भोपाल: यूनियन कार्बाइड पीड़ितों को इलाज देने वाले सम्भावना क्लीनिक के कर्मचारियों का धरना जारी

भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों का इलाज देने वाला सम्भावना क्लीनिक बीते दिनों धन के आभाव के चलते बंद हो गया है. जहां इसके परेशान कर्मचारी एफसीआरए पंजीकरण में देरी के ख़िलाफ़ धरना दे रहे हैं, वहीं क्लीनिक बंद होने से मरीज़ परेशान हैं.

धरना प्रदर्शन पर बैठे क्लिनिक के मरीज और कर्मचारी.

नई दिल्ली: सम्भावना ट्रस्ट क्लीनिक के मरीजों और कर्मचारियों के धरने के दूसरे दिन (2 जनवरी, 2025) यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के संगठनों के नेताओं ने भी धरने में भाग लिया.

क्लीनिक के परिसर में धरना प्रदर्शन ‘यूनियन कार्बाइड जहर पीड़ित इलाज अधिकार मोर्चा’ द्वारा आयोजित किया गया है, जिसका उद्देश्य सम्भावना ट्रस्ट को फॉरेन कॉन्ट्रिब्युशन रेग्युलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत शीघ्र पंजीकृत कराना है, ताकि विदेश में रहने वाले व्यक्तिगत दानकर्ताओं से प्राप्त दान ट्रस्ट तक पहुंच सके और क्लीनिक अपना संचालन फिर से शुरू कर सके.

दरअसल, भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को 1996 से मुफ्त इलाज प्रदान करने वाला सम्भावना ट्रस्ट क्लीनिक अब धन की कमी के कारण बंद हो गया है, जिसके बाद से इसके कर्मचारी और मरीज धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसने क्या कहा?

पिछले 27 वर्षों से सम्भावना क्लीनिक में स्वास्थ्य सेवा प्राप्त कर रही रुखसाना ने कहा, ‘सम्भावना क्लीनिक कल से बंद है, लेकिन हम पर्याप्त धनराशि के साथ इसे फिर से खोलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. यह भोपाल हादसे के पीड़ितों के लिए प्रभावी इलाज का एकमात्र स्थान है. यह एकमात्र स्थान है जो प्रदूषित भूजल के पीड़ितों को निःशुल्क इलाज देता है. सम्भावना में हमारे साथ प्यार और सम्मान से व्यवहार किया जाता है, जबकि सरकारी अस्पतालों में इससे बिल्कुल विपरीत है.’

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव इलाज अधिकार मोर्चा के समर्थन में धरने में शामिल हुए. उन्होंने कहा, ‘यह संघर्ष केवल सम्भावना के मरीजों और कर्मचारियों का नहीं है, बल्कि यह भोपाल में यूनियन कार्बाइड के ज़हर से पीड़ित सभी लोगों का संघर्ष है. पिछले 28 वर्षों में सम्भावना क्लीनिक के काम ने न केवल हादसे की वजह से बीमार इंसानों को स्थाई राहत प्रदान की है, बल्कि गैस पीड़ितों में देर से प्रकट होने वाली बीमारियों और पीड़ितों की अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य पर ज़हरीली गैस के दुष्प्रभाव को भी उजागर किया है.’

‘सम्भावना ट्रस्ट ने 2 फरवरी, 2023 को एफसीआरए के तहत पुनः पंजीकरण के लिए अपना आवेदन दायर किया है. गृह मंत्रालय पोर्टल 90 दिनों के भीतर आवेदन पर निर्णय लेने का वादा करता है, हालांकि, लगभग दो साल हो गए हैं और गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने अभी तक सम्भावना के आवेदन पर निर्णय नहीं लिया है. इलाज अधिकार मोर्चा की ओर से हमने गृह मंत्री को अपने शांतिपूर्ण विरोध के बारे में सूचित कर दिया है और अब तक भेजे गए दो पत्रों के जवाब का इंतजार कर रहे हैं.’ सतीनाथ षड़ंगी ने कहा, जो सम्भावना ट्रस्ट के 52 कर्मचारियों में से एक हैं, जो क्लीनिक बंद होने के कारण बेरोजगार हो गए हैं.

प्रदर्शनकारी

बता दें कि 24 दिसंबर को सम्भावना ट्रस्ट क्लीनिक ने घोषणा की थी कि ‘सम्भावना ट्रस्ट के प्रबंधक न्यासी ने खेदपूर्वक घोषणा की है कि धन की कमी के कारण भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों को वर्ष 1996 से सम्भावना ट्रस्ट क्लीनिक द्वारा दिया जा रहा विशेष और निःशुल्क इलाज, 31 दिसम्बर 2024 के बाद निलंबित कर दिया जाएगा.’

हालांकि, ट्रस्ट ने यह भी जोड़ा था कि यदि 2 फरवरी, 2023 को प्रस्तुत एफसीआरए के तहत पुनः पंजीकरण के लिए ट्रस्ट का आवेदन, गृह मंत्रालय द्वारा स्वीकृत हो जाता है, तो ट्रस्ट सम्भावना ट्रस्ट क्लीनिक का काम फिर से शुरू कर सकेगा.

ट्रस्ट के मुताबिक, 2019 में जब ट्रस्ट का एफसीआरए पंजीकरण रद्द किया गया था उस समय ट्रस्ट को 45 देशों के 30 हजार व्यक्तिगत दानदाताओं से इलाज के लिए पैसा मिल रहा था.