नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एक नेता से आधी रात के बाद लगभग 15 घंटे तक पूछताछ करने की मनमानी और अमानवीय आचरण को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एजेंसी को फटकार लगाई और इसके जांच करने के दृष्टिकोण पर चिंता व्यक्त की.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि एजेंसी वस्तुत: एक व्यक्ति को बयान देने के लिए मजबूर कर रही है और यह चौंकाने वाली स्थिति है. इसने अवैध खनन से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा हरियाणा के पूर्व कांग्रेस विधायक सुरेन्द्र पंवार की गिरफ्तारी को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा.
ज्ञात हो कि ईडी ने पंवार को करीब 15 घंटे पूछताछ के बाद जुलाई 2024 में रात के करीब 1.40 बजे गिरफ्तार किया था, लेकिन सितंबर में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को खारिज कर दिया था और एजेंसी ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
ईडी की ओर से पेश हुए वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में गलत तरीके से दर्ज किया है कि पंवार से लगातार 14 घंटे और 40 मिनट तक पूछताछ की गई और पूछताछ के दौरान उन्हें डिनर ब्रेक दिया गया. हुसैन ने कहा कि एजेंसी ने प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए पहले ही कदम उठा लिए हैं कि लोगों से तड़के पूछताछ न की जाए.
ईडी की दलील को खारिज करते हुए पीठ ने पूछा कि एजेंसी बिना किसी ब्रेक के इतने लंबे समय तक पूछताछ करके किसी व्यक्ति को कैसे प्रताड़ित कर सकती है. हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय और खुद उसके द्वारा की गई टिप्पणियां केवल जमानत देने के मुद्दे पर थीं, न कि मामले के गुण-दोष पर.
अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा था कि ईडी के मामले के अनुसार, याचिकाकर्ता को नोटिस/समन जारी किया गया था और वह गुड़गांव में ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय में सुबह 11 बजे उपस्थित हुए और उनसे 1.40 बजे (20 जुलाई) तक 14 घंटे और 40 मिनट तक लगातार पूछताछ की गई, जो ईडी की बहादुरी नहीं है; बल्कि यह किसी इंसान की गरिमा के खिलाफ है.
हाईकोर्ट ने कहा था, ‘भविष्य के लिए, अनुच्छेद 21 के तहत जनादेश के मद्देनजर यह अदालत यह देख रही है कि ईडी को सुधारात्मक उपाय करने चाहिए और ऐसे मामलों में संदिग्धों के खिलाफ एक बार में जांच के लिए कुछ उचित समय सीमा का पालन करने के लिए अधिकारियों को संवेदनशील बनाना चाहिए.सीधे कहें तो, यह सराहनीय होगा कि किसी दिन एक बार में इतनी लंबी अवधि के लिए अनावश्यक उत्पीड़न करने के बजाय संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित बुनियादी मानवाधिकारों के अनुसार अभियुक्तों की निष्पक्ष जांच के लिए कुछ आवश्यक तंत्र स्थापित किया जाए.’
हाईकोर्ट की बात दोहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह ईडी अधिकारियों की ओर से ‘अमानवीय बर्ताव’ था. अदालत ने कहा कि यह आतंकवादी गतिविधि से जुड़ा मामला नहीं था, बल्कि अवैध रेत खनन का मामला था और ऐसे मामले में लोगों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा, ‘आप किसी व्यक्ति को बयान देने के लिए मजबूर कर रहे हैं.’
पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि पंवार की प्रारंभिक गिरफ्तारी और गिरफ्तारी के आधार कानून की दृष्टि से टिकने योग्य नहीं थे और ईडी के पास इस बात को प्रमाणित करने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि नेता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की आय से जुड़ी किसी प्रक्रिया या गतिविधि में शामिल थे.
बता दें कि हाल ही में ईडी ने एक परिपत्र जारी कर अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे देर रात तक लोगों से पूछताछ न करें या उन्हें कार्यालय में लंबे समय तक इंतजार न करवाएं.