नई दिल्ली: बाबा साहेब आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर ने बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की संविधान निर्माता पर हालिया टिप्पणी भाजपा की ‘पुरानी मानसिकता’ को दर्शाती है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने पुणे में संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा के अस्तित्व में आने से पहले इसके पूर्ववर्ती जनसंघ और आरएसएस ने संविधान को अपनाए जाने के समय बाबासाहेब का विरोध किया था.’
उन्होंने कहा कि शाह के बयान से भाजपा की वही पुरानी मानसिकता सामने आ गई है.
प्रकाश आंबेडकर ने कहा, ‘इस बयान में कुछ भी नया नहीं है. वे अपनी पुरानी योजनाओं को लागू नहीं कर पा रहे हैं. कांग्रेस की वजह से नहीं, बल्कि बाबासाहेब आंबेडकर की वजह से. और वे इसी तरह नाराज़ रहेंगे.’
ज्ञात हो कि 17 दिसंबर को राज्यसभा में विपक्ष पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा था, ‘अभी एक फैशन हो गया है …आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.’
प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि शाह की टिप्पणी का तात्पर्य यह है कि किसी को भगवान का सम्मान करना चाहिए न कि बीआर आंबेडकर का, क्योंकि संविधान के निर्माता का सम्मान करने का मतलब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को स्वीकार करना है.
उन्होंने कहा, ‘ईश्वर का आदर करना मनुवाद को स्वीकार करने के समान ही है.’
इस बीच, प्रकाश आंबेडकर ने परभणी में हुई हालिया हिंसा को लेकर हिरासत में लिए गए कानून के छात्र सोमनाथ सूर्यवंशी की न्यायिक हिरासत में मौत का जिक्र किया और उनके परिजनों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की. साथ ही, उन्होंने एमवीए नेताओं पर ज्योतिबा फुले, शाहू महाराज और बीआर आंबेडकर के नाम पर वोट मांगने का आरोप लगाया और कहा कि किसी ने भी परभणी जाने की जहमत नहीं उठाई.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘परभणी में हिंसा गोधरा जैसी स्थिति पैदा करने का प्रयास था.’ उन्होंने दावा किया कि यह हिंसा दो मराठा नेताओं के बीच विवाद का नतीजा थी और उन्होंने अपराधियों को बेनकाब करने के लिए एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी गठन करने की घोषणा की.
उन्होंने कहा कि लोकसभा में एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक पारित होने का मतलब होगा राजनीतिक दलों का अंत.
प्रकाश आंबेडकर ने कहा, ‘कांग्रेस के पास विधेयकों पर ठोस रुख अपनाने के लिए केवल पांच से छह दिन हैं. ऐसा न होने और विधेयकों के पारित होने का मतलब है राजनीतिक दलों का अंत. शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी का रुख महत्वपूर्ण होगा.’
उन्होंने आरोप लगाया कि समकालिक चुनावों के लिए विधेयक पारित होने से तानाशाही का मार्ग प्रशस्त होगा और संसदीय लोकतंत्र का मूल ढांचा ध्वस्त हो जाएगा.
इसी बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई सांसदों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और शाह से बीआर आंबेडकर पर की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगने की मांग की. उन्होंने दावा किया कि यह टिप्पणी बीआर आंबेडकर का अपमान है.
वहीं, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने यह भी मांग की कि शाह सार्वजनिक रूप से और संसद में माफी मांगें.
बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया: अमित शाह
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कांग्रेस पर भीमराव आंबेडकर के संबंध में राज्यसभा में उनकी टिप्पणियों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस के आंबेडकर विरोधी, संविधान विरोधी और आरक्षण विरोधी होने का पर्दाफाश किया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि भाजपा उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए कांग्रेस के खिलाफ संसद के अंदर और बाहर कानूनी विकल्प तलाशने की संभावना पर विचार करेगी.
