नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने बुधवार को कहा कि बांग्लादेश के हिंदुओं को उनका देश छोड़कर भारत आने के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए. उन्होंने यह भी जोड़ा कि हाल के महीनों में बांग्लादेश से असम आने वाले लोगों में से अधिकांश पड़ोसी देश के बहुसंख्यक समुदाय के लोग हैं, न कि वहां के अल्पसंख्यक हिंदू.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने दावा किया कि जो लोग अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर रहे हैं, वे मुस्लिम बहुल बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग के श्रमिक हैं, जो वहां संकट के बाद खराब स्थिति में हैं, और वे उसी क्षेत्र में शामिल होने के लिए तमिलनाडु जाना चाहते हैं.
मुख्यमंत्री ने यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, ‘बांग्लादेश की स्थिति के कारण वहां कपड़ा उद्योग ध्वस्त हो गया है. वहां बहुसंख्यक लेकिन हमारे देश में अल्पसंख्यक श्रमिक सीमा पार करने की कोशिश कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि वे तमिलनाडु के कपड़ा उद्योग में जाने के लिए देश में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं और इन उद्योगों के मालिक उन्हें सस्ते श्रम के लिए आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. ज्ञात हो कि दक्षिणी राज्य में डीएमके का शासन है, जो इंडिया ब्लॉक का एक घटक है.
उन्होंने कहा कि उस देश में हिंदू अल्पसंख्यक अब वहां अत्याचारों का सामना करने के बावजूद आने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, संभवतः इसलिए क्योंकि वे ‘बहुत देशभक्त’ हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उन्होंने बहुत परिपक्व तरीके से व्यवहार किया है और पिछले पांच महीनों के दौरान कोई भी बांग्लादेशी हिंदू असम नहीं आया है.’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शर्मा ने कहा, ‘वे वर्तमान स्थिति को परिपक्वता से संभाल रहे हैं और हमें उन्हें अपना देश छोड़ने के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए.’
उल्लेखनीय है कि बीते 30 दिसंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक सुमन कुमार ने केंद्र सरकार से बांग्लादेश के हिंदुओं को भारत में शरण लेने की अनुमति देने की मांग की थी.
हिमंता बिस्वा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस देश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने में मदद करने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया, ‘स्थिति बहुत चिंताजनक है और केंद्र इस बारे में बहुत चिंतित है.’
शर्मा ने कहा कि बांग्लादेश में अशांति के बाद से घुसपैठ में भारी वृद्धि हुई है और पिछले पांच महीनों में रोजाना 20 से 30 लोग अवैध रूप से असम और त्रिपुरा में घुसने की कोशिश कर रहे हैं. असम सरकार इन घुसपैठियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है बल्कि उन्हें उनके अपने देश वापस भेज रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले पांच महीनों में असम में बांग्लादेश के करीब 1,000 लोग पकड़े गए हैं और पड़ोसी त्रिपुरा में भी इतनी ही संख्या में लोग पकड़े गए हैं, लेकिन उनमें से कोई भी बांग्लादेश का हिंदू नहीं है.
उन्होंने दावा किया कि यह घुसपैठ मुख्य रूप से पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था के पतन के कारण है.
उन्होंने कहा, ‘हाल ही में अगरतला में हुई नॉर्थ ईस्ट काउंसिल (एनईसी) की बैठक में इस मामले पर चर्चा हुई थी. इस संबंध में मैंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी चर्चा की थी.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस मामले पर पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल के अपने समकक्षों से भी चर्चा की है.
बांग्लादेश में अशांति के बाद आतंकी नेटवर्क के सदस्यों पर कार्रवाई के बारे में शर्मा ने कहा, ‘हम एनआईए और इंटेलिजेंस (ब्यूरो) के साथ समन्वय में लगातार काम कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप असम और अन्य राज्यों में 23 लोगों की गिरफ्तारी और भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद जब्त किया गया है.’
ज्ञात हो कि पिछले साल अगस्त में शेख हसीना के पद से हटने और भारत भाग जाने के बाद बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू अल्पसंख्यकों के घरों, व्यवसायों और मंदिरों पर हमलों की खबरें आई हैं. नई दिल्ली ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है और ढाका के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है.