नई दिल्ली: कोलकाता के सरकारी अस्पताल आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या मामले में सियालदह कोर्ट ने शुक्रवार (13 दिसंबर) को आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला थाने के पूर्व प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल को जमानत दे दी.
रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत से संदीप घोष और अभिजीत मंडल को जमानत मिलने के बाद मृत डॉक्टर के माता-पिता ने निराशा व्यक्त किया.
मालूम हो कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा निर्धारित 90 दिन की अवधि के भीतर आरोप पत्र दायर करने में विफलता के कारण जमानत दी गई थी.
अभिजीत मंडल पर 9 अगस्त को अस्पताल में हुए प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी करने का आरोप था, जबकि घोष पर इसी मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया था. इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल सहित देशभर में व्यापक आक्रोश और विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था.
ज्ञात हो कि इस बलात्कार-हत्या मामले में जमानत मिलने के बावजूद घोष हिरासत में ही रहेंगे, क्योंकि उन्हें आरजी कर अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े एक अलग मामले में भी न्यायिक रिमांड पर रखा गया है. इस मामले में केंद्रीय एजेंसी ने 53 वर्षीय घोष को अस्पताल में भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था.
वहीं, मंडल के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को सुधार गृह से रिहा कर दिया जाएगा जहां वह वर्तमान में न्यायिक रिमांड पर है.
इस संबंध में मृत डॉक्टर की मां ने समाचार एजेंसी पीटीआई को अपना दुख जाहिर करते हुए बताया, ‘हमने सोचा था कि सीबीआई जांच में तेजी लाएगी और जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाएगी. लेकिन अब, आरोपी को जमानत मिल गई है, ऐसा लगता है कि सिस्टम हमें विफल कर रहा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हर दिन हमें लगता है कि क्या यह एक और मामला होगा जिसमें ताकतवर लोग बिना सज़ा के बच जाएंगे.’
वहीं, मृतका के पिता ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हम बहुत दुखी हैं. हमने न्याय के लिए सीबीआई पर भरोसा किया, लेकिन अब हम सोच में पड़ गए हैं कि क्या हमें कभी अपनी बेटी के लिए न्याय मिलेगा.’
गौरतलब है कि जूनियर डॉक्टर का शव 9 अगस्त को अस्पताल के सेमिनार रूम में मिला था. इस घटना से लोगों में काफी गुस्सा भड़क गया था और विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था. इस मामले में चौतरफा दबाव के चलते प्रिंसिपल संदीप घोष को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
हालांकि, उनके इस्तीफे के कुछ घंटे बाद ही उन्हें कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया गया था, जिसे लेकर भारी विरोध और उच्च न्यायालय की आपत्ति सामने आई थी, जिसके बाद उन्हें अनिश्चितकालीन छुट्टी लेने के लिए कहा गया.
फिलहाल, इस मामले की जांच सीबीआई के हाथों में है और इसमें कथित तौर पर नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को मुख्य आरोपी माना जा रहा है.