नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और बीजापुर जिलों की सीमा पर अबूझमाड़ के कुम्मम-लेकावड़ा गांवों में 11 और 12 दिसंबर को सुरक्षा बलों ने माओवादियों के साथ मुठभेड़ होने का दावा किया था और सात माओवादियों के मारे जाने की बात कही थी. हालांकि, आदिवासी कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मारे गए 7 लोगों में से पांच बेकसूर ग्रामीण थे.
इस कथित मुठभेड़ में एक लड़की समेत चार नाबालिगों के घायल होने की भी पुष्टि हुई थी. स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस 12 साल की लड़की के गले में गोली लगी थी, जिसे मेडिकल रिपोर्ट में ‘फोरेन पार्टिकल’ की संज्ञा दी गई थी. एक्सरे रिपोर्ट में गले में फंसी गोली जैसी वस्तु को देखा जा सकता था. बच्ची को 17 दिसंबर को रायपुर रेफर कर दिया गया था. 20 दिसंबर को रायपुर के डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में उसकी सर्जरी हुई और गले से यह गोली बाहर निकाल दी गई. इस सर्जरी के बाद आई मेडिकल रिपोर्ट कहती है कि चिकित्सकों ने ‘बुलेट’ को बाहर निकाल दिया.
द वायर हिंदी को अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि लड़की पहले से बेहतर है और वह थोड़ा बहुत बोल भी पा रही है, लेकिन अभी भी वह आईसीयू में है. उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद पुलिस गोली को अपने साथ ले गई.
17 दिसंबर को पुलिस ने एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया था, ‘वरिष्ठ नक्सल कैडर कार्तिक की जान बचाने के लिए माओवादियों ने नाबालिगों और ग्रामीणों का उपयोग मानव ढाल के रूप में किया था.’
शुक्रवार को सर्जरी के बाद बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा, ‘हमने उस धातु के टुकड़े को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है. बैलिस्टिक जांच से यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह गोली है या छर्रा. अब तक की जांच के अनुसार, परिस्थितिजन्य साक्ष्य संकेत देते हैं कि माओवादियों ने अपने वरिष्ठ कैडर की जान बचाने के लिए ग्रामीणों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया, जिसके कारण ये चारों घायल हुए थे.’
द वायर हिंदी को सर्जरी के बाद लड़की के गले से निकाले गए बुलेट की फोटो मिली है, जिसे नीचे देखा जा सकता है.
लड़की की सर्जरी करने वाली टीम में शामिल एक डॉक्टर के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि ऑपरेशन जटिल था. ‘आंखों, कानों और सिर से जुड़ी नसें प्रभावित हो सकती थीं, इसलिए अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ी.’
डॉक्टर ने बताया कि सर्जरी ढाई घंटे तक चली और गोली सफलतापूर्वक उसके गर्दन से निकाल ली गई. अधिकारियों ने बताया कि इसके तुरंत बाद पुलिस ने गोली को सबूत के तौर पर अपने कब्जे में ले लिया.
यह ऑपरेशन कुल 12 डॉक्टरों द्वारा किया गया जिसमें चार एनेस्थेटिस्ट शामिल थे. इन डॉक्टरों की रिपोर्ट की एक कॉपी द वायर को मिली जिसमें कहा गया कि लड़की के गले से ‘2.5 सें.मी X 5 मि.मी आकार वाला बुलेट’ निकाला गया. इस कॉपी को नीचे देखा जा सकता है.
दो घायल बच्चे पुलिस की हिरासत में?
दूसरी ओर दो अन्य घायल बच्चों, जिनका इलाज दंतेवाड़ा में चल रहा था, को पुलिस की हिरासत में लेने की खबर मिली है. आदिवासी कार्यकर्ता सोनी सोरी ने द वायर को बताया है कि 19 दिसंबर 1-2 बजे के दो घायल बच्चों को दंतेवाड़ा जिला अस्पातल से छुट्टी दे दी गई थी. उन दोनों बच्चों और उनके परिवार वालों को वे दंतेवाड़ा में अपने घर ले गई थीं. उसके बाद पुलिस ने उन्हें फोन करके बच्चों को उसके हवाले करने को कहा. सोनी ने उन्हें सौंपने से मना कर दिया.
सोनी ने कहा, ‘उसके बाद से पुलिस मुझे हर 15-20 मिनट में लगातार फोन करती रही. मानसिक तौर पर बहुत प्रताड़ित किया. अस्पताल में कुछ टेस्ट कराने की बात कर रही थी. फिर उन्हें लेकर मैं अस्पताल गई थी. वहां बहुत सारे टेस्ट लिखवाए और हमने टेस्ट करवाए भी थे. उसके बाद शाम को मैं उन्हें लेकर अपने भाई के घर आई.’
उन्होंने आगे कहा, ‘अगले दिन मैं उन्हें अपने भाई के घर छोड़कर थोड़ी देर के लिए अपने घर गई थी, इसी दौरान पुलिस मेरे भाई के घर में घुस गई और उन्हें पकड़कर ले गई. मैं भागी-भागी वहां पहुंची. वहां का नजारा देखा तो लगा कि उन्हें जबरन उठाकर ले जाई गई है. सामान पूरा बिखरा पड़ा था, शायद हाथापाई भी हुई थी.’
सोनी ने बताया, ‘बाद में उनके परिजनों से किसी तरह संपर्क कर पाई तो पता चला कि उन्हें अस्पताल के एक कमरे में बंद करके रखा गया है. पुलिस उन्हें ले जाने की कोशिश करती रही और परिजन उसका विरोध करते रहे. फिर भी उन्हें पकड़कर जबरन गाड़ी में बैठाया गया. सोनू (जिसके सिर में गोली लगी थी) हाथापाई में नीचे गिर गया था. उसको उठाकर गाड़ी में डाला गया. जब दोनों बच्चे रोने लगे तो उनके मुंह में कपड़ा ठूंसा गया.’
सोनी के अनुसार उन्हें वहां से अस्पताल के ऊपरी मंजिल के एक कमरे में बंद कर दिया गया, जब वे रोने लगे तो उन्हें नीचे के कमरे में लाया गया. बच्चों को रोक कर रखने के लिए उन्हें फर्जी तौर पर पुलिस ने मलेरिया का मरीज घोषित कर दिया है और उनके हाथों में जबरन कैनोला और ग्लूकोज की बोतल लगा दी है.
सोनी और घायल बच्चों के परिजनों के आरोपों पर पुलिस का पक्ष जानने के लिए द वायर हिंदी ने दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया.