नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्लूएफआई) का कार्यालय फिर से अपने पुराने पते- यौन उत्पीड़न के आरोपी कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और पांच बार के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह के घर पर पहुंच गया है. नई दिल्ली के 21, अशोक रोड का आवास बृजभूषण सिंह को सांसद रहते हुए मिला था, हालांकि वो आज भी उनके सांसद न होने के बावजूद यहीं रहते हैं.
मालूम हो कि बृजभूषण सिंह पर देश की कुछ शीर्ष महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इसे लेकर पहलवानों का कई महीनों तक जंतर-मंतर और राजधानी दिल्ली की सड़कों पर संघर्ष भी देखने को मिला था. पिछले साल 2024 के लोकसभा चुनाव में चौतरफा दबाव के चलते भाजपा ने बृजभूषण सिंह का टिकट काटकर, उनके बेटे करण भूषण सिंह को उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से उनकी पारिवारिक सीट से मैदान में उतारा था, जिसमें उन्हें जीत मिली थी.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, बृजभूषण सिंह के जिस घर में कुश्ती महासंघ का कार्यालय फिर से खोला गया है, वहां बृजभूषण सिंह जब भी दिल्ली में होते, वही उनका ठिकाना होता है. इस बार भी जब अखबार की टीम 21, अशोका रोड पहुंचीं, तो वह वहां मौजूद थे और लोगों से मिल रहे थे.
हालांकि, उन्होंने डब्लूएफआई के कामकाज और कार्यालय को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन वह राजनीति, आगामी दिल्ली चुनाव और उत्तर प्रदेश की स्थिति के बारे में बात करने को तैयार थे.
मालूम हो कि दिल्ली की एक अदालत में सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मुकदमा चल रहा है और उनके खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद डब्ल्यूएफआई ने राजनेता से खेल प्रशासक बने बृजभूषण सिंह के साथ अपने संबंध नहीं तोड़े हैं.
इससे पहले खेल मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में डब्ल्यूएफआई को निलंबित करते हुए बताया था कि कुश्ती महासंघ को यहां से नियंत्रित किया जा रहा था जिसकी वजह से ऐसा फैसला किया गया.
इसके अलावा दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के अनुसार, दो पहलवानों ने आरोप लगाया था कि बृजभूषण सिंह के आधिकारिक सांसद आवास 21, अशोक रोड पर स्थित डब्ल्यूएफआई कार्यालय में उनके साथ छेड़छाड़ की घटना हुई थी. 2023 में मंत्रालय द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई के कुछ हफ्तों के भीतर ही डब्ल्यूएफआई का ऑफिस हरि नगर शिफ्ट कर दिया गया था. डब्ल्यूएफआई की आधिकारिक वेबसाइट इसका पता अभी भी 101, हरि नगर, आश्रम चौक, नई दिल्ली-110014 ही है.
जब इंडियन एक्सप्रेस ने पिछले साल जुलाई में इस पते का दौरा किया था, तो बिल्डिंग के प्रवेश द्वार पर लगी नेमप्लेट और छोटे कमरे के दरवाजे पर डब्लूएफआई लिखा हुआ था. हालांकि, दरवाजा बंद था और ऑफिस की जगह के मालिक ने कहा कि डब्लूएफआई ने जगह खाली कर दी है.
नए घटनाक्रम के बाद बीते बुधवार (22 जनवरी) को इंडियन एक्सप्रेस ने पाया कि 101, हरि नगर में एक नया किरायेदार रह रहा है जिसने कहा कि डब्ल्यूएफआई ने कई महीने पहले इसे खाली कर दिया था.
डब्ल्यूएफआई के मौजूदा अध्यक्ष संजय सिंह ने कार्यालय शिफ्ट करने संबंधी सवालों के जवाब नहीं दिए. वहीं दूसरी तरफ डब्ल्यूएफआई के कोषाध्यक्ष एसपी देशवाल ने कहा कि कार्यालय अभी भी हरि नगर में है.
हालांकि, जब उन्हें बताया गया कि वहां एक नई फर्म आ गई है और डब्ल्यूएफआई का स्टाफ 21, अशोका रोड से काम कर रहा है, तो देशवाल ने कहा कि फेडरेशन का काम वहीं से हो सकता है, जहां उनके लोग रहते हैं और जहां से काम करना आसान हो. ‘ऑफिस का काम दो जगह से हो सकता है, लेकिन आधिकारिक पता हरि नगर है. कोषाध्यक्ष के तौर पर मैं सिर्फ एकाउंट बुक से ही जुड़ा हूं,’ उन्होंने जोड़ा.
‘नेताजी’ और उनके मेहमान
21, अशोका रोड के सामने वाले प्रवेश द्वार पर डब्ल्यूएफआई की नेमप्लेट नहीं है, लेकिन बुधवार (22 जनवरी) को जिस कमरे से फेडरेशन एक दशक से भी ज्यादा समय से काम कर रहा था (जब बृजभूषण सिंह अध्यक्ष थे) वहां डब्ल्यूएफआई के अनुभवी कर्मचारी काम कर रहे थे. वे फरवरी के पहले हफ्ते में होने वाले रैंकिंग सीरीज इवेंट जाग्रेब ओपन से जुड़े दस्तावेजों को स्कैन कर रहे थे, कंप्यूटर पर डेटा अपडेट कर रहे थे, सर्टिफिकेट चेक कर रहे थे, फाइलों में कुश्ती से जुड़े दस्तावेजों को छांट रहे थे और प्रिंटआउट दे रहे थे.
