पन्नू हत्या साज़िश: भारत ने ‘अधिकारी’ की भूमिका स्वीकारी, सरकार की कानूनी कार्रवाई की सिफ़ारिश

भारत सरकार ने पहली बार खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साज़िश में एक भारतीय सरकारी अधिकारी की भूमिका को स्वीकार किया है. गृह मंत्रालय की उच्चस्तरीय समिति ने बिना नाम लिए एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की सिफ़ारिश की है.

गुरपतवंत​ सिंह पन्नू. (फोटो साभार: ट्विटर/@SortedEagle)

नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने से कुछ दिन पहले, भारत के गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर अप्रत्यक्ष रूप से यह स्वीकार किया है कि एक भारतीय सरकारी अधिकारी अमेरिका के उस मामले में शामिल था, जिसमें एक खालिस्तान समर्थक वकील की हत्या का प्रयास किया गया था.

गृह मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, एक उच्चस्तरीय सरकारी समिति ने ‘एक व्यक्ति’ के खिलाफ ‘कानूनी कार्रवाई’ की सिफारिश की है. साथ ही, यह स्वीकार किया है कि सरकार की प्रक्रियाओं और सिस्टम में कमजोरियां हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत है. साथ ही, यह संकेत दिया गया है कि रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व अधिकारी ने स्वतंत्र रूप से यह कार्रवाई की है.

यह पहली बार है जब कथित हत्या की साज़िश के मामले में भारत सरकार ने अपने एक अधिकारी और सिस्टम की भूमिका को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है. यह मामला पहली बार 2023 में उस समय सामने आए थे जब कनाडा के प्रधानमंत्री ने संसद में इस पर बयान दिया था.

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि यह प्रेस विज्ञप्ति विदेश मंत्रालय द्वारा जारी नहीं की गई है, जबकि इस विषय पर पहले सभी प्रेस विज्ञप्तियां वहीं से आई थीं. इस बार केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस मामले में शामिल किया गया है, जो अब तक सार्वजनिक रूप से इस विषय में शामिल नहीं था.

हालांकि, कनाडाई अधिकारियों ने गृह मंत्री अमित शाह का नाम एक उच्च पदस्थ भारतीय अधिकारी के रूप में लिया है, जिन पर अंतरराष्ट्रीय हत्याओं का आदेश देने का आरोप है.

इस अस्पष्ट तरीके से लिखी गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि एक उच्च स्तरीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट लगभग 14 महीने बाद सरकार को सौंप दी है. यह रिपोर्ट संगठित आपराधिक समूहों और आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों पर आधारित है, जो भारत और अमेरिका दोनों की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं.

नरेंद्र मोदी सरकार ने यह जांच नवंबर 2023 में उस समय शुरू की थी, जब बाइडन प्रशासन के दबाव में अमेरिकी न्याय विभाग ने सार्वजनिक रूप से भारतीय अधिकारियों द्वारा अपराधियों की मदद से न्यूयॉर्क में खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का खुलासा किया था.

गृह मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ‘लंबी जांच के बाद समिति ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है और एक व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है, जिनके आपराधिक संबंध और पिछले रिकॉर्ड भी जांच के दौरान सामने आए. जांच समिति ने सिफारिश की है कि कानूनी कार्रवाई को जल्द से जल्द पूरा किया जाए.’

हालांकि, गृह मंत्रालय ने उस व्यक्ति का नाम नहीं लिया जिसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जानी है.

भारत सरकार पहले ही पूर्व खुफिया अधिकारी विकास यादव के कार्यों से खुद को अलग कर चुकी है. विकास यादव पर पन्नू की हत्या की साजिश में उनकी कथित भूमिका को लेकर अमेरिका ने आरोप लगाए हैं.

अक्टूबर में जारी एक आरोपपत्र में, अमेरिकी न्याय विभाग ने भारतीय सरकारी कर्मचारी विकास यादव पर न्यूयॉर्क सिटी में रहने वाले एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या की कथित साजिश से जुड़े आपराधिक आरोपों की घोषणा की थी.

अधिकारियों का कहना है कि यादव ने भारत से इस साजिश का नेतृत्व किया. वह हत्या के लिए भुगतान किए जाने के आरोपों का सामना कर रहे हैं. अभियोजकों ने पहले कहा था कि यह हत्या उत्तर अमेरिका में अन्य हत्याओं की एक श्रृंखला से पहले की योजना का हिस्सा थी. यादव भारतीय सीआरपीएफ के पूर्व अधिकारी हैं जिन्होंने रॉ में सेवा दी है.

हालांकि प्रेस विज्ञप्ति में न तो यादव का नाम लिया गया और न ही उनके सरकारी अधिकारी होने की पुष्टि की गई, रिपोर्टों से पता चलता है कि जांच का हिस्सा बनने के लिए एक भारतीय जांच समिति अक्टूबर 2024 में अमेरिका गई थी.

उस समय अमेरिकी विदेश विभाग की एक मीडिया नोट में उल्लेख किया गया था कि भारतीय समिति उस ‘व्यक्ति’ की सक्रिय जांच कर रही है, जिसे पिछले वर्ष अमेरिकी न्याय विभाग के आरोपपत्र में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के रूप में पहचाना गया था, जिसने न्यूयॉर्क सिटी में एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की नाकाम साजिश का नेतृत्व किया था.