नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी (सपा) ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर आगामी उपचुनाव के लिए प्रचार करने से रोकने के लिए अयोध्या में उसके प्रमुख पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर रही है.
द वायर इनमें से सात आपराधिक मामलों तक पहुंचा और पाया कि ये सभी मामले हमले और धमकी के लगभग समान आरोपों पर आधारित हैं.
वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद के 2024 में फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने जाने के बाद से मिल्कीपुर विधानसभा सीट खाली है. मिल्कीपुर उन विधानसभा क्षेत्रों में से एक है जो फैजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, और अन्य राज्यों के चुनाओं साथ-साथ 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अत्यधिक राजनीतिक महत्व रखता है.
नवंबर 2024 मे हुए उपचुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों ने आम चुनावों में अपनी हार का बदला लेते नौ में से सात सीटें जीतीं. इसमें मुरादाबाद के मुस्लिम-केंद्रित कुंदरकी विधानसभा सीट में चौंकाने वाला एकतरफा मुकाबला शामिल था, जहां विपक्ष ने एक समुदाय के मतदाता को मतदान से बंचित रखने की बड़े पैमाने पर शिकायतों के बाद पुनर्मतदान की मांग की थी. विपक्ष ने मतदान के दिन सरकार पर प्रशासनिक शक्ति के दुरुपयोग का आरोप लगाया था.
अब मिल्कीपुर में उपचुनाव से पहले सपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मिल्कीपुर के तीन थानों के थाना प्रभारियों (एसएचओ) को हटाने की मांग की है. साथ ही पार्टी ने उन पर चुनाव अभियान से जुड़े अपने एक दर्जन से अधिक सदस्यों के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज करने का आरोप लगाया है.
उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी को दिए ज्ञापन में उत्तर प्रदेश सपा अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने कहा कि 7 जनवरी को चुनाव की घोषणा होने के बाद से एक दर्जन से अधिक सपा कार्यकर्ता, सेक्टर प्रभारी, ग्राम प्रधान और अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए है.
श्याम लाल ने आरोप लगाया कि ऐसा ‘उन्हें डराने’ और उन्हें चुनाव प्रचार और मतदान करने से रोकने के लिए किया जा रहा है. वह कहते हैं, ‘निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है.’
श्याम लाल ने मांग की कि इनायत नगर, कुमारगंज और खंडासा थानों के प्रभारी- देवेन्द्र पांडे, अमरजीत सिंह और संदीप सिंह को तुरंत जिले से बाहर स्थानांतरित किया जाए. उन्होंने यह भी मांग की कि सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए, ताकि बिना किसी डर के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो सके.
7 जनवरी के बाद से जिन सपा सदस्यों पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए उनमें जिला महासचिव भक्तियार अहमद, जिला सचिव राम बहादुर यादव, ब्लॉक अध्यक्ष राम तेज यादव, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मोहम्मद रईस अहमद, मिल्कीपुर विकास खंड के महासचिव कांशीराम पाल, पूर्व प्रधान पुरषोत्तम दास पटवा और उनके बेटे शामिल हैं.
9 जनवरी से लेकर अब तक द वायर द्वारा देखी गई तीन थानों में दर्ज आधा दर्जन से अधिक एफआईआर से पता चला है कि वे समान आरोपों पर दर्ज की गई हैं.
16 जनवरी को इनायत नगर थाने में सपा के जिला महासचिव बख्तियार के खिलाफ इदरीस नाम के शख्स के साथ गाली-गलौज, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी. अपनी शिकायत में कथित तौर पर भाजपा से जुड़े इदरीस ने कहा है कि उसका अपने पड़ोसी बख्तियार के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा था और अक्सर ज़बानी झगड़े होते थे.
