नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान होने हैं. सत्ताधारी आम आदमी पार्टी का दावा है कि उनके कार्यकाल में दिल्ली में स्वास्थ्य और शिक्षा की हालत बेहतर हुई है. साथ ही उनकी योजनाओं से लोगों में समृद्धि भी आई है यानी आय बढ़ी है.
आप का मुख्य मुकाबला भाजपा से है. अपने सहयोगी दलों के साथ केंद्र की सत्ता संभाल रही भाजपा कह रही है कि उसने ‘देश का विकास किया है अब दिल्ली की बारी है.’
इस बीच इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में दिल्ली की स्वास्थ्य, शिक्षा, आय आदि की तस्वीर आंकड़ों के माध्यम से पेश की गई है और इन आंकड़ों की तुलना देश के आंकड़ों से की गई है.
आय और गरीबी
दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे अधिक है. 2022-23 में यह 2.59 लाख रुपये प्रतिवर्ष थी, जो 2023-24 में बढ़कर 2.74 लाख रुपये हो गई. यह राष्ट्रीय औसत 1.05 लाख रुपये से दो गुना अधिक है.
इसी प्रकार, दिल्ली का मासिक प्रति व्यक्ति व्यय भी राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक है. दिल्ली का मासिक प्रति व्यक्ति व्यय 8,217 रुपये है, जो भारत के औसत 6,459 रुपये से काफी अधिक है.
हालांकि, देश की तुलना में दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय धीमी गति से बढ़ रही है. 2015-16 से 2023-24 के बीच दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय केवल 17.4% बढ़ी, जबकि इसी दौरान राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय में 34.6% की वृद्धि हुई.
दिल्ली में गरीबी दर 2019-21 में 3.4% थी, जो 2015-16 में 4.4% थी. उत्तर दिल्ली में गरीबी दर सबसे अधिक (6.3%) है, जबकि दक्षिण दिल्ली में यह सबसे कम (1.29%) है.
बेरोजगारी का हाल
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के शहरी क्षेत्रों का बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से कम है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों का बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है.
2023-24 में दिल्ली की शहरी बेरोजगारी दर प्रति हजार जनसंख्या पर 20 थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 51 था. लेकिन दिल्ली की ग्रामीण बेरोजगारी दर 60 थी, जो राष्ट्रीय औसत 25 प्रति हजार से दोगुनी से भी अधिक थी.
स्वास्थ्य सेवाओं का हाल
दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े सुधार किए हैं. 2022-23 में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य व्यय 4,439 रुपये था, जो 2015-16 में होने वाले व्यय 1,962 रुपये से बहुत अधिक है.
दिल्ली में बिजली और पानी की उपलब्धता लगभग 100% है, लेकिन स्वच्छता सुविधाएं केवल 81.1% घरों तक पहुंची हैं. नई दिल्ली जिले में स्वच्छता की पहुंच सबसे कम, केवल 69.4% है.
2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार, दिल्ली में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में बौनापन आम है और शहर की लगभग आधी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं.
दिल्ली में स्वास्थ्य बीमा कवरेज कम है. भारत में 41% परिवारों के कम से कम एक सदस्य के पास स्वास्थ्य बीमा योजना का कवरेज है, लेकिन दिल्ली में यह आंकड़ा सिर्फ 25% है. हालांकि, दिल्ली का शिशु मृत्यु दर 24.5 प्रति 1,000 जन्म है, जो राष्ट्रीय औसत 35.2 से बेहतर है.
शिक्षा का हाल
अन्य प्रमुख राज्यों की तुलना में, दिल्ली सरकार के कुल खर्च का 21% शिक्षा पर होता, जबकि राष्ट्रीय औसत 13.3% है. 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, दिल्ली का यह आंकड़ा 2016-17 से हर साल 20% से अधिक रहा है.
2001 से साक्षरता दर 80% से अधिक रही है. यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली कई शैक्षिक मानकों में देश में सबसे ऊपर है. इनमें छात्र-शिक्षक अनुपात, सकल नामांकन दर, प्रति स्कूल औसत शिक्षकों की संख्या और कम ड्रॉपआउट दर शामिल हैं.
क्षेत्रफल और जनसंख्या का हाल
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र भारत में मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन के बाद दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र है. 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली की जनसंख्या 1.68 करोड़ थी, जो 2001 से 21.2% अधिक है. 2026 तक यह आंकड़ा 2.25 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है.
दिल्ली के नौ जिलों में से सबसे अधिक जनसंख्या उत्तर पश्चिम दिल्ली (21.8%) की है, इसके बाद दक्षिण दिल्ली (16.3%) और पश्चिम दिल्ली (15.15%) का नंबर आता है.
सबसे कम जनसंख्या नई दिल्ली (3.5%) और मध्य दिल्ली (0.9%) में है. दिल्ली का अधिकांश हिस्सा शहरी है. सबसे अधिक ग्रामीण आबादी उत्तर पश्चिम (5.9%) और दक्षिण पश्चिम (6.3%) जिलों में है. हालांकि, दिल्ली की कुल ग्रामीण जनसंख्या केवल 2.5% है.
2001 से 2011 के बीच, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में जनसंख्या वृद्धि दर सबसे तेज (30.7%) रही, जबकि नई दिल्ली और मध्य दिल्ली की जनसंख्या क्रमशः 9.9% और 20.7% घटी है.
2011 की जनगणना के अनुसार दिल्ली में हिंदू आबादी 81.7% हैं, जबकि मुसलमान 12.9% के साथ सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह हैं. मुसलमानों की सबसे ज़्यादा संख्या मध्य और उत्तर पूर्वी दिल्ली जिलों में है, जहां उनकी आबादी क्रमश: 33.4% और 29.3% हैं. मुसलमानों की सबसे कम संख्या 4.9% दक्षिण पश्चिम दिल्ली में है.
2011 के अनुसार, दिल्ली में लगभग 22.6 लाख प्रवासी हैं. दक्षिण पश्चिम, नई दिल्ली और दक्षिण जिलों में प्रवासियों की संख्या सबसे अधिक है, जो क्रमशः 46.4%, 44.7% और 42.1% है. प्रवास के मुख्य कारण परिवार और रोजगार हैं.