नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 जनवरी) को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को निर्देश दिया कि वह एक हलफनामा दाखिल कर यह बताए कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में खाली पदों को भरने की प्रक्रिया कब पूरी की जाएगी. यह हलफनामा दो हफ्ते के भीतर दाखिल करना होगा.
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों में खाली पदों के मामले की सुनवाई कर रही थी.
अदालत ने बताया कि सीआईसी में सूचना आयुक्तों के लिए 10 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से केवल दो पद भरे गए हैं. वहीं, विभिन्न राज्य सूचना आयोग लंबे समय से निष्क्रिय हैं, और अपील और शिकायतों का बैकलॉग बढ़ता जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे समयबद्ध तरीके से पर्याप्त संख्या में आयुक्तों की नियुक्ति करें.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को निर्देश
अदालत ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को निर्देश दिया कि केवल उन्हीं उम्मीदवारों को नियुक्त किया जाए, जिन्होंने सरकार के विज्ञापन के जवाब में आवेदन किया हो.
आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने जुलाई 2024 में कहा था कि आवेदकों की जानकारी को प्रधानमंत्री द्वारा गठित खोज समिति को भेजा जाएगा.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह खोज समिति के सदस्यों और आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक करे.
राज्य सूचना आयोगों में रिक्तियां
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि झारखंड का राज्य सूचना आयोग पिछले चार साल से निष्क्रिय है. अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह नौ हफ्तों के भीतर सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करे.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे के अनुसार, झारखंड सरकार ने पिछले साल जून में सीआईसी और छह इंफॉर्मेशन कमिश्नर के पदों को भरने के लिए आवेदन मांगे थे और 37 आवेदन प्राप्त हुए थे. हालांकि, राज्य विधानसभा चुनावों (नवंबर 2024) के बाद विपक्ष के नेता की नियुक्ति न होने के कारण चयन प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी.
अदालत ने झारखंड विधानसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल को आदेश दिया कि वह अपने निर्वाचित सदस्यों में से किसी एक को चयन समिति के सदस्य के रूप में नामित करे.
अन्य राज्यों के लिए निर्देश
जहां चयन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, वहां सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश दिए:
- आवेदकों की सूची एक हफ्ते में जारी की जाए.
- खोज समिति की संरचना और शॉर्टलिस्टिंग के मानदंड एक हफ्ते के भीतर सार्वजनिक किए जाएं.
- साक्षात्कार छह हफ्तों के भीतर पूरे किए जाएं.
- सिफारिशें प्राप्त होने पर, सक्षम प्राधिकारी दो हफ्तों के भीतर नियुक्तियां पूरी करें.
सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को अनुपालन हलफनामा दाखिल करने और आयोगों में रिक्त पदों और लंबित मामलों की जानकारी देने का निर्देश दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च 2025 को होगी.
बैकलॉग की क्या है स्थिति?
पिछले साल जुलाई में नेशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टू इंफॉर्मेशन (NCPRI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और 12 राज्यों के मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेताओं को सूचना आयोगों में रिक्त पदों और लंबित मामलों को लेकर पत्र लिखा था.
पत्र में उल्लेख किया गया कि पांच राज्य सूचना आयोग पूरी तरह से निष्क्रिय हैं:
- झारखंड (मई 2020 से)
- तेलंगाना (फरवरी 2023 से)
- त्रिपुरा (जुलाई 2021 से)
- मध्य प्रदेश और गोवा (मार्च 2024 से)
सीआईसी में 23,000 से अधिक मामले लंबित हैं. कई राज्य सूचना आयोग में यह संख्या और भी अधिक है.
कर्नाटक राज्य सूचना आयोग 3 आयुक्तों के साथ काम कर रहा है और 40,000 से अधिक मामले लंबित हैं. बिहार राज्य सूचना आयोग 2 आयुक्तों के साथ 28,000 मामले लंबित. छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल राज्य सूचना आयोग प्रत्येक में 2 आयुक्त और क्रमशः 17,500 और 10,000 मामले लंबित. राजस्थान और पंजाब राज्य सूचना आयोग 1 आयुक्त के साथ प्रत्येक में 9,000 मामले लंबित. महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग 6 आयुक्तों के साथ 1 लाख से अधिक मामले लंबित.
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने समयबद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया है.