इदरीस ने कहा कि 15 जनवरी की सुबह लगभग 7 बजे वह शौच करने जा रहा था, तभी उसकी मुलाकात बख्तियार से हुई, जिसने कथित तौर पर उसे गाली देना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने उससे पूछा कि वह मुझे गाली क्यों दे रहा है, तो उसने कहा, तुम नेता बनने की कोशिश कर रहे हो, तुम लोगों को मेरे खिलाफ भड़काते हो. तुम्हें मुझसे कोई नहीं बचा पाएगा. मेरे संपर्क बहुत दूर तक हैं.’
इदरीस ने आरोप लगाया कि बख्तियार ने एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर उन्हें लात, थप्पड़ और मुक्के मारे और जान से मारने की धमकी दी.
बख्तियार पर जानबूझकर चोट पहुंचाने, गैर इरादतन हत्या का प्रयास करने, शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने और मारने या गंभीर चोट पहुंचाने की आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज किया गया था. ये अपराध भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 115 (2), 110, 352 और 351 (3) के अंतर्गत आते हैं.
इससे पहले 9 जनवरी को इनायत नगर थाने में सपा सदस्य पुरषोत्तम दास पटवा और उनके बेटों विकास पटवा, विशाल पटवा और अमित पटवा के खिलाफ किसी ज़मीन का अवैध और जबरन कब्जा करने के आरोप में एक एफआईआर दर्ज की गई थी. उन पर शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने, मारने या गंभीर चोट पहुंचाने की आपराधिक धमकी देने और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
उनके खिलाफ शिकायत ग्राम प्रधान अनिल सिंह ने दर्ज कराई थी, जिन्होंने उन पर ‘भू-माफिया’ होने और ग्राम सभा के विकास के लिए सरकारी योजनाओं को जमीन पर लागू करने के उनके प्रयासों में बाधा डालने का आरोप लगाया था.
9 जनवरी को ही इनायत नगर थाने में सपा के राम बहादुर यादव के खिलाफ इसी तरह के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी.
इसी दौरान 11 जनवरी को खजुरी मिर्ज़ापुर के ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि रईस के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. रईस पर गैर इरादतन हत्या का प्रयास करने और आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज किया गया है, जिसमें मारने या गंभीर चोट पहुंचाने की आपराधिक धमकी देना शामिल है.
11 जनवरी को ही इनायत नगर थाने में सपा से जुड़े ग्राम प्रधान लालू और एक अन्य व्यक्ति राजेश कुमार के खिलाफ राम सिंह नामक एक व्यक्ति के घर में घुसकर उसकी पिटाई करने के आरोप में एक और एफआईआर दर्ज की गई थी. लालू और राजेश कुमार पर राम सिंह को जान से मारने की धमकी देने का भी आरोप था.
इसके बाद 15 जनवरी को एक दलित व्यक्ति द्वारा नरेंद्र भादा गांव के ग्राम प्रधान और सपा सदस्य कांशीराम पर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाने के बाद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी. यह मामला कुमारगंज थाने में दर्ज कराया गया था.
16 जनवरी को राम लहू यादव और राकेश कुमार के खिलाफ ‘पुरानी दुश्मनी’ को लेकर रोहित कुमार नामक व्यक्ति पर लाठी, ईंट, लात और घूंसों से हमला करने के आरोप में खंडासा थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई थी. आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या का प्रयास करने और कुमार को जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया है.
सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद के भाई अमित प्रसाद ने कहा कि उनके सहयोगियों के बीच डर पैदा करने के लिए ये एफआईआर दर्ज की गई हैं. लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे सपा के कार्यकर्ताओं पर असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने जोड़ा, ‘यह हमारा मनोबल तोड़ने के लिए है. लेकिन ऐसा नहीं है कि हमारे पास केवल मुट्ठी भर कार्यकर्ता हैं.’
इसके बाद 17 जनवरी को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में चुनाव आयोग से मिल्कीपुर में ‘भाजपा सरकार द्वारा पक्षपाती अधिकारियों की नियुक्ति’ का संज्ञान लेने और अपनी कड़ी निगरानी में चुनाव कराने का आग्रह किया था.
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