कोलकाता रेप-हत्या मामला: संजय रॉय दोषी क़रार, सोमवार को सुनाई जाएगी सज़ा

आरजी कर रेप-हत्या मामले में मुख्य आरोपी 33 वर्षीय संजय रॉय है, जिन्होंने अदालत में कथित तौर पर चिल्लाते हुए कहा कि इसमें एक 'आईपीएस अधिकारी' की भूमिका है और असली दोषियों को छोड़ दिया गया है. इससे पहले भी रॉय दावा कर चुके हैं कि उन्हें फंसाया जा रहा है.

सियालदह कोर्ट के बाहर का दृश्य. (फोटो साभार: स्पेशल अरेंजमेंट)

कोलकाता: कोलकाता के सरकारी अस्पताल आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या मामले में सियालदह की एक अदालत ने नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को दोषी करार दिया है. अदालत सोमवार (20 जनवरी) को इस मामले में सज़ा सुनाएगी.

पिछले साल अगस्त में हुई इस घटना से लोगों में काफी गुस्सा भड़क गया था और पश्चिम बंगाल सहित देशभर में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था. जूनियर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दी थी. डॉक्टरों की मांग थी कि ट्रेनी डॉक्टर को जल्द न्याय मिले और सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था में प्रणालीगत बदलाव किए जाए.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में मुख्य आरोपी 33 वर्षीय संजय रॉय को बनाया गया है, जिन्होंने सुनवाई के दौरान अदालत में कथित तौर पर चिल्लाते हुए कहा कि इसमें एक ‘आईपीएस अधिकारी’ की भूमिका है और असली दोषियों को छोड़ दिया गया है. इससे पहले भी रॉय दावा कर चुके हैं कि उन्हें फंसाया जा रहा है.

लाइव लॉ की खबर के अनुसार, सियालदह कोर्ट की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने संजय रॉय को दोषी करार देने के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट को आधार बनाया है. इस मामले में उन्हें अधिकतम सजा फांसी दी जा सकती है और कम से कम सजा आजीवन कारावास होगी. उन्हें भारतीय न्याय संहिता की उन धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया जो बलात्कार, हत्या और मौत का कारण बनने से संबंधित हैं.

इस मामले में आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग उठाई गई थी, जिसमें राज्य सरकार खासतौर से शामिल थी. इस घटना के बाद ममता बनर्जी सरकार ने आलोचना के बीच एक नया कानून भी पारित किया, जिसमें बलात्कार की सभी घटनाओं के लिए मौत की सजा देने की मांग की गई.

गौरतलब है कि इस मामले में बीते साल 13 दिसंबर को आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला थाने के पूर्व प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल को जमानत दे दी गई थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा निर्धारित 90 दिन की अवधि के भीतर आरोप पत्र दायर करने में विफलता के कारण जमानत दी गई थी.

अभिजीत मंडल पर 9 अगस्त को अस्पताल में हुए प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी करने का आरोप था, जबकि घोष पर इसी मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया था.

हालांकि, इस बलात्कार-हत्या मामले में जमानत मिलने के बावजूद घोष हिरासत में ही हैं, क्योंकि उन्हें आरजी कर अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े एक अलग मामले में भी न्यायिक रिमांड पर रखा गया है. इस मामले में केंद्रीय एजेंसी ने 53 वर्षीय घोष को अस्पताल में भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था.

ज्ञात हो कि जूनियर डॉक्टर का शव 9 अगस्त को अस्पताल के सेमिनार रूम में मिला था, जिसके बाद चौतरफा दबाव के चलते प्रिंसिपल संदीप घोष को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.

हालांकि, उनके इस्तीफे के कुछ घंटे बाद ही उन्हें कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया गया था, जिसे लेकर भारी विरोध और उच्च न्यायालय की आपत्ति सामने आई थी, जिसके बाद उन्हें अनिश्चितकालीन छुट्टी लेने के लिए कहा गया.

इस मामले में जांच के लिए पहले एक एसआईटी का गठन किया गया था, जिसने संजय रॉय की गिरफ्तारी की थी. ट्रेनी डॉक्टर की ऑटोप्सी रिपोर्ट में बताया गया था कि पीड़िता की आंख, मुंह और प्राइवेट पार्टस से खून बह रहा था. वहीं, बाएं पैर, गर्दन, हाथ, और होठों पर भी चोट थी. फिलहाल, इस मामले की जांच सीबीआई के हाथों में है.

इस घटना के चार महीने बीतने के बाद मृतका के माता-पिता ने द वायर की बातचीत में बताया था कि वे इस मामले में चल रही जांच से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं, शुरू में पुलिस ने केवल एक व्यक्ति (सिविल वालंटियर संजय रॉय) पर आरोप लगाया. बाद में सीबीआई ने दो और लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन उनके खिलाफ अभी तक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है. ऐसे में यह चिंताजनक है कि देश की शीर्ष जांच एजेंसी इतना समय ले रही है.

बातचीत के दौरान उन्होंने ये भी कहा था, ‘कोलकाता पुलिस ने जानबूझकर सबूत मिटाने की कोशिश की थी, अब सीबीआई जांच कर रही है. अब देखते हैं कि ये सब कहां तक जाता है. यह एक क्रूर हत्या है, जो एक बंद कमरे के अंदर हुई है. हमारे पास सीबीआई पर भरोसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हां, संदेह और सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन हमें त्वरित न्याय की उम्मीद है. इस मामले पर पूरे देश और दुनिया की नजर है.’