नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का अनुषंगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद (विहिप) दिल्ली में बड़े पैमाने पर हथियार बांट रहा है. द वायर हिंदी ने इस विषय पर दो ख़बरें प्रकाशित की हैं. पहली ख़बर दिल्ली के युवाओं को त्रिशूल वितरण और दूसरी महिलाओं को कटार वितरण पर केंद्रित थी.
महिलाओं के बीच कटार बांटने का काम विहिप अपने महिला संगठन ‘मातृशक्ति–दुर्गावाहिनी’ के झंडे तले कर रहा है.
कौन हैं वे स्त्रियां जो दुर्गावाहिनी के कार्यक्रम में कटार लेने पहुंच रही हैं?
12 जनवरी, सुबह 11 बजे
संसद भवन से महज़ पांच किलोमीटर की दूरी पर नई दिल्ली के पहाड़गंज स्थित नूतन मराठी पब्लिक स्कूल के मैदान में शस्त्र दीक्षा समारोह के लिए दुर्गावाहिनी का मंच सज चुका है. कुछ लड़कियां मैदान में बिछी दरियों पर बैठी हुई हैं.
गणवेश (सफेद सलवार–सूट और भगवा दुपट्टा) पहने लड़कियां दिल्ली के अलग–अलग कोने से आ रही लड़कियों को बैठा रही है. साड़ी के पल्लू पर सफेद क्रॉस रिबन लगाए शादीशुदा महिलाएं मातृशक्ति की हैं, जो व्यवस्था देख रही हैं.
आरएसएस के कार्यक्रमों में अक्सर सुनाई देने वाला एक गाना बड़े–बड़े स्पीकर्स पर बज रहा है:
‘हो जाओ तैयार साथियों, हो जाओ तैयार
बंसी फेंको और उठा लो हाथों में तलवार
हाथों में तैयार साथियों, हो जाओ तैयार’
बीच-बीच में मंच संचालिका नारे लगवा रही थीं- ‘नारी तू नारायणी, जय-जय दुर्गावाहिनी’ ‘हम भारत की नारी हैं, फूल नहीं चिंगारी हैं’
कार्यक्रम की अध्यक्षता ललिता निझावन कर रही थीं, वह निझावन ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ की निदेशक होने के साथ–साथ विहिप की ट्रस्टी भी हैं और साल 2016 में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा सम्मानित की जा चुकी हैं.
ललिता निझावन अपने भाषण में ‘लव जिहाद’ के ‘खतरे’ से आगाह करती हैं. उन्होंने एक किस्सा सुनाया कि किसी पंडित की तीन नाबालिग लड़कियों को एक दूसरे समुदाय के लड़कों ने जाल में फंसाया लिया था, जिन्हें बहुत मुश्किल से उन्होंने बचाया. जिन लड़कों ने लड़कियों को फंसाया था, उसमें से एक बाद में आतंकवादी निकला और एनकाउंटर में मारा गया.
इस कहानी की सच्चाई का पता नहीं. लेकिन निझावन ने दावा किया कि उनके पास ऐसे बहुत उदाहरण हैं, इसलिए लड़कियों को ‘उनके चंगुल’ में फंसने से बचना है. लव जिहाद के आलोक में ही वह शस्त्र दीक्षा की ज़रूरत पर भी ज़ोर देती हैं.
ऐसे भाषणों के बाद साध्वी रेणुका (ऋचा) ने लड़कियों को शस्त्र की दीक्षा दिलाई.
लड़कियों ने हाथ में कटार लेकर शपथ ली. इसके बाद सभी लड़कियों को कटार बांटी गई. ध्यान रहे तब तक दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी थी. कार्यक्रम स्थल के बाहर पुलिस भी मौजूद थी.
दुर्गावाहिनी में 15 से 35 वर्ष की लड़कियां ही शामिल हो सकती हैं, लेकिन कई ऐसी लड़कियां कटार लिए दिखीं, जो पंद्रह वर्ष से कम की थीं.
कौन हैं हथियार लेने वाली लड़कियां?
संगीता दिल्ली के आरके पुरम की निवासी हैं. इग्नू से स्नातक कर रही हैं. उन्होंने बताया कि वह बचपन से दुर्गावाहिनी के कार्यक्रमों में आ रही है. उनका परिवार लंबे समय से आरएसएस से जुड़ा है. हथियार लेने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘शस्त्र दीक्षा के माध्यम से हमें तैयार किया जा रहा है ताकि भविष्य में कुछ भी हो तो हम इससे निकल सकें.’
रीमा गृहिणी हैं. दिल्ली के महिपालपुर में रहती हैं. इग्नू से राजनीति शास्त्र में स्नातक किया है. चार साल पहले उन्हें उनकी कॉलेज की एक पुरानी दोस्त ने दुर्गावाहिनी से जोड़ा. तब से वह लगातार सक्रिय हैं.
‘प्रशिक्षण में जाने से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है, जैसे योगा, ध्यान लगाना और शस्त्र चलाना. अब जिंदगी में एक अनुशासन आ गया है. अब मैं दूसरी महिलाओं को भी इससे जोड़ती हूं. मेरी बेटी बड़ी होगी तो उसे भी जोड़ूंगी. बेटा पहले ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ चुका है.’ रीमा कहती हैं.
कनिका दिल्ली के मोतीनगर की रहने वाली हैं. स्नातक की पढ़ाई के बाद से सामाजिक कार्यों में लगी हैं. दुर्गावाहिनी से जुड़े को दस–बाहर वर्ष हो चुके हैं. कनिका के पिता विहिप से जुड़े हैं.
ज्योति दिल्ली के क़रोल बाग की रहने वाली हैं. एलएलबी की पढ़ाई की है और वर्तमान में रोहिणी कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं. इनके परिवार का संबंध संघ या विहिप से नहीं है. वे लगभग दस वर्ष पहले दुर्गावाहिनी से जुड़ी हैं.
भगवती दिल्ली के आरके पुरम की रहने वाली हैं. वह एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं और क़रीब पंद्रह साल से दुर्गावाहिनी से जुड़ी हैं.
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