इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दर्ज केस में ज़ुबैर की गिरफ़्तारी पर रोक लगाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैक्ट चेकर और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ़्तारी पर 6 जनवरी तक रोक लगा दी. यति नरसिंहानंद द्वारा की गई कथित भड़काऊ टिप्पणी के संबंध में एक्स पर उनके पोस्ट के लिए उनके ख़िलाफ़ उक्त एफआईआर दर्ज की गई है.

मुहम्मद जुबैर (फोटोः एक्स/@zoo_bear)

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार (20 दिसंबर) को फैक्ट चेकर और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर 6 जनवरी तक रोक लगा दी. गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद द्वारा की गई कथित भड़काऊ टिप्पणी के संबंध में एक्स पर उनके पोस्ट के लिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के बाद जुबैर जांच के दायरे में हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि जुबैर ‘कोई खूंखार अपराधी नहीं है’ और उन्हें अंतरिम राहत देते हुए देश न छोड़ने और चल रही जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने मामले को 6 जनवरी तक के लिए टाल दिया, जब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपना विस्तृत जवाब दाखिल करने के बाद आगे की दलीलें सुनी जाएंगी.

यूपी सरकार की दलीलें

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने तर्क दिया कि जुबैर के पोस्ट, जिसमें नरसिंहानंद के कथित भड़काऊ भाषण के वीडियो शामिल थे, ‘अधूरी जानकारी’ पेश करते हैं और भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए ख़तरा पैदा करते हैं. अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने तर्क दिया कि जुबैर के पोस्ट का उद्देश्य हिंसा भड़काना और अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देना था.

यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा जुबैर के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर में उन पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है. जुबैर पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 सहित कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.

बता दें कि विवाद की शुरुआत 3 अक्टूबर 2024 को जुबैर द्वारा पोस्ट की गई एक श्रृंखला से हुई थी, जिसमें उन्होंने नरसिंहानंद द्वारा पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित भड़काऊ टिप्पणी करने के वीडियो साझा किए थे.

ज्ञात हो कि गाजियाबाद पुलिस ने हिंदू कट्टरपंथी नेता यति नरसिंहानंद की सहयोगी उदिता त्यागी की शिकायत के बाद पिछले महीने जुबैर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.

नरसिंहानंद की सहयोगी और यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी ने आरोप लगाया कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए उनकी एक पुरानी क्लिपिंग पोस्ट की थी. उस महीने की शुरुआत में नरसिंहानंद पैगंबर मोहम्मद पर भड़काऊ टिप्पणी करने के लिए सुर्खियों में आए थे और उन्हें 29 सितंबर को गाजियाबाद में एक कार्यक्रम में लोगों को पैगंबर के पुतले जलाने के लिए उकसाते हुए सुना गया था.

जुबैर ने नरसिंहानंद के खिलाफ कार्रवाई न करने पर सवाल उठाते हुए यूपी पुलिस को टैग किया था. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इन पोस्ट का उद्देश्य हिंसा भड़काना था और डासना देवी मंदिर में नरसिंहानंद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को प्रोत्साहित करना था.

जुबैर का बचाव

एफआईआर को चुनौती देते हुए जुबैर की कानूनी टीम ने तर्क दिया कि उनके पोस्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके संवैधानिक अधिकार का प्रयोग थे और वह केवल नरसिंहानंद के आचरण पर ध्यान आकर्षित कर रहे थे.

उनके वकील ने इस बात पर जोर दिया कि जुबैर की सामग्री विभिन्न समाचार आउटलेट और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म द्वारा कवरेज के अनुरूप थी और दावा किया कि एफआईआर शिकायतकर्ता द्वारा एक प्रचार स्टंट है.

बचाव पक्ष ने आगे तर्क दिया कि उस समय भाषण के बारे में पोस्ट करने पर कोई प्रतिबंधात्मक आदेश नहीं था तथा उकसावे के आरोपों को निराधार बताया.

राज्य सरकार को अदालत के शीतकालीन अवकाश के बाद अगली सुनवाई की तारीख 6 जनवरी तक विस्तृत जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है.

बता दें कि गाज़ियाबाद में डासना मंदिर के पुजारी और कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद की 29 सितंबर की कथित इस्लाम विरोधी टिप्पणी को लेकर कई राज्यों में एफआईआर दर्ज हुई थी और यूपी पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था.

नरसिंहानंद की विवादास्पद टिप्पणी लेकर यूपी, महाराष्ट्र, तेलंगाना और जम्मू-कश्मीर में विरोध प्रदर्शन भी हुए थे.