असम के महाधिवक्ता की बीसीसीआई में नियुक्ति पर नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाए

असम विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने सीजेआई संजीव खन्ना को पत्र लिखकर असम के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया की बीसीसीआई में सचिव पद पर नियुक्ति को ‘संवैधानिक पद का उल्लंघन’ बताया है.

बीसीसीआई का लोगो

नई दिल्ली: असम विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने शनिवार (21 दिसंबर) को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना को पत्र लिखकर असम के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया की हाल ही में भारत की शीर्ष क्रिकेट संस्था बीसीसीआई के कार्यवाहक सचिव के रूप में नियुक्ति को ‘संवैधानिक पद धारक द्वारा विशेषाधिकारों का गंभीर उल्लंघन’ बताया है. 

देवजीत सैकिया मई 2021 से असम के एडवोकेट जनरल (एजी) हैं और अक्टूबर 2022 से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के संयुक्त सचिव थे. पूर्व सचिव जय शाह के आईसीसी अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद इस महीने की शुरुआत में उन्हें बीसीसीआई का अंतरिम सचिव नियुक्त किया गया था. वह आईसीसी के निदेशक मंडल के सदस्य भी बने. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई को लिखे अपने पत्र में कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने आरोप लगाया कि बीसीसीआई के अंतरिम सचिव के रूप में देवजीत की नियुक्ति असम विधानसभा के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करते हुए ‘लाभ के लिए पद’ लेने का मामला है. उन्होंने तर्क दिया, ऐसा इसलिए है क्योंकि एजी विधानसभा के सदस्य हैं, उन्हें ‘विधानसभा में बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है.’ 

पत्र में लिखा गया है, ‘आईसीसी के निदेशक मंडल के सदस्य के रूप में श्री देवजीत लोन सैकिया की नियुक्ति भी संदिग्ध है क्योंकि उन्हें आईसीसी के लेखों और मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के अनुसार सदस्य देश के साथ रोजगार के किसी भी पद पर नहीं होना चाहिए.’ 

पत्र में आगे लिखा है, ‘वह असम के महाधिवक्ता होने के नाते आईसीसी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. इसके अलावा, भारत के संवैधानिक पद पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे अंतरराष्ट्रीय संगठन का भरोसेमंद पद नहीं ले सकता, जिस संगठन में पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे भारत के विदेशी विरोधी सदस्य हों. उनकी नियुक्ति भारत और असम राज्य के हितों के साथ गंभीर समझौता है.’ 

वहीं देवजीत सैकिया का दावा है कि नेता प्रतिपक्ष को ‘लाभ के पद के संबंध में तथ्यों और कानून के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दी गई है.’ 

इंडियन एक्सप्रेस को वह कहते हैं, ‘यदि आप आईसीसी और बीसीसीआई के संविधान को देखें तो यह स्पष्ट है कि ये सभी मानद पद हैं, लाभ के पद नहीं हैं. दूसरे, एजी का पद किसी भी मामले में लाभ के पद के आधार पर अयोग्यता के अधीन नहीं है. उन्हें या तो ठीक से जानकारी नहीं दी गई और उनके वकीलों ने उन्हें गुमराह किया है.’