अमेरिकी अदालत ने पेगासस बेचने वाले इज़रायली एनएसओ ग्रुप को वॉट्सऐप हमलों का ज़िम्म्मेदार पाया

अमेरिका एक अदालत ने इज़रायल के एनएसओ ग्रुप- जो पेगासस स्पायवेयर बेचता है- को मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप द्वारा 2019 में 1,400 डिवाइस में सेंधमारी को लेकर दायर मुकदमे में जिम्मेदार पाया है.

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नई दिल्ली: अमेरिका की एक जिला अदालत ने इज़रायल के एनएसओ ग्रुप- जो पेगासस स्पायवेयर बेचता है- को मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप द्वारा 2019 में 1,400 डिवाइस में सेंधमारी को लेकर दायर मुकदमे में जिम्मेदार पाया है.

रिपोर्ट के अनुसार, वॉट्सऐप का स्वामित्व मार्क जुकरबर्ग के मेटा के पास है, जो फेसबुक, थ्रेड्स और इंस्टाग्राम का भी मालिक है.

जज फिलिस हैमिल्टन ने कहा कि एनएसओ ने अमेरिकी कंप्यूटर धोखाधड़ी और दुरुपयोग अधिनियम (सीएफएए) और वॉट्ऐप की अपनी सेवा शर्तों का उल्लंघन किया है.

जज ने कहा, ‘प्रतिवादियों (एनएसओ) के प्रासंगिक सॉफ़्टवेयर उत्पाद, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘पेगासस’ कहा जाता है, प्रतिवादियों के ग्राहकों को वॉट्सऐप एप्लिकेशन के संशोधित संस्करण का उपयोग करने की अनुमति देते हैं. … जो अंततः ग्राहकों को लक्षित यूजर्स की निगरानी करने की अनुमति देता है.’

जज ने यह भी कहा कि एनएसओ समूह बार-बार प्रासंगिक प्रमाण पेश प्रस्तुत करने में विफल रहा और इसके संबंध में अदालती आदेशों का पालन भी नहीं किया.

इसने कहा कि एनएसओ द्वारा इस तरह के व्यवहार में सबसे महत्वपूर्ण यह था कि पेगासस स्रोत कोड को केवल इज़रायल में मौजूद इज़राइली नागरिकों द्वारा देखा जा सकता है – ऐसा कुछ जो कैलिफोर्निया के मुकदमे के लिए बिल्कुल अव्यावहारिक था.

अवैध जासूसी

वॉट्सऐप के प्रमुख विल कैथकार्ट ने सोशल मीडिया चैनलों पर कहा कि यह फैसला गोपनीयता के लिए एक बड़ी जीत है.

उन्होंने लिखा, ‘हमने अपना मामला पेश करने में पांच साल लगा दिए क्योंकि हमारा दृढ़ विश्वास है कि स्पायवेयर कंपनियां इम्युनिटी के पीछे छिप नहीं सकतीं या अपने गैरकानूनी कामों के लिए जवाबदेही से बच नहीं सकतीं. सर्विलांस कंपनियों को यह नोटिस दिया जाना चाहिए कि अवैध जासूसी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. वॉट्सऐप लोगों के निजी बातचीत की सुरक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है.’

फैसले के अनुसार, क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर अगले वर्ष सुनवाई होगी.

पेगासस और भारत

उल्लेखनीय है कि 2021 में एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर  भी शामिल था, ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये दुनियाभर में नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.

इस कड़ी में 18 जुलाई 2021 से द वायर  सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए ऐसे मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थीं, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.

इस पड़ताल के मुताबिक, इजरायल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी एनएसओ ग्रुप के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर पाए गए थे, जिन्हें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है.

भारत में इसके संभावित लक्ष्यों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर, तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, अब सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव (वे उस समय मंत्री नहीं थे) के साथ कई प्रमुख नेताओं के नाम शामिल थे.

ज्ञात हो कि एनएसओ ग्रुप का कहना है कि वह मिलिट्री ग्रेड के इस स्पायवेयर को सिर्फ सरकारों को ही बेचती है. एनएसओ ग्रुप ने इस अमेरिकी मामले में कहा है कि इसे जिम्मेदार नहीं माना जा सकता क्योंकि पेगासस का संचालन अपराधों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों की जांच करने वाले ग्राहकों द्वारा किया गया था. इस तर्क को जज ने खारिज कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. इसके द्वारा गठित एक तकनीकी समिति ने पांच फोन में ‘मैलवेयर’ पाया था, लेकिन यह नहीं बता पाई कि यह पेगासस था या नहीं. इसके साथ ही समिति ने जोड़ा था कि उनकी जांच में केंद्र सरकार ने सहयोग नहीं किया था.

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार से जब पूछा गया तो उसने इस बात की पुष्टि या खंडन करने से इनकार कर दिया कि उसने पेगासस खरीदा और उसका इस्तेमाल किया.