मेज पर रखे प्रिंटर पर एक उभरा हुआ भूरे रंग का बैग रखा हुआ था, जिस पर ओलंपिक रिंग और टीम इंडिया लिखा हुआ था.
डब्ल्यूएफआई कार्यालय के एक कर्मचारी ने इस कदम के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘हमने कुछ महीनों तक हरि नगर से काम किया लेकिन उसके बाद वापस यहां आ गए.’
इस कार्यालय का अंदर का दरवाज़ा ट्राफियों से भरे एक शोकेस वाले हॉल में खुलता है, जो एक कमरे की ओर जाता है, जहां बृजभूषण मेहमानों से मिलते हैं. वहीं, बृजभूषण सिंह एक बड़ी कुर्सी पर बैठे थे और ‘नेताजी’ से मिलने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ था, जिसमें स्थानीय भाजपा नेता, एक पूर्व मंत्री के पोते, गोंडा और बहराइच के जमीनी नेता और व्यवसायी शामिल थे. उनमें से अधिकांश ने सिंह के पैर छुए, सभी की एक ही मांग थी- नेताजी के साथ एक तस्वीर.
यह पूछे जाने पर कि डब्ल्यूएफआई उनके पते पर वापस क्यों चला गया, सिंह ने कहा कि वह ‘कुश्ती’ पर चर्चा नहीं करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि वह मौजूदा डब्ल्यूएफआई पदाधिकारियों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करते हैं.
अतीत में उन्होंने कहा था कि दिसंबर 2023 में विवादास्पद डब्ल्यूएफआई चुनावों के बाद तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक के बाद उन्होंने खेल और महासंघ से नाता तोड़ लिया था.
लेकिन उसी चुनाव से पता चला कि सिंह का नए पदाधिकारियों पर प्रभाव बना हुआ है. चुनाव जीतने के कुछ ही मिनटों के भीतर उनके एक समय के शिष्य रहे संजय सिंह अशोक रोड आए थे. उन्होंने सिंह को माला पहनाई और उन्होंने हाथ से विजयी होने का इशारा करते हुए तस्वीरें खिंचवाईं थीं. ‘दबदबा था, दबदबा रहेगा’ के नारे तब हवा में गूंज रहे थे, और वे अभी भी 21, अशोक रोड पर गूंजते हैं.
अब तक का घटनाक्रम
गौरतलब है कि बीते साल अगस्त के महीने में सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले में दर्ज एफआईआर और उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों को भी रद्द करने की मांग की थी. इसे जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि सिंह द्वारा दायर याचिका उनके खिलाफ मुकदमा शुरू होने के बाद पूरे मामले को खत्म करने के लिए एक परोक्ष तरीका प्रतीत होता है.
बता दें कि सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल होने के एक साल बाद जुलाई 2024 में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई है.
खबरों के अनुसार, मई में ट्रायल कोर्ट ने सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना) और पांच शिकायतकर्ताओं के संबंध में 354ए (यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप तय किए थे.
इसने यह भी कहा कि दो शिकायतकर्ताओं के आरोपों के संबंध में आपराधिक धमकी के आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप और राजधानी की सड़कों पर प्रमुख पहलवानों साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने जून 2023 में मामले में अपना आरोप पत्र दायर किया था. सिंह ने अपने खिलाफ़ आरोप लगने के बाद डब्ल्यूएफआई प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था. बृजभूषण के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह को 2023 के अंत में डब्ल्यूएफआई प्रमुख चुना गया था, लेकिन केंद्रीय खेल मंत्रालय ने इसके तुरंत बाद ही निकाय को निलंबित कर दिया.
ज्ञात हो कि सिंह के खिलाफ छह महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न, हमले और पीछा करने के लिए दायर 1,500 पृष्ठों के आरोपपत्र में चार राज्यों के कम से कम 22 गवाहों के बयानों का उल्लेख किया गया है, जिनमें पहलवान, एक रेफरी, एक कोच और एक फिजियोथेरेपिस्ट शामिल हैं, जिन्होंने आरोपों की पुष्टि की है.
गौरतलब है कि 21 अप्रैल 2023 को 7 महिला पहलवानों ने दिल्ली पुलिस में बृजभूषण के खिलाफ शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस द्वारा मामला दर्ज न किए जाने पर पहलवान जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए थे और अपनी एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
इसके बाद शीर्ष अदालत ने भी आरोपों को गंभीर मानते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. जिसके बाद पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थीं, जिनमें एक नाबालिग पहलवान की शिकायत पर पॉक्सो के तहत दर्ज किया गया मामला भी है.
हालांकि, नाबालिग और उसके पिता, जो शिकायतकर्ता थे, ने बाद में मजिस्ट्रेट के सामने एक बयान में सिंह के खिलाफ अपने आरोप वापस ले लिए थे. आरोप है कि ऐसा उन्होंने लगातार मिल रहीं धमकियों के चलते किया.