नई दिल्ली: दलित अधिकार कार्यकर्ता और शिक्षाविद आनंद तेलतुंबडे ने 2018 में भीमा कोरेगांव हिंसा से संबंधित अपने खिलाफ मामले को बंद करने की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जब तेलतुंबडे की याचिका हाईकोर्ट में जस्टिस सारंग कोतवाल और जस्टिस एमएस मोदक की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई, तो जस्टिस कोतवाल ने खुद को मामले से अलग कर लिया.
इससे पहले 10 मई, 2024 को एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत ने मामले से बरी करने की मांग करने वाली तेलतुंबडे की याचिका को खारिज कर दिया था.
जस्टिस कोतवाल ने कहा कि उन्होंने एकल न्यायाधीश के रूप में इसी मामले में कुछ अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की और फैसला सुनाया और इसलिए खुद को अलग कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है, ‘इस मामले में हममें से एक (सारंग वी कोतवाल, जे, एकल न्यायाधीश के रूप में बैठे, ने तीन जमानत आवेदनों (सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्नोन गोंजाल्विस) का फैसला किया था, जिसमें कानून के विभिन्न प्रावधानों पर चर्चा की गई थी. इसलिए, मांग है कि मामले की सभी पहलुओं पर एक अलग पीठ द्वारा सुनवाई की जाए. इस मामले में सारंग वी. कोतवाल, जे इस अपील और विश्रामबाग पुलिस स्टेशन, पुणे में दर्ज 2018 की एफआईआर से उत्पन्न अन्य मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर रहे हैं.’
ज्ञात हो कि 2019 में जस्टिस कोतवाल ने सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और गोंजाल्विस की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इसके बाद पीठ ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि भीमा कोरेगांव मामले में एफआईआर से उपजे किसी भी मामले को किसी भी ऐसी पीठ के समक्ष न रखा जाए, जिसके जस्टिस कोतवाल सदस्य हों.
बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में तेलतुंबडे ने निचली अदालत के दृष्टिकोण को चुनौती दी है और तर्क दिया है अदालत ने जमानत आदेश में बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों पर विचार करने में विफल रही.
मालूम हो कि एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को आयोजित गोष्ठी में कथित भड़काऊ भाषण से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई और इस संगोष्ठी का आयोजन करने वालों का संबंध कथित माओवादियों से था.
मामले में गिरफ्तार 16 लोगों में से आठ हिरासत में हैं. मुकदमा शुरू नहीं हुआ है.
ज्ञात हो कि इस मामले में अब तक जिन लोगों को जमानत दी गई है, उनमें कवि वरवरा राव, शिक्षाविद आनंद तेलतुंबडे और शोमा सेन, पत्रकार गौतम नवलखा, वकील सुधा भारद्वाज और अरुण फरेरा तथा कार्यकर्ता वर्नोन गोंजाल्विस शामिल हैं.