गोवा: सभी सरकारी विभागों के प्रमुखों के लिए प्रधानमंत्री मोदी की ‘मन की बात’ को सुनना अनिवार्य

गोवा सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी सर्कुलर में निर्देश दिया गया है कि राज्य सरकार के सभी विभागों के प्रमुखों को सक्रिय रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम को सुनना है. यह मासिक रेडियो कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2014 में शुरू किया गया था.

'मन की बात' का पोस्टर और गोवा के सीएम प्रमोद सावंत. (फोटो साभार: पीआईबी और एक्स)

नई दिल्ली: गोवा सरकार ने गुरुवार (9 जनवरी) को राज्य सरकार के सभी विभागों के प्रमुखों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के रेडियो प्रसारण को ‘सक्रिय रूप से सुनने’ का निर्देश दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव श्रेयस डिसिल्वा द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि राज्य सरकार के सभी विभागों के प्रमुखों को सक्रिय रूप से ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुनने के लिए निर्देशित किया जाता है. विभागों को गोवा राज्य में शासन और सेवाओं को बेहतर करने के लिए इस कार्यक्रम के दौरान साझा किए गए सकारात्मक सुझावों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

परिपत्र में कहा गया है कि ‘मन की बात’ दैनिक शासन के मुद्दों पर नागरिकों के विचारों के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए संकल्पित एक कार्यक्रम है. ये मासिक रेडियो कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अक्टूबर 2014 में शुरू किया गया था, जिसमें पीएम मोदी सरकारी पहलों और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए देश को संबोधित करते हैं.

इस संबंध में एक्स पर एक पोस्ट में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा, ‘गोवा में सभी सरकारी विभागों के प्रमुखों को मन की बात को सक्रिय रूप से सुनने के लिए निर्देशित किया जाता है. कार्यक्रम के दौरान साझा की गई सफलता की कहानियों और सर्वोत्तम तरीकों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिन्होंने पूरे देश में सकारात्मक बदलाव लाए हैं. गोवा में शासन में सुधार और बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए इन जानकारियों को अपनाने के लिए उचित रूप से विचार किया जाएगा.

उन्होंने आगे कहा,  ‘गोवा प्रगतिशील शासन प्रथाओं को लागू करने में आगे रहा है, जिसका राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर अनुकरण किया गया है. इसके अलावा पूरे भारत से लगातार प्रेरणा लेना और नवीन प्रथाओं को अपनाना जरूरी है, चाहे वह व्यक्तियों से हो, संगठनों से हो या राज्य की पहल से हो. यह जीवन जीने में आसानी और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाएगा, हमें स्वयंपूर्ण, विकसित गोवा के दृष्टिकोण को प्राप्त करने की दिशा में प्रेरित करेगा.’