां निजी बिल्डरों को अपनी परियोजनाओं के भीतर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आवास बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, 15.65 लाख स्वीकृत घरों में से 9.01 लाख पूरे हो चुके हैं. उनमें से लगभग 54 प्रतिशत (4.89 लाख) घर लोगों को मिल गया है और 46 प्रतिशत (4.12 लाख) खाली हैं.
इसी तरह रिपोर्ट से पता चलता है कि इन-सीटू स्लम पुनर्विकास वर्टिकल के तहत, जहां निवासियों के पुनर्वास के लिए झुग्गियों पर या उसके निकट आवास का निर्माण किया जाता है, 1.84 लाख स्वीकृत इकाइयों में से 67,806 पूरी हो चुकी हैं और उनमें से 70 प्रतिशत (47,510) खाली हैं.
खाली घरों के कारण के बारे में पूछे जाने पर मंत्रालय ने एक लिखित उत्तर में कहा कि साझेदारी में किफ़ायती आवास (एएचपी) और इन-सीटू स्लम पुनर्विकास (आईएसएसआर) के तहत कुल 9.69 लाख पूर्ण घरों में से, लगभग 5.1 लाख घर लोगों को मिल गया है. बाकी के मकान सौंपे जाने की प्रक्रिया में हैं.
घर खाली क्यों पड़े हैं? इस बारे में राज्यों ने जो कारण बताए हैं, उनमें अधूरा बुनियादी ढांचा, मकानों का आवंटन न होना, और जिन्हें आवंटित किया गया है उनकी अनिच्छा आदि शामिल हैं.
मंत्रालय ने कहा कि योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकार को अपने संसाधनों से इन घरों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना आवश्यक है. ट्रंक इन्फ्रास्ट्रक्चर एक घर को रहने योग्य बनाने के लिए आवश्यक चीजों का एक संयोजन है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, केंद्र ने आईएसएसआर वर्टिकल के तहत सहायता के रूप में 1 लाख रुपये, एएचपी के लिए 1.5 लाख रुपये का अपना निश्चित हिस्सा प्रदान किया है. लेकिन इन घरों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है.
इसमें आगे कहा गया है, ‘संबंधित राज्य सरकारें अब तक इसे उपलब्ध नहीं करा पाई हैं, जिसके परिणामस्वरूप मकान खाली हो गए हैं.’
मंत्रालय ने समिति को बताया कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ नियमित रूप से संपर्क कर रहा है कि एएचपी और आईएसएसआर परियोजनाओं के निवासियों को बुनियादी ढांचा प्रदान किया जाए.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे एएचपी/आईएसएसआर परियोजनाओं में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को या तो अपने संसाधनों के माध्यम से या अन्य केंद्रीय/राज्य योजनाओं के साथ मिलकर पूरा करें, ताकि उन्हें पात्र लाभार्थियों को समय पर वितरित/आवंटित किया जा सके.’
हालांकि, तेलुगु देशम पार्टी के सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी की अध्यक्षता वाली समिति ने मंत्रालय पर यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाला कि निवासियों के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया जाए.
समिति के अनुसार, ‘पीएमएवाई-शहरी दिशानिर्देशों के अनुसार, ट्रंक बुनियादी ढांचा संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों द्वारा अपने स्वयं के संसाधनों से प्रदान किया जाना है, समिति की राय है कि किसी भी कारण से पूर्ण मकानों का खाली रहना मिशन क उद्देश्य को विफल कर देगा.’
समिति का मानना है कि आवास परियोजनाओं की प्रगति की बारीकी से निगरानी करना, निर्माण और आवंटन प्रक्रियाओं में बाधाओं को दूर करना और केंद्र और राज्य प्राधिकरणों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करना मंत्रालय की जिम्मेदारी है. इसलिए, समिति चाहती है कि मंत्रालय मुद्दों के समाधान के लिए संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय करे ताकि इच्छित लाभार्थी जल्द से जल्द घरों पर कब्जा कर सकें.
मंत्रालय ने समिति को बताया कि उसने पीएमएवाई-शहरी के नौ वर्षों से सीख लेते हुए इस साल सितंबर में पीएमएवाई-शहरी 2.0 लॉन्च किया. इस योजना के तहत पांच साल में 1 करोड़ अतिरिक्त शहरी घर बनाने का लक्ष्य है.