नई दिल्ली: केरल के रहने वाले एक भारतीय नागरिक की रूस और यूक्रेन युद्ध के फ्रंटलाइन पर मौत हो गई है, जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में वापस लौटने के लिए कई बार गुहार लगाई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की पहचान केरल के त्रिशूर जिले के वडक्कनचेरी निवासी 32 वर्षीय बिनिल टी.बी. के रूप में की गई है. बिनिल के रिश्तेदार 27 वर्षीय जैन टी.के. उसी हमले में घायल हो गए थे.
रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ दिन पहले बिनिल के परिवार को एक संदेश मिला कि ड्रोन से हुए हमले में दो लोग घायल हो गए हैं. परिवार बिनिल या जैन से संपर्क नहीं कर सका. एक रिश्तेदार ने अखबार को बताया कि बिनिल की पत्नी जोइसी को मॉस्को में भारतीय दूतावास से संपर्क करने के बाद स्थिति का पता चला.
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पिछले कुछ महीनों से बिनिल और जैन टी.के. घर वापस जाने की बेताबी से कोशिश कर रहे थे और पिछले महीने ही बिनिल ने इंडियन एक्सप्रेस से कई वॉयस मैसेज में इस बारे में बात की थी.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बिनिल ने कहा था कि वे घर वापस आने के प्रयास में सितंबर से मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के दरवाजे खटखटा रहे थे, लेकिन नाकाम रहे.’
रिपोर्ट में बिनिल के हवाले से कहा गया है, ‘मानसिक और शारीरिक रूप से हम थक चुके हैं.’
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अपने अंतिम संदेश में बिनिल ने कहा कि वे युद्ध में जाने के लिए मजबूर हैं.
रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया है, ‘हम अब रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के दुर्गम इलाके में हैं. हमारे कमांडर का कहना है कि अनुबंध एक साल के लिए था. हम स्थानीय कमांडरों से अपनी रिहाई के लिए गुहार लगा रहे हैं. भारतीय दूतावास का मानना है कि जब तक रूसी सेना हमें रिहा नहीं करती, वे हमारी मदद नहीं कर सकते. दूतावास का कहना है कि हमें वापस रूसी क्षेत्र में ले जाया जाना चाहिए.’
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अभी तक इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
मालूम हो कि 6 दिसंबर 2024 को संसद में दिए गए जवाब में विदेश मंत्रालय ने बताया कि रूस में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें उत्तर प्रदेश और गुजरात से दो-दो, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, तेलंगाना, केरल और ओडिशा से एक-एक व्यक्ति शामिल है. यह संभवतः 11वीं ऐसी मौत है.
विदेश मंत्रालय ने कहा था कि पिछले साल जुलाई में, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समक्ष रूसी सेना में लड़ रहे भारतीयों की स्थिति को उठाने का दावा किया था, तब रूस ने अपनी सेना में लड़ रहे ऐसे सभी भारतीयों को शीघ्र रिहा करने का वादा किया था.
अगस्त में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में कहा था कि सरकार रूस के इस दावे का समर्थन नहीं करती कि भारतीयों ने जानबूझकर रूसी सेना के साथ अनुबंध किए हैं. जवाब में रूसी दूतावास ने कहा कि मॉस्को किसी भी भर्ती प्रयास में शामिल नहीं रहा है, खासकर सैन्य सेवा के लिए भारतीय नागरिकों को भर्ती करने की ‘धोखाधड़ी योजनाओं’ में.
इसने यह भी दावा किया कि रूसी रक्षा मंत्रालय ने अप्रैल 2024 से भारत सहित कई विदेशी देशों के नागरिकों को रूसी सशस्त्र बलों में सैन्य सेवा में प्रवेश देने पर रोक लगा दी है.
अगस्त महीने की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने संसद में बताया था कि इस युद्ध में अब तक आठ भारतीय नागरिकों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 69 को रूसी सेना से जल्द रिहाई मिलने का इंतजार है.
अगस्त महीने में ही पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई परिवार राजधानी दिल्ली में मोदी सरकार के खिलाफ़ प्रदर्शन किया था. इन परिवारों की मांग की थी कि सरकार रूसी सेना में फंसे उनके परिजनों को जल्द से जल्द रिहा करवाए.
इसके बाद सितंबर महीने में चार भारतीय नागरिक स्वदेश लौट आए थे, जिन्हें धोखा देकर एक निजी रूसी सेना में भर्ती किया गया था और रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए मजबूर किया गया था.
इसी साल जुलाई महीने में रूसी सेना के साथ युद्ध क्षेत्र में तैनात एक भारतीय नागरिक ने रिहाई की गुहार लगाई थी. पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग के रहने वाले 47 वर्षीय उर्गेन तमांग ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि उसके समूह में 15 गैर-रूसी थे, जिनमें से 13 मारे गए हैं.