सुप्रीम कोर्ट का यति नरसिंहानंद द्वारा आयोजित धर्म संसद के ख़िलाफ़ याचिका पर विचार करने से इनकार

पूर्व नौकरशाहों सहित नागरिक समाज के सदस्यों के एक समूह द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि गाजियाबाद जिला प्रशासन और यूपी पुलिस ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना ​​की है, जिसमें अधिकारियों को सांप्रदायिक गतिविधियों और नफरती भाषणों में लिप्त व्यक्तियों या समूहों के ख़िलाफ़ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (18 दिसंबर) को गाजियाबाद में कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद द्वारा आयोजित धर्म संसद के खिलाफ कार्रवाई करने में उत्तर प्रदेश सरकार की विफलता का आरोप लगाने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.

रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व नौकरशाहों सहित नागरिक समाज के सदस्यों के एक समूह द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि गाजियाबाद जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश पुलिस ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना ​​की है, जिसमें सभी सक्षम अधिकारियों को सांप्रदायिक गतिविधियों और नफरती भाषणों में लिप्त व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस पी.वी. संजय कुमार की पीठ ने कहा, ‘अन्य मामले भी समान रूप से गंभीर हैं. अगर हम इस पर विचार करेंगे तो हम पर बहुत दबाव पड़ेगा. आपको उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए. हम इस पर विचार नहीं कर सकते.’

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बताया कि नरसिंहानंद को इस शर्त पर जमानत दी गई थी कि वह नफरत फैलाने वाले भाषण में शामिल नहीं होंगे, जबकि अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को जमानत रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए.

हालांकि, अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस कार्यक्रम की निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने को कहा कि इसे वीडियो पर रिकॉर्ड किया जाए.

अदालत ने कहा, ‘अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (केएम) नटराज, कृपया अधिकारियों से कहें कि वे मामले पर नज़र रखें और वीडियो रिकॉर्डिंग रखी जाए. सिर्फ़ इसलिए कि हम इस पर विचार नहीं कर रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस मुद्दे से बच रहे हैं.’

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस संसद की वेबसाइट और विज्ञापनों में इस्लाम के अनुयायियों के खिलाफ कई सांप्रदायिक बयान शामिल हैं और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले हैं.

उत्तर भारत में कई जगहों पर पहले भी धर्म संसद के आयोजन खुलेआम सांप्रदायिक विषयों के कारण चर्चा में रहे हैं.

नरसिंहानंद का विवादित इतिहास

मालूम हो कि कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद अपने बयानों को लेकर पहले भी विवादों में रहे हैं.

सितंबर 2022 में एक धार्मिक समारोह में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के आरोप में पुलिस ने यति नरसिंहानंद, अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय महासचिव पूजा शकुन पांडे और उनके पति अशोक पांडे के खिलाफ केस दर्ज किया था.

अलीगढ़ में हुए इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि मदरसों और अलीगढ़ मुस्ल्मि विश्वविद्यालय (एएमयू) को बम से उड़ा देना चाहिए. नरसिंहानंद ने अलीगढ़ को उस स्थान के रूप में पारिभाषित किया था, जहां से ‘भारत के विभाजन का बीज’ बोया गया था.

अप्रैल 2022 में ही उन्होंने मथुरा में हिंदुओं से अधिक संतान पैदा करने की अपील की थी, ताकि भारत को आने वाले दशकों में ‘हिन्दू विहीन’ राष्ट्र बनने से रोका जा सके.

इसी महीने में नरसिंहानंद के एक संगठन ने भारत को इस्लामिक देश बनने से बचाने के लिए हिंदुओं से अधिक बच्चों को जन्म देने का आह्वान किया था. संगठन ने हिमाचल प्रदेश के ऊना में तीन दिवसीय धर्म संसद का आयोजन किया था. कार्यक्रम में नरसिंहानंद ने दावा किया था कि मुस्लिम योजनाबद्ध तरीके से कई बच्चों को जन्म देकर अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं.

इससे पहले उत्तर दिल्ली के बुराड़ी में 3 अप्रैल 2022 को आयोजित ‘हिंदू महापंचायत’ कार्यक्रम में नरसिंहानंद ने फिर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा का आह्वान करते पाए गए थे. इस संबंध में उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था.

हरिद्वार धर्म संसद मामले में गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा हुए नरसिंहानंद ने जमानत शर्तों का उल्लंघन करते हुए मुस्लिमों पर निशाना साधते हुए ये नफरती भाषण दिए थे.

इस मामले में नरसिंहानंद और अन्य वक्ताओं के खिलाफ दिल्ली के मुखर्जी नगर पुलिस थाने में नफरती भाषण देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी.

यति नरसिंहानंद हरिद्वार धर्म संसद के आयोजकों में से एक थे. दिसंबर 2021 में उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के खिलाफ खुलकर नफरत भरे भाषण देने के साथ उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था.

धर्म संसद में यति नरसिंहानंद ने मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करते हुए कहा था कि वह ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे.