बोस की बेटी की सरकार से उनके अवशेष लाने की अपील- ‘नेताजी को और निर्वासित न रखें, घर लौटने दें’

सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस फ़ाफ ने केंद्र सरकार से बोस के अवशेष भारत लाने का अनुरोध करते हुए कहा कि जापानी सरकार और रेंकोजी मंदिर उन्हें वापस करने के इच्छुक हैं.. बावजूद इसके भारतीय सरकारों ने उन्हें लेने के लिए संकोच दिखाया या इनकार कर दिया.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस (फोटो: विकिपीडिया/पब्लिक डोमेन)

नई दिल्ली: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस फ़ाफ ने केंद्र सरकार से अपने पिता के अवशेषों को जापान की राजधानी  टोक्यो से वापस लाने की अपील की है. सुभाष चंद्र बोस के अवशेषों को दशकों से टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में रखा हुआ है. उनकी बेटी ने मांग बोस की 128वीं जयंती की पूर्व संध्या पर की है. उनकी जयंती को 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है.

रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रेस बयान में फ़ाफ ने कहा कि कई भारतीय अभी भी बोस को एक राष्ट्रीय नायक मानते हैं और देश की आजादी के लिए उनके बलिदान को याद करते हैं. उन्होंने बताया कि जापानी सरकार और रेंकोजी मंदिर के पुजारी बोस के अवशेष को वापस करने के इच्छुक हैं.. बावजूद इसके, भारतीय सरकारों ने उन्हें लेने के लिए कदम उठाने में संकोच किया है या इनकार कर दिया है.

फ़ाफ़ ने लिखा, ‘बहुत से भारतीय अभी भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद करते हैं और उनका सम्मान करते हैं. औपनिवेशिक शासन के दौरान उत्पीड़न से बचने और विदेशों में जाकर संघर्ष जारी रखने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों को अपना देश छोड़कर भागना पड़ा था. उनमें से कई कभी अपनी मातृभूमि पर वापिस नहीं लौट पाए. और उनके अवशेष विदेशी भूमि में रह गए. नेताजी के अवशेषों को भी जापान के टोक्यो में रेंकोजी मंदिर में एक ‘अस्थायी’ घर दिया गया था. 

उन्होंने आगे कहा, ‘दशकों तक अधिकांश भारतीय सरकारें उनके अवशेष का भारत में स्वागत करने से झिझकती रहीं, या इनकार करती रहीं. रेंकोजी मंदिर के पुजारी और जापानी सरकार उनके अवशेषों को उनकी मातृभूमि में वापस भेजने के लिए तैयार और उत्सुक थे.

फ़ाफ के अनुसार, यह झिझक शायद इस उम्मीद के कारण थी कि बोस की मौत 1945 में नहीं हुई थी. हालांकि, उनकी मृत्यु से संबंधित 11 जांच रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों के जारी होने के साथ अब यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जा चुका है कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइवान के ताइपेई में एक हवाई जहाज दुर्घटना में हुई थी. 

‘नेताजी को अब और निर्वासित न रखें! उन्हें घर लौटने की अनुमति दें. कई हमवतन आज भी उन्हें याद करते हैं, उनका सम्मान करते हैं और उनसे प्यार करते हैं,’ बोस की बेटी ने लिखा. 

बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में साल 2021 में केंद्र सरकार द्वारा घोषित किया गया था. यह बोस के साहस, नेतृत्व और भारत की स्वतंत्रता के प्रति उनके समर्पण के लिए एक श्रद्धांजलि के तौर पर है. इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम और बोस के जीवन और विरासत को श्रद्धांजलि देना शामिल है.