फिलिस्तीन बैग पर आदित्यनाथ के कटाक्ष पर प्रियंका बोलीं- युवाओं को युद्ध क्षेत्र में झोंकना उपलब्धि नहीं

योगी आदित्यनाथ ने यूपी विधानसभा में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के ‘फिलिस्तीन’ लिखे बैग पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि यूपी सरकार युवाओं को अवसरों की तलाश में इज़रायल भेज रही है. इस पर प्रियंका ने कहा है कि युवाओं को रोज़गार' के लिए युद्ध क्षेत्र में झोंकना उपलब्धि नहीं, शर्म की बात है.

'फिलिस्तीन' लिखे हैंड बैग के साथ प्रियंका गांधी, (दाएं) यूपी विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उनके ‘फिलिस्तीन’ लिखे हैंडबैग पर किए गए कटाक्ष का जवाब दिया.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी विधानसभा में कहा था कि एक कांग्रेस नेता संसद में ‘फिलिस्तीन’ लिखा हुआ एक बैग लेकर घूमते देखे गए, जबकि यूपी सरकार युवाओं को अवसरों की तलाश में इजरायल भेज रही है.

आदित्यनाथ ने कहा था, ‘अब तक उत्तर प्रदेश से 5,600 से अधिक युवा निर्माण कार्य के लिए इज़रायल गए हैं. प्रत्येक युवा को वहां 1.5 लाख रुपये मासिक वेतन के अलावा मुफ्त भोजन और आवास मिलता है. सुरक्षा की भी पूरी गारंटी है.’

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि युवाओं को ‘रोजगार’ के लिए इजरायल के युद्ध क्षेत्र में झोंकना उपलब्धि नहीं बल्कि शर्म की बात है.

वाड्रा ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘वे न तो राज्य में बेरोजगारी की स्थिति से अवगत हैं और न ही वे उन युवाओं और उनके परिवारों का दर्द समझते हैं.’

उन्होंने कुछ मीडिया रिपोर्ट भी साझा कीं, जिनमें दावा किया गया है कि इजरायल में काम करने गए युवा बंकरों में छिपकर अपनी जान बचा रहे हैं और कंपनियां उनका शोषण कर रही हैं. ‘उनके परिवार वाले हरदम डरे रहते हैं। हमारे होनहार युवा रोजगार के लिए जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं क्योंकि आप रोजगार दे ही नहीं सकते। अपने युवाओं को रोजगार के लिए युद्ध क्षेत्र में झोंक देना पीठ थपथपाने की नहीं, बल्कि शर्म की बात है,’ प्रियंका गांधी ने आगे जोड़ा.

वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक ओर भारत सरकार इज़रायल की यात्रा न करने की सलाह देती है दूसरी ओर दूसरी ओर गरीबों को इजरायल में काम करने के लिए भेजा जा रहा है.

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘भारत सरकार खुद भारतीयों को सलाह दे रही है कि वे इज़रायल की यात्रा न करें. यह तो भाजपा के राज्य और केंद्रीय सरकारों की नाकामी का ठोस सबूत है कि मजबूर गरीब लोगों को इज़रायल जैसी जगह काम पर जाना पड़ रहा है. अगर यहां रोजगार के अवसर होते तो कोई इज़रायल मजदूरी करने क्यों जाता? योगी जितना चाहे उतनी इज़रायल की भक्ति कर लें, लेकिन अभी भी भारत को सबसे ज्यादा रेमिटेंस अरब देशों से ही आता है.’

प्रियंका के बैगों पर चर्चा

ज्ञात हो कि फिलिस्तीन के लोगों के प्रति समर्थन जताते हुए वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा संसद में एक हैंड बैग लेकर पहुंचीं थीं, जिस पर ‘फिलिस्तीन’ लिखा हुआ था, जिसकी भाजपा नेताओं ने आलोचना की.

कांग्रेस महासचिव संघर्ष की शुरुआत से ही गाजा में इजरायल की कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं और फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करती रही हैं. इसके एक दिन बाद उन्हें बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की निंदा करने वाले संदेश लिखे बैग ले जाते हुए देखा गया.

विपक्ष ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विरोध के अनूठे तरीके अपनाए हैं, ताकि उन मुद्दों को उजागर किया जा सके, जिन्हें वे नजरअंदाज किए जाने का दावा करते हैं. ‘मोदी-अडानी एक हैं’ जैसे नारे वाली जैकेट, टी-शर्ट और मास्क पहनने से लेकर प्रतीकात्मक प्रॉप्स तक, उनके प्रदर्शनों ने कॉरपोरेट प्रभाव से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक को निशाना बनाया है.

बिजनेस स्टैंडर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा पर निशाना साधा और उन पर राष्ट्रीय हितों की बजाय विदेशी एजेंडे को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया. भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि उनका यह कदम मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश है.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गांधी ने वास्तविक मुद्दों से बचने के लिए सरकार की आलोचना की. उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘इस बकवास के बारे में बात करने के बजाय सरकार को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर ध्यान देना चाहिए. बांग्लादेश सरकार से बातचीत की जानी चाहिए.’