नई दिल्ली: अमेरिकी डिटेंशन सेंटर में बंद भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को भारत सरकार से मदद नहीं मिल रही है. अमेरिकी न्याय विभाग ने अमेरिकी नागरिक और सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गुप्ता को न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन स्थित मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद रखा है.
गुप्ता ने अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि चेक गणराज्य से अमेरिका प्रत्यर्पण के बाद से बीते सात महीनों में भारत सरकार ने उनसे कोई संपर्क नहीं किया है. उनका परिवार कई बार मदद मांग चुका है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है.
गुप्ता ने कहा है, ‘जब से मुझे प्राग से प्रत्यर्पित किया गया है (14 जून, 2024), तब से मुझे कोई कांसुलर एक्सेस नहीं मिला. मेरे परिवार ने इसके लिए कई बार अनुरोध किया, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली.’
गुप्ता ने यह भी बताया है कि प्राग में एक साल की हिरासत के दौरान उन्हें तीन बार भारतीय कांसुलर एक्सेस मिला था. हालांकि, अमेरिका पहुंचने के बाद से ऐसी कोई सहायता नहीं दी गई.
2023 के अंत में गुप्ता के परिवार ने भारत के सुप्रीम कोर्ट में मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी, लेकिन अदालत ने इसे ‘संवेदनशील’ मामला बताते हुए याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा था कि इस पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए.
गुप्ता ने बताया कि उनके परिवार ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को ईमेल लिखे थे, लेकिन वे किसी से भी नहीं मिल पाए.
53 वर्षीय गुप्ता ने अपने कथित सह-षड्यंत्रकारी विकास यादव से किसी भी प्रकार के संबंधों से इनकार किया है. यादव पर पन्नू की हत्या की साजिश का नेतृत्व करने का आरोप है. गुप्ता ने अमेरिकी सरकार द्वारा पेश किए गए सबूतों को ‘फर्जी और मनगढ़ंत’ बताया.
गुप्ता ने कहा, ‘विकास एक आम नाम है और यादव एक बड़ा समुदाय है. मैं इस नाम के किसी व्यक्ति को नहीं जानता. मैंने इस नाम का जिक्र केवल उस समय सुना जब नवंबर 2024 में नया आरोप पत्र जारी हुआ.’
उल्लेखनीय है कि गुप्ता को 30 जून 2023 को चेक गणराज्य में अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर गिरफ्तार किया गया था. उन्हें 14 जून 2024 को अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया और न्यूयॉर्क में हिरासत में रखा गया.
उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार द्वारा पेश किए गए सबूत जैसे उनके फोन नंबर से भेजे गए संदेश और वीडियो फुटेज पूरी तरह से गढ़े हुए हैं. ‘मैंने ऐसा कोई व्यक्ति नहीं देखा या किसी साजिश का हिस्सा नहीं हूं. यह सब राजनीतिक चाल है.’ गुप्ता ने कहा.
गुप्ता ने कहा कि लंबी कानूनी लड़ाई के कारण भारत में उनके परिवार पर आर्थिक बोझ पड़ा है, जिसके कारण अब उन्हें निजी वकील की सेवाएं बंद करनी पड़ी हैं और अमेरिकी सरकार द्वारा नियुक्त वकील के भरोसे होने पड़ा है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे 30 अक्टूबर को एक सरकारी वकील नियुक्त किया गया, लेकिन मुझे पता चला कि उनमें इस प्रकार के आपराधिक मामलों का अनुभव नहीं है. …मैं वास्तव में अपने बचाव के लिए सबसे अच्छा वकील चाहता हूं, लेकिन मेरा परिवार और मैं इसा खर्च वहन नहीं कर सकते.’
आरोप पत्र के अनुसार, गुप्ता और यादव पर हत्या की साजिश, मनी लॉन्ड्रिंग और हत्या के लिए षड्यंत्र का आरोप है. इन अपराधों के लिए अधिकतम सजा क्रमशः 10 से 20 साल तक की हो सकती है.