नई दिल्ली: प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता तरुण भारतीय का शनिवार (25 जनवरी) सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. तरुण की मौत से कला, साहित्य और सामाजिक क्षेत्र में एक शून्य पैदा हो गया है.
वेबसाइट मेघालय मॉनिटर ने उनके दोस्तों के हवाले से बताया है कि 55 वर्षीय तरुण को शिलांग के वुडलैंड अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. उनके परिवार में उनकी पत्नी एंजेला रांगड और उनके तीन बच्चे- एक बेटी और दो बेटे हैं.
तरुण बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उनकी रचनाओं में सामाजिक मुद्दों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता और सत्ता की नीतियों के खिलाफ विद्रोह साफ देखा जा सकता है. तरुण के पास जनता के सरोकार से जुड़ी एक अनोखी आवाज़ थी, जो उनके काम में गूंजती थी.
उन्होंने हिंदी में अपने विचारों को कविताओं के जरिए रखा, तो उनके वृत्तचित्रों ने पर्यावरण और मानवाधिकार के मुद्दों को उठाया. वह मूलतः बिहार के थे, लेकिन मेघालय जाकर बस गये थे. उनकी ब्लैक एंड वाइट फोटोग्राफी ने मेघालय की जटिल सामाजिक-सांस्कृतिक बुनावट को देश के कोने-कोने तक पहुंचा दिया.
उनके द्वारा ली गईं तस्वीरें देश भर की प्रदर्शनियों में प्रदर्शित की गईं. उन्होंने पूर्वोत्तर के परिदृश्य और लोगों की शक्तिशाली कहानियों को बखूबी बयान किया.
तरुण ने कई पुरस्कृत फिल्मों का संपादन भी किया था. उन्हें साल 2009 में रंजन पालित द्वारा निर्देशित ‘इन कैमरा, डायरीज़ ऑफ़ अ डॉक्यूमेंट्री कैमरामैन’ के संपादन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
हालांकि, 2015 में उन्होंने देश में बढ़ती हुई असहिष्णुता के विरोध में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अपना रजत कमल पुरस्कार लौटा दिया था. उस वक्त तरुण ने मुखर होकर अपनी रचनाओं के माध्यम से देश की सत्ता की खिलाफत की.
वे ऑल्ट-स्पेस के संस्थापक सदस्य थे. तरुण ने सांस्कृतिक और राजनीतिक चर्चाओं में शामिल होने के अलावा स्वतंत्र विचारों के मुक्त प्रवाह के लिए रास्ता बनाया. उनकी वेबसाइट raiot समाज, संस्कृति और परंपरा का दर्पण है.
तरुण Niam/Faith/Hynñiewtrep फोटोग्राफी प्रोजेक्ट पर पिछले तेरह वर्षों से काम कर रहे थे. ये खासी-जैंतिया समुदाय के लोगों के बीच आस्था और पहचान के साथ राष्ट्र-निर्माण के सवालों पर होने वाले विवादों को समझने की एक तरह से उनकी कोशिश थी.
हाल ही में तरुण ने शिलांग ह्यूमनिस्ट्स की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसका उद्देश्य आलोचनात्मक सोच और बौद्धिकता को बढ़ावा देना है. कई प्रमुख हस्तियों के साथ शुरू की गई इस पहल का मकसद समसामयिक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर सार्थक बातचीत के लिए एक मंच तैयार करना था. इस समूह की दूसरी बैठक 26 जनवरी को निर्धारित की गई थी.
तरुण भारतीय की मृत्यु पर देश भर में शोक संवेदनाएं व्यक्त हो रही हैं. लोग उन्हें शानदार फोटोग्राफर, बेहतरीन वृत्तचित्र संपादक, जनता की आवाज़, राजनीतिक कार्यकर्ता और तर्कशील इंसान के तौर पर याद कर रहे हैं.
पूर्वोत्तर के जीवन की सूक्ष्मताओं को प्रदर्शित करने की अपनी प्रतिबद्धता, कलाकार और राजनीतिक कार्यकर्ता के बीच की खाई को पाटने के उनके प्रयास स्थायी विरासत बन चुके हैं.
तरुण भारतीय का काम समाज को आकार देने और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने में कला की शक्ति की याद दिलाता रहेगा.