नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने आईफोन की प्रमुख निर्माता कंपनी फॉक्सकॉन पर काम को लेकर विवाहित महिलाओं से चल रहे भेदभाव मामले की कड़ी आलोचना की है. साथ ही, जांच में विफल रहने पर श्रम अधिकारियों को फटकार लगाई और मामलों की नए सिरे से संपूर्ण जांच चार सप्ताह के भीतर करने का निर्देश दिया है.
द हिंदू के मुताबिक, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बीते साल 2024 जून में केंद्र और तमिलनाडु राज्य विभाग के अधिकारियों को फॉक्सकॉन की भर्ती प्रथाओं की जांच करने का आदेश दिया था, जब अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स की पड़ताल में पाया गया था कि कंपनी ने अपने तमिलनाडु प्लांट में आईफोन असेंबली के काम में विवाहित महिलाओं को नौकरी नहीं दी जा रही.
हालांकि, उच्च उत्पादन अवधि में प्रतिबंधों में ढील देकर इन्हीं विवाहित महिलाओं से असेंबली का काम कराया गया.
मालूम हो कि फॉक्सकॉन इंडिया ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी फॉक्सकॉन की भारतीय सहायक कंपनी है. यह दुनिया की बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में से एक है. फॉक्सकॉन इंडिया अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ ही आईफोन/एप्पल उत्पादों के लिए प्रमुख आपूर्तिकर्ता है.
फॉक्सकॉन के भारत में कई कारखाने हैं, जिनमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक में स्थित प्रमुख हैं. इन कारखानों में लाखों लोग काम करते हैं, जो भारत में रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं. फॉक्सकॉन भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक प्रमुख समर्थक रहा है.
श्रम अधिकारियों ने बीते साल जुलाई में फॉक्सकॉन संयंत्र का दौरा किया था और रोजगार प्रथाओं के बारे में अधिकारियों से पूछताछ की थी, लेकिन अपने निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया था.
समाचार एजेंसी द्वारा सूचना के अधिकार कानूनों के तहत रिकॉर्ड मांगे जाने के बाद रॉयटर्स ने इस महीने जांच से संबंधित एनएचआरसी की फाइलों की समीक्षा की, जिसके विवरण के बारे में पहले नहीं बताया गया था.
सरकारी अधिकारियों से असंतुष्ट आयोग
एनएचआरसी की एक बिना तारीख वाली स्टेटस रिपोर्ट से पता चलता है कि तमिलनाडु के श्रम अधिकारियों ने 5 जुलाई को आयोग को बताया कि फॉक्सकॉन संयंत्र में काम करने वाली 33,360 महिलाओं में से 6.7% विवाहित थीं, हालांकि यह नहीं बताया गया था कि वे असेंबली लाइन पर थीं या नहीं.
उन्होंने कहा कि कारखाने में कार्यरत महिलाएं छह जिलों से आती हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कंपनी ने बड़ी संख्या में महिला कर्मचारियों को बिना किसी भेदभाव के काम पर रखा है.
दस्तावेज़ के अनुसार, जांचकर्ताओं ने आयोग को बताया कि उन्होंने कारखाने में 21 विवाहित महिलाओं से बातचीत की थी, जिन्होंने बताया कि उनके साथ वेतन और पदोन्नति पर कोई भेदभाव नहीं हुआ.
इसके जवाब में एनएचआरसी ने नवंबर में श्रम अधिकारियों से कहा कि इस जांच से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने फॉक्सकॉन के नियुक्ति दस्तावेजों की जांच नहीं की है, न ही भर्ती में विवाहित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के मुख्य मुद्दे पर ध्यान दिया है. मामले के विवरण के अनुसार अधिकारियों ने वर्तमान कर्मचारियों की गवाही पर भरोसा किया और अपनी रिपोर्ट नियमित/आकस्मिक तरीके से दर्ज की.
एनएचआरसी का कहना था, ‘वर्तमान में निश्चित संख्या में महिला कर्मचारियों की मौजूदगी इस सवाल का जवाब नहीं देती है कि क्या कंपनी ने वास्तव में भर्ती के समय विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव किया था. इस संबंध में चुप्पी है.’
इसमें आगे कहा गया, ‘आयोग को यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि संबंधित अधिकारी मूल मुद्दे को पहचानने और समझने में विफल रहे हैं.’
एनएचआरसी के मूल्यांकन के बारे में टिप्पणी के लिए न तो राज्य और न ही केंद्रीय श्रम विभागों ने रॉयटर्स के अनुरोधों का जवाब दिया. इससे पहले जून 2024 में जांच की मांग करते हुए सरकार ने कहा था कि समान पारिश्रमिक अधिनियम में कहा गया है कि पुरुषों और महिलाओं की भर्ती में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए.
एप्पल और फॉक्सकॉन ने भी रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया. दोनों कंपनियों ने पहले कहा था कि फॉक्सकॉन भारत में विवाहित महिलाओं को काम पर रखती है.
मालूम हो कि एनएचआरसी एक वैधानिक निकाय है जिसके पास सिविल कोर्ट के समान शक्तियां हैं. यह मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच कर सकता है, अधिकारियों को बुला सकता है और मुआवजे के भुगतान सहित उपचारात्मक कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है.
