नई दिल्ली: गोवा पुलिस ने सोमवार (6 जनवरी) को गोवा के प्रख्यात लेखक और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दत्ता दामोदर नाइक के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला दर्ज किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, इस संबंध में पुलिस को शिकायत मिली थीं कि उन्होंने हाल ही में एक साक्षात्कार में मंदिर के पुजारियों को ‘लुटेरा’ कहा था.
मालूम हो कि 70 वर्षीय दत्ता दामोदर नाइक पेशे से एक व्यवसायी भी हैं. उन्होंने इस मामले पर कहा कि वह ‘कट्टर नास्तिक’ हैं और ऐसी किसी शिकायत से डरते नहीं हैं.
पुलिस के अनुसार, कैनाकोना थाने में सतीश भट्ट नाम के व्यक्ति द्वारा एक शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि एक क्षेत्रीय समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में नाइक ने दक्षिण गोवा के पार्टगली में स्थित श्री संस्थान गोकर्ण पार्टगली जीवोत्तम मठ के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की.
भट्ट ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘एक साक्षात्कार में नाइक ने मंदिर के पुजारियों को डकैत और लुटेरा कहा. हमारी संस्कृति में हम हर किसी की राय का सम्मान करते हैं, चाहे कोई नास्तिक हो या नहीं. लेकिन इन टिप्पणियों के माध्यम से उन्होंने जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत किया है और हमारी संस्कृति का अपमान किया है.’
इस संबंध में गोमांतक मंदिर महासंघ और धार्मिक संस्थान महासंघ के जयेश थाली ने भी शनिवार (4 जनवरी) को पणजी पुलिस स्टेशन में एक और शिकायत दर्ज करवाई है.
इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि नाइक ने ‘भाट-पुरोहित’ (पुजारियों) को ‘लुटेरा’ बताकर गंभीर अपराध किया है. शिकायत में कहा गया है कि भगवान में आस्था एक निजी मामला है, लेकिन पुजारियों, मंदिरों और मठों को लुटेरा बताने वाले ऐसे सार्वजनिक बयान देना कानून के तहत अपराध है क्योंकि इससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं और इससे सामाजिक अशांति फैलती है.
इस संबंध में पुलिस ने कहा कि बीएनएस धारा 299 (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य जो नागरिकों के किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं का अपमान या अपमान करने के इरादे से किए गए हैं) के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई है और जांच शुरू कर दी गई है.
दूसरी तरफ, नाइक ने अपना पक्ष रखते हुए अख़बार से कहा, ‘मैं कट्टर नास्तिक हूं और कई सालों से सार्वजनिक जीवन में हूं. हाल ही में एक कार्यक्रम में… मैंने कहा कि मंदिर के पुजारियों ने लोगों से पैसे लूटे… बाद में, मैंने स्पष्ट किया कि मेरे कहने का मतलब था कि उन्होंने पैसे ‘उगाहे’… यह सच है, मंदिर पैसे उगाह रहे हैं. मैंने सवाल किया कि इस पैसे से क्या बनाया गया? क्या उन्होंने कोई स्कूल, अस्पताल बनाया है? ये सारा पैसा कहां जा रहा है?’
उन्होंने जोड़ा कि उन्हें पता है कि उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है.
नाइक ने आगे कहा, ‘मुझे नहीं पता कि शिकायत एफआईआर में तब्दील हुई या नहीं. वैसे भी मैं डरा नहीं हूं. वे क्या करेंगे? मुझे गिरफ्तार करेंगे? मुझे अपनी राय रखने करने की आजादी है और मैं डरता नहीं हूं. एक नास्तिक के रूप में मेरी भावनाओं का क्या? तर्कसंगत सोच और संवाद की जगह कम होती जा रही है.’
गौरतलब है कि नाइक कोंकणी, मराठी और अंग्रेजी भाषाओं में लिखते रहे हैं. उन्हें निबंध संग्रह, ‘जय काई जुई’ के लिए 2006 में कोंकणी में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. 1990 के दशक की शुरुआत में उन्होंने पूरे गोवा के तर्कवादियों के एक समूह ‘समता आंदोलन’ की स्थापना की थी.