शाह ने कहा कि उन्होंने अपने भाषण में तथ्यों के आधार पर खुलासा किया कि कांग्रेस किस तरह से आंबेडकर विरोधी, संविधान विरोधी और आरक्षण विरोधी है और विपक्षी पार्टी ने इस भाषण से 11 सेकंड की फुटेज को जोड़कर उनके द्वारा कही गई बातों को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश की है.
उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसी पार्टी से हूं जो बाबा साहब आंबेडकर का कभी अपमान नहीं कर सकती.’
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पर कई पोस्ट लिखकर शाह का बचाव किया था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा उनके इस्तीफे की मांग के बारे में पूछे जाने पर शाह ने हल्के-फुल्के अंदाज में जवाब दिया कि अगर इससे कांग्रेस अध्यक्ष खुश होंगे तो वे इस्तीफा दे सकते हैं, लेकिन इससे उनकी समस्याएं कभी हल नहीं होंगी.’
उन्होंने कहा कि उन्हें खरगे से बेहतर की उम्मीद थी क्योंकि वह उस वर्ग से आते हैं जिनके लिए आंबेडकर ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दबाव में काम कर रहे हैं और आंबेडकर के बारे में उनके विचारों को तोड़-मरोड़ कर उनके खिलाफ इस ‘दुर्भावनापूर्ण’ अभियान का हिस्सा बन रहे हैं.
खरगे ने प्रधानमंत्री से अमित शाह को बर्खास्त करने की मांग की
खरगे ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि अमित शाह ने कहा कि ‘आप लोग जितने बार आंबेडकर का नाम लेते हैं, उतने बार अगर भगवान का नाम लेते हैं तो आपको सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.’ भाजपा-आरएसएस के लोग संविधान को नहीं मानते हैं. ये लोग मनुस्मृति को मानने वाले लोग हैं, क्योंकि उसी में स्वर्ग-नरक और जातियों के बारे में कहा और लिखा गया है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे ताज्जुब है कि जब कोई व्यक्ति बाबासाहेब के बारे में टीवी पर ऐसी अपमानजनक बातें बोल रहा है, तो उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुलाकार टोका तक नहीं. इसके विपरीत गृह मंत्री को समर्थन देने के लिए उन्होंने 6 ट्वीट कर दिए. जबकि आंबेडकर जी के लिए ऐसी अपमानजनक बात करने वाले व्यक्ति को कैबिनेट से निकाल देना चाहिए था.’
खरगे ने कहा, ‘भाजपा-आरएसएस और उनके राजनीतिक पूर्वजों ने कभी संविधान को सम्मान नहीं दिया. इनके राजनीतिक पूर्वजों ने कभी संविधान को स्वीकार नहीं किया, उसकी प्रतियां जलाईं. इन लोगों ने तिरंगे को भी नहीं अपनाया. उनका कहना था कि संविधान में मनुस्मृति की बातें नहीं हैं, इसलिए इसे नहीं मानेंगे. इसके विरोध में उन लोगों ने नेहरू और आंबेडकर जी का पुतला भी जलाया.’
उन्होंने अमित शाह को बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति संविधान की शपथ लेकर मंत्री बनता है और फिर संविधान का अपमान करता है, तो उसे कैबिनेट में रहने का कोई अधिकार नहीं है.
खरगे ने कहा, ‘अमित शाह को फौरन कैबिनेट से बर्खास्त किया जाना चाहिए. अगर इस्तीफ़ा नहीं होगा तो पूरे देश में विरोध प्रदर्शन होंगे. बाबासाहेब डॉ आंबेडकर जी सबके हैं, क्योंकि वे दलित, शोषित और वंचित लोगों समेत समाज के हर व्यक्ति की बात करते थे. वे सभी के प्रति सहानुभूति रखते थे.’
अमित शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस का देशव्यापी प्रदर्शन
कांग्रेस ने गुरुवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की जाएगी.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, कांग्रेस देशभर में सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (पीसीसी) के राज्य और जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी.
वहीं, चेन्नई में डीएमके सदस्यों और नेताओं ने वल्लुवर कोट्टम में विरोध प्रदर्शन किया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्यसभा में बीआर आंबेडकर पर की गई टिप्पणी की निंदा की.