नई दिल्ली: मुंबई की एक विशेष अदालत ने एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता रोना विल्सन द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेष एनआईए अदालत ने कहा कि रिश्ता बहुत दूर का है और उनकी वहां मौजूदगी बिल्कुल भी जरूरी नहीं है.
विल्सन को जून 2018 में उनके दिल्ली आवास पर पुणे पुलिस, जिसने मामले की शुरुआती जांच की थी, द्वारा छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद केस राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया था.
विल्सन वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं और महाराष्ट्र के नवी मुंबई में तलोजा जेल में बंद हैं. उन्होंने हाल ही में अपनी भांजी (चचेरी बहन की बेटी) के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए 6 जनवरी से 20 जनवरी, 2025 तक अंतरिम जमानत मांगी थी.
विशेष न्यायाधीश चकोर बाविस्कर ने 13 दिसंबर को उनकी याचिका खारिज कर दी थी. मंगलवार (17 दिसंबर) को उपलब्ध आदेश मेंविशेष अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी अपनी भतीजी के विवाह समारोह में शामिल होना चाहता है. ‘यह रिश्ता काफी दूर का है. शादी में उनका उपस्थित होना बिल्कुल भी जरूरी नहीं है.’
पिछले सप्ताह अदालत ने इस मामले में चार साल पहले गिरफ्तार किए गए एक अन्य आरोपी सागर गोरखे को कानून की परीक्षा में बैठने के लिए अंतरिम जमानत दी थी.
बता दें कि एल्गार परिषद मामले में एनआईए और पुणे पुलिस ने 15 कार्यकर्ताओें, शिक्षाविदों और वकीलों को गिरफ्तार किया था. इनमें से सबसे उम्रदराज फादर स्टेन स्वामी थे, जिनका जुलाई 2021 में निधन हो गया था.
मालूम हो कि एल्गार परिषद मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को आयोजित गोष्ठी में कथित भड़काऊ भाषण से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई और इस संगोष्ठी का आयोजन करने वालों का संबंध कथित माओवादियों से था.
मामले में गिरफ्तार 16 लोगों में से आठ हिरासत में हैं. मुकदमा शुरू नहीं हुआ है.
ज्ञात हो कि इस मामले में अब तक जिन लोगों को जमानत दी गई है, उनमें कवि वरवरा राव, शिक्षाविद आनंद तेलतुम्बडे और शोमा सेन, पत्रकार गौतम नवलखा, वकील सुधा भारद्वाज और अरुण फरेरा तथा कार्यकर्ता वर्नोन गोंसाल्वेस शामिल हैं.