पंजाब: एमएसपी गारंटी के लिए जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन में 111 किसान शामिल हुए

पंजाब-हरियाणा सीमा खनौरी में फसलों के लिए एमएसपी की क़ानूनी गारंटी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज़ करते हुए 111 किसानों ने 15 जनवरी को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जिनकी भूख हड़ताल 51वें दिन में प्रवेश कर गई है, के समर्थन में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया है.

खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे किसान. (फोटो: अरेंजमेंट)

चंडीगढ़: फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज करते हुए 111 किसानों ने 15 जनवरी को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के समर्थन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की, जिनकी भूख हड़ताल 51वें दिन में प्रवेश कर गई है.

उनका विरोध प्रदर्शन पंजाब-हरियाणा सीमा खनौरी से शुरू हुआ, जो हरियाणा राज्य की सीमा से ज्यादा दूर नहीं है.

हरियाणा में किसानों के बॉर्डर के करीब पहुंचने पर सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. हालांकि, कोई टकराव नहीं हुआ और किसान शांतिपूर्ण तरीके से धरना स्थल पर बैठे हैं.

मीडिया से बात करते हुए किसानों ने स्पष्ट किया कि वे आगे नहीं बढ़ेंगे और जब तक केंद्र सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं देती, तब तक वे अनिश्चितकाल के लिए भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे.

उन्होंने कहा कि वे किसानों के कल्याण के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार हैं, जैसे डल्लेवाल, जिन्होंने अनशन के दौरान स्वास्थ्य बिगड़ने के बावजूद अब तक किसी भी चिकित्सा सहायता से इनकार कर दिया है.

बुधवार को काले कपड़े पहने 111 किसानों ने यह भी घोषणा की है कि वे अपनी भूख हड़ताल के दौरान कोई चिकित्सा सहायता नहीं लेंगे.

खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में शामिल किसान. (फोटो: अरेंजमेंट)

ये 111 किसान डल्लेवाल के एसकेएम (गैर-राजनीतिक) मंच से जुड़े हैं, जो पिछले एक साल से किसानों के मौजूदा विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहा है. सरवन पंढेर के नेतृत्व वाला किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) भी इन विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहा है.

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेता लखविंदर औलख ने द वायर को बताया कि प्रदर्शनकारियों में 25 से 85 साल की उम्र के किसान शामिल हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारे नेता डल्लेवाल की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है, फिर भी केंद्र चुप है और बातचीत करने को तैयार नहीं है. अब और किसानों ने डल्लेवाल की तरह अपनी जान जोखिम में डालने का फैसला किया है.’

मंच के एक अन्य नेता काका सिंह ने प्रदर्शन स्थल पर संवाददाताओं को बताया कि हरियाणा पुलिस के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि बीएनएसएस की धारा 163 (जिसे पहले सीआरपीसी की धारा 144 कहा जाता था) लागू कर दी गई है. सिंह ने कहा, ‘लेकिन हमने उन्हें बताया कि किसान दिल्ली नहीं जा रहे हैं और वे केवल भूख हड़ताल पर बैठेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘प्रशासन बल प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है. वे प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले दाग सकते हैं या लाठीचार्ज कर सकते हैं. लेकिन वे डल्लेवाल के समर्थन में शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे.’

दिन की शुरुआत में किसानों ने जगह की सफाई की और अपना विरोध प्रदर्शन शुरू करने से पहले अरदास में बैठे. औलख ने कहा कि आज भाग लेने वाले सभी लोगों को अनशन शुरू होने से पहले आखिरी समय में बाहर निकलने का मौका भी दिया गया था, लेकिन सभी ने अनशन जारी रखने का फैसला किया.

18 जनवरी की संयुक्त फोरम बैठक पर सबकी निगाहें

इस बीच, किसानों की मांगों के लिए संयुक्त लड़ाई शुरू करने के लिए 18 जनवरी को एसकेएम के विभिन्न गुटों के बीच होने वाली अहम बैठक के दूसरे दौर पर सबकी निगाहें टिकी हैं.

13 जनवरी को पहले दौर की बैठक अनिर्णायक रही, लेकिन सभी मंच 2020-21 में ऐतिहासिक किसान विरोध प्रदर्शन की तर्ज पर केंद्र सरकार से मुकाबला करने के लिए एक संयुक्त निकाय बनाने के इच्छुक हैं.

एसकेएम नेता, जिन्होंने अब निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था, पिछले साल 13 फरवरी से खनौरी और शंभू बार्डर पर चल रहे मौजूदा आंदोलन का हिस्सा नहीं हैं.

विभिन्न किसान समूहों के बीच टकराव के कारण 2022 में विभाजन हो गया था. डल्लेवाल ने अपना खुद का मोर्चा, गैर-राजनीतिक एसकेएम बनाया और मौजूदा आंदोलन की शुरुआत की. लेकिन डल्लेवाल का विरोध पंजाब को उस तरह से प्रभावित करने में विफल रहा, जिस तरह से 2020-2021 के आंदोलन ने किया था.

अब, उनका बिगड़ता स्वास्थ्य और केंद्र सरकार की उदासीनता विभिन्न मंचों के लिए एक साथ आने और एकजुट लड़ाई की योजना बनाने का कारण बन गई है.

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