मथुरा: सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक के फ़ैसले को बरक़रार रखा

शीर्ष अदालत ने पिछले साल जनवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई थी जिसमें उसने मथुरा की शाही ईदगाह परिसर में अदालत की निगरानी में सर्वे की अनुमति देते हुए निगरानी के लिए अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति जताई थी. कोर्ट ने अब भी इसे बरक़रार रखा है.

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद. (फोटो: तारुषी असवानी)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (22 जनवरी) को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक जारी रखा है जिसमें मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी. 

शाही ईदगाह मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के ठीक निकट स्थित है, और हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है.

द हिंदू के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह अप्रैल के पहले सप्ताह में शुरू होने वाले मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ ‘शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई टाल देंगे. 

सीजेआई ने कहा कि तीन मुद्दे अब शीर्ष अदालत के पास लंबित हैं, ‘एक है इंट्रा-कोर्ट अपील का मुद्दा (हिंदू पक्ष द्वारा दायर मुकदमों के एकीकरण के खिलाफ), दूसरा है उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के विशेष प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका.’ 

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमे हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अंदर अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी.

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर के भीतर ऐसे तथ्य हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था.

हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया था कि कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और निकटवर्ती मस्जिद के विवाद से संबंधित हिंदू पक्षों द्वारा दायर मुकदमे उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 का उल्लंघन करते हैं और इसलिए सुनवाई योग्य नहीं हैं.

ज्ञात हो कि 1991 का उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम देश की आजादी के दिन मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल के मूल रूप को बदलने पर रोक लगाता है, केवल राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को इसके दायरे से बाहर रखा गया था. 

मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को स्थानांतरित करने के लिए सिविल जज सीनियर डिवीजन (तृतीय) की अदालत में एक मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि इसका निर्माण श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की 13.37 एकड़ भूमि के एक हिस्से पर किया गया था.

हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि इस मामले में भी वैसी ही सुनवाई की जाए जैसी बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद में हुई थी. 

अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि सर्वेक्षण के दौरान संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुचना चाहिए. अदालत ने यह भी संकेत दिया था कि अधिवक्ताओं के तीन सदस्यीय आयोग द्वारा सर्वेक्षण की निगरानी की जा सकती है. 

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, और बुधवार (22 जनवरी) की सुनवाई के दौरान उस रोक को बरक़रार रखा.