थियानमेन चौक नरसंहार के 28 साल से भी ज़्यादा समय बाद यह दस्तावेज़ सार्वजनिक किया गया. यह दस्तावेज़ ब्रिटेन के नेशनल आर्काइव्ज़ में पाया गया.
बीजिंग: ब्रिटिश पुरालेख के मुताबिक शहर के थियानमेन चौक पर जून, 1989 में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर चीनी सेना की कार्रवाई में कम से कम 10,000 आम लोग मारे गए थे. ताज़ा जारी किए गए एक ब्रिटिश ख़ुफिया राजनयिक दस्तावेज़ में नरसंहार के ब्यौरे दिए गए हैं.
चीन में तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत एलन डोनाल्ड ने लंदन भेजे गए एक टेलीग्राम में कहा था, कम से कम 10,000 आम नागरिक मारे गए. घटना के 28 साल से भी ज़्यादा समय बाद यह दस्तावेज़ सार्वजनिक किया गया. यह दस्तावेज़ ब्रिटेन के नेशनल आर्काइव्ज़ में पाया गया.
नरसंहार के एक दिन बाद पांच जून, 1989 को बताई गई संख्या उस समय आम तौर पर बताई गई संख्या से करीब 10 गुना ज़्यादा है.
चीनी इतिहास, भाषा एवं संस्कृति के एक फ्रांसीसी विशेषज्ञ ज्यां पीए काबेस्तन ने कहा कि ब्रिटिश आंकड़ा भरोसेमंद है और हाल में सार्वजनिक किए गए अमेरिकी दस्तावेज़ों में भी ऐसा ही आकलन किया गया.
हांगकांग बैपटिस्ट यूनिवसिर्टी के प्रोफेसर काबेस्तन ने कहा, दो स्वतंत्र सूत्र हैं जो एक ही बात कह रहे हैं.
जून, 1989 के अंत में चीनी सरकार ने कहा था कि क्रांति विरोधी दंगों के दमन में 200 असैन्य मारे गए और दर्जनों पुलिस एवं सेनाकर्मी घायल हो गए.
नरसंहार के करीब तीन दशक बाद चीन की कम्युनिस्ट सरकार इस विषय पर किसी भी तरह के बहस, उल्लेख वगैरह की मंज़ूरी नहीं देती. पाठ्यपुस्तकों एवं मीडिया में घटना के उल्लेख की मंज़ूरी नहीं है और इंटरनेट पर इससे जुड़ी सूचना प्रतिबंधित है.
चीन की राजधानी बीजिंग के थियानमेन चौक पर 1989 में छात्रों के नेतृत्व में विशाल विरोध प्रदर्शन हुआ था.
ये विरोध प्रदर्शन अप्रैल 1989 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व महासचिव और उदार सुधारवादी हू याओबांग की मौत के बाद शुरू हुए थे. हू चीन के रुढ़िवादियों और सरकार की आर्थिक और राजनीतिक नीति के विरोध में थे और हारने के कारण उन्हें हटा दिया गया था. छात्रों ने उन्हीं की याद में एक मार्च आयोजित किया था.
थियानमेन चौक पर तीन और चार जून, 1989 को सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हुए. चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने प्रदर्शन का निर्दयतापूर्ण दमन करते हुए नरसंहार किया. चीनी सेना ने बंदूकों और टैंकरों के ज़रिये शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे नि:शस्त्र नागरिकों का दमन किया.
इधर बीजिंग में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था. बताया जाता है कि इस चौक पर छात्र सात सप्ताह से डेरा जमाए बैठे थे. इस प्रदर्शन का जिस तरह से हिंसक दमन किया गया ऐसा चीन के इतिहास में कभी नहीं हुआ था. आज तक इस हिंसक दमन की वजह से चीन की दुनियाभर में आलोचना की जाती है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 200 लोग मारे गए और लगभग 7 हज़ार घायल हुए थे. किन्तु मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार इस नरसंहार में हज़ारों लोग मारे गए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)