पिछले साल एनएचआरसी ने केंद्रीय श्रम विभाग से नई दिल्ली के पास अमेज़ॅन गोदाम में कठोर कामकाजी परिस्थितियों की रिपोर्ट पर गौर करने को कहा था. अमेज़ॅन ने बाद में कहा कि उसने जांच की और निवारक कार्रवाई की.
फॉक्सकॉन मामले में एनएचआरसी की फाइलें दिखाती हैं कि एजेंसी ने 19 नवंबर, 2024 को सरकारी अधिकारियों को अपना असंतोष व्यक्त किया और उन्हें चार सप्ताह के भीतर इस मामले में दोबारा ‘गहन जांच’ करने का आदेश दिया.
एनएचआरसी ने 10 जनवरी, 2025 को रॉयटर्स को दिए जवाब में कहा कि वह आगे की जानकारी नहीं दे सकता क्योंकि मामला अभी लंबित है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट में क्या था
फॉक्सकॉन की भर्ती प्रथाओं को लेकर रॉयटर्स की पड़ताल वर्तमान और पूर्व अधिकारियों, भर्ती एजेंटों और नौकरी के उम्मीदवारों के साक्षात्कार और भारत में स्मार्टफोन असेंबली श्रमिकों की भर्ती में मदद करने वाले भर्ती विक्रेताओं द्वारा प्रसारित नौकरी विज्ञापनों की समीक्षा पर आधारित थी.
गौरतलब है कि जनवरी 2023 और मई 2024 के बीच पोस्ट किए गए कई विज्ञापनों में कहा गया था कि केवल विशिष्ट आयु की अविवाहित महिलाएं ही स्मार्टफोन असेंबली भूमिकाओं के लिए पात्र थीं, जो एप्पल और फॉक्सकॉन की भेदभाव-विरोधी नीतियों का उल्लंघन है. रॉयटर्स ने नवंबर 2024 में बताया था कि फॉक्सकॉन ने भर्तीकर्ताओं को नौकरी के विज्ञापनों में उम्र, लिंग और वैवाहिक मानदंड हटाने का आदेश दिया था.
इसी फॉक्सकॉन कंपनी को लेकर 25 जून 2024 को अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया था कि तमिलनाडु स्थित फॉक्सकॉन के आईफोन असेंबली प्लांट में विवाहित महिलाओं को नौकरी नहीं देने का फैसला किया है. ये कंपनी आईफोन एप्पल की सबसे बड़ी सप्लायर में से एक है.
रॉयटर्स के अनुसार, फॉक्सकॉन ने दो महिलाओं पार्वती और जानकी को इसलिए नौकरी नहीं दी गई क्योंकि वे विवाहित हैं. उनसे कंपनी के गेट पर ही गार्ड ने पूछा कि क्या वे विवाहित हैं और फिर उन्हें वापस जाने के लिए कह दिया गया. यह घटना मार्च 2023 की बताई जा रही है.
तब पार्वती ने बताया था, ‘हमें नौकरी इसलिए नहीं मिली क्योंकि हम शादीशुदा हैं. हमें जो ऑटो-रिक्शा ड्राइवर कंपनी तक लेकर गया उसने भी रास्ते में हम से यही कहा कि वे लोग शादीशुदा लोगों को नहीं रखते हैं… हमने सोचा कि हमें फिर भी एक बार ट्राई करना चाहिए.’
इस मसले पर तब फॉक्सकॉन के एक पूर्व एचआर एग्जीक्यूटिव एस. पॉल ने रॉयटर्स को बताया था कि फॉक्सकॉन आमतौर पर ‘सांस्कृतिक मुद्दों’ (Cultural Issues) और सामाजिक दबावों (Societal Pressures) के चलते शादीशुदा महिलाओं को काम पर नहीं रखता है. कंपनी ने सिस्टेमैटिक तरीके से शादीशुदा महिलाओं को अपने मुख्य प्लांट में नौकरी से बाहर कर दिया है.
एस. पॉल ने ये भी बताया था कि कंपनी का मानना है कि शादीशुदा महिलाओं के पास अविवाहित महिलाओं से अधिक घर की जिम्मेदारियां होती हैं इसलिए वह उन्हें नौकरी पर नहीं रखते. भर्ती के ये नियम उन एजेंसियों को भी बता दिए जाते हैं जो फॉक्सकॉन में काम करने के लिए उम्मीदवारों को खोजती और इंटरव्यू के लिए लाती हैं.
पॉल का ये भी कहना था कि कंपनी शादी के बाद होने वाली कई परिस्थितियों के कारण महिलाओं को नौकरी पर नहीं रखती. इनमें से एक स्थिति गर्भावस्था और बच्चे को जन्म देने की भी है.
पॉल की इस बात की पुष्टि भारत में इस कंपनी के लिए कर्मचारी रखने वाली एक दर्जन से अधिक एजेंसियों के 17 कर्मचारियों और चार वर्तमान और पूर्व फॉक्सकॉन मानव-संसाधन (एचआर) अधिकारियों ने की थी. इनमें से बारह स्रोतों ने नाम न छापने की शर्त पर यह बात रॉयटर्स को बताई थी.