नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी की एक स्थानीय अदालत ने बीते सोमवार (20 जनवरी) को देश के नामी चित्रकार और पद्म पुरस्कार से सम्मानित मक़बूल फ़िदा हुसैन की कथित आपत्तिजनक कृतियों को शहर की एक आर्ट गैलरी से ज़ब्त करने का आदेश दिया है.
खबरों के अनुसार, ये पेंटिंग हिंदू देवी-देवताओं की हैं और दिल्ली आर्ट गैलरी में लगी थीं. इनमें हिंदू भगवान हनुमान और गणेश चित्रित हैं.
बताया गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट की एक वकील अमिता सचदेवा की शिकायत पर पटियाला हाउस कोर्ट ने यह निर्देश दिया है. अमिता का कहना था कि ये कृतियां ‘आपत्तिजनक’ हैं और उन्हें गैलरी से हटाया जाना चाहिए.
शिकायतकर्ता ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि उन्होंने 4 दिसंबर, 2024 को 22ए, विंडसर प्लेस, कनॉट प्लेस स्थित दिल्ली आर्ट गैलरी में प्रदर्शित ‘आपत्तिजनक’ पेंटिंग की तस्वीरें क्लिक की थीं और 9 दिसंबर को संसद मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.
अब पटियाला हाउस कोर्ट के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) साहिल मोंगा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि उल्लिखित तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर आवेदन को अनुमति दी जाती है. और ‘जांच अधिकारी (आईओ) को उक्त पेंटिंग को जब्त करने और 22.01.2025 को एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है.’
अमिता ने अपनी पोस्ट में यह भी कहा था कि जब 10 दिसंबर, 2024 को वे आईओ के साथ दिल्ली आर्ट गैलरी गई थीं तब पेंटिंग्स को हटा दिया गया और झूठा दावा किया गया कि उन्हें कभी प्रदर्शित नहीं किया गया था. उनका कहना है कि दिल्ली पुलिस ने अभी तक हिंदू देवताओं की नग्न पेंटिंग प्रदर्शित करने के लिए दिल्ली आर्ट गैलरी और उसके निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की है.
अमिता ने एक्स पर लिखी पोस्ट में जोड़ा, ‘यह स्पष्ट नहीं है कि पुलिस ने 4 से 10 दिसंबर तक की सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखी है या नहीं, जैसा कि मेरे आवेदन में अनुरोध किया गया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि पेंटिंग्स किसने और क्यों हटाईं.’
उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) अधिनियम की धारा 175 (3), 223 और 94 के तहत एक अर्जी दी, जिसमें उक्त मामले पर एफआईआर दर्ज करने और 4 से 10 दिसंबर 2024 की अवधि की दिल्ली आर्ट गैलरी के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने की मांग की गई.
जनवरी महीने में मामले की कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत में बताया कि जांच अधिकारी ने पहले ही दिल्ली आर्ट गैलरी के सीसीटीवी फुटेज और नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर जब्त कर लिए हैं.
इस पर न्यायाधीश ने अपने आदेश में आगे कहा, ‘एटीआर में आगे कहा गया है कि दिल्ली आर्ट गैलरी द्वारा पेंटिंग्स की एक सूची दी गई थी, जिसमें विचाराधीन पेंटिंग का जिक्र क्रमांक 6 और 10 पर किया गया है. जांच रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि प्रदर्शनी एक निजी स्थान पर आयोजित की गई थी और उक्त पेंटिंग केवल लेखकों/कलाकारों के मूल काम को प्रदर्शित करने के लिए थीं.’
इस बीच दिल्ली आर्ट गैलरी ने मंगलवार को एक बयान जारी किया है. इसमें कहा गया है कि हाल ही में एक प्रदर्शनी में एमएफ हुसैन की कुछ चुनिंदा कृतियों को लेकर जांच लंबित होने के कारण वे स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं. उन्होंने जोड़ा कि वे अभी तक किसी भी अदालती कार्यवाही में पक्ष के बतौर शामिल नहीं हैं और घटनाक्रम को समझने का प्रयास कर रहे हैं. जैसे ही कोई अपडेट मिलेगी, उसे साझा किया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि हुसैन की कृतियों को लेकर विवाद नया नहीं है. उनके जीवित रहते हुए भी एक वर्ग द्वारा उनकी पेंटिंग्स को आपत्तिजनक बताते हुए विरोध किया जाता रहा था. इसका ही नतीजा था कि अपने अंतिम समय में हुसैन भारत छोड़ने को मजबूर हुए और दोहा व लंदन में समय गुजारा. 95 साल की आयु में हिंदुस्तान के इस नामी कलाकार का निधन 9 जून 2011 को लंदन में हुआ.
विडंबना ही है कि देश में चित्रकारों/कलाकारों का अपराधीकरण भी नया नहीं है. बीते साल भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जब बॉम्बे हाईकोर्ट को कस्टम विभाग के अधिकारियों को को प्रसिद्ध कलाकारों- एफएन सूजा और अकबर पदमसी की जब्त की गई सात कलाकृतियों को वापस देने का आदेश देना पड़ा था. कस्टम अधिकारियों ने इन कृतियों को ‘अश्लील सामग्री’ मानकर जब्त किया था.
साल 2022 में कस्टम विभाग ने मुंबई के एक कारोबारी द्वारा स्कॉटलैंड से नीलामी में खरीदी गई पेंटिंग्स को अश्लीलता का हवाला देते हुए सात पेंटिंग्स जब्त की थीं. इसमें चार कामुक (erotic) चित्रों का एक फोलियो भी शामिल था, जिसमें सूजा की ‘लवर्स’ पेंटिंग भी थी, जिसे ‘अश्लील’ कहा गया था. तीन अन्य कलाकृतियां, जिन्हें इसी कारण से रोका गया, उनमें ‘न्यूड’ शीर्षक वाली एक चित्रकारी और अकबर पदमसी की दो तस्वीरें थी.
अदालत ने कस्टम अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि हर नग्न (न्यूड) पेंटिंग या यौन संभोग की मुद्राओं को दर्शाने वाली कलाकृति को अश्लील नहीं कहा जा सकता.