दिल्ली चुनाव से पहले बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम फिर पैरोल पर रिहा

5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक सप्ताह पहले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को रोहतक की सुनारिया जेल से 30 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया है. अक्टूबर 2020 से यह 16वीं बार है कि वह पैरोल या फरलो पर जेल से बाहर आए हैं.

गुरमीत राम रहीम. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक सप्ताह पहले मंगलवार सुबह डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को रोहतक की सुनारिया जेल से 30 दिन की पैरोल पर रिहा कर दिया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2017 में दो शिष्यों से बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद डेरा प्रमुख पहली बार अपने सिरसा डेरा मुख्यालय में रहेंगे. इससे पहले जब भी सिंह को पैरोल या फरलो पर रिहा किया गया था, उन्हें कभी भी अपने सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय में रहने या जाने की अनुमति नहीं दी गई थी. इसके बजाय डेरा सच्चा सौदा प्रमुख उत्तर प्रदेश में अपने डेरा के बागपत आश्रम में रहते थे.

एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि डेरा प्रमुख को डेरा मुख्यालय में रहने की अनुमति देने से पहले सिरसा जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई थी. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘जिला प्रशासन ने जब बताया कि उनकी तरफ से कोई आपत्ति नहीं है, तो उन्हें अनुमति दे दी गई.’

ज्ञात हो कि गुरमीत राम रहीम को अपने दो शिष्याओं से बलात्कार के लिए 20 साल की सजा सुनाई गई थी. वह 2017 से हरियाणा के रोहतक की सुनारिया जेल में बंद हैं.

डेरा प्रमुख और तीन अन्य को 16 साल से अधिक पहले एक पत्रकार की हत्या के लिए 2019 में भी दोषी ठहराया गया था. मई में उच्च न्यायालय ने सिंह और चार अन्य को 2002 में संप्रदाय के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में ‘दागी और संदिग्ध’ जांच का हवाला देते हुए बरी कर दिया था.

मालूम हो कि साल 2021 में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई जज डॉ. सुशील कुमार गर्ग की अदालत ने गुरमीत राम रहीम सिंह, कृष्ण लाल, जसबीर सिंह, इंदर सेन और सबदिल सिंह को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया था. इन सभी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी.

जनवरी 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. हालांकि, इसके बाद भी वो कई बार पैरोल पर बाहर आते रहे हैं, जिसे लेकर पत्रकार छत्रपति के बेटे नाराज़गी जाहिर करते रहे हैं.

चुनावों के दौरान पैरोल और फरलो मिलते रहे हैं

गुरमीत राम रहीम को ज्यादातर राज्य या अन्य चुनावों के दौरान पैरोल और फरलो मिलते आए हैं. पिछली बार भी हरियाणा विधानसभा चुनावों से ठीक पहले 21 दिनों की फरलो पर बाहर आए थे.

अक्टूबर 2020 से यह 16वीं बार है कि वह पैरोल या फरलो पर जेल से बाहर आए हैं. अक्टूबर 2020 में उन्हें गुप्त तरीके से पैरोल पर बाहर निकाला गया था.

मई 2021 में भी उन्हें अपनी बीमार मां से मिलने के लिए पैरोल पर बाहर लाया गया था.

साल 2022 में उन्हें तीन बार पैरोल दी गई. फरवरी में 21 दिन के लिए बाहर आए, उस समय पंजाब में विधानसभा चुनाव थे. जून में एक महीने के लिए बाहर आए, तब हरियाणा में निकाय चुनाव थे. अक्टूबर में 40 दिनों के लिए वह जेल से बाहर आए, तब हरियाणा में उपचुनाव थे.

जनवरी 2023 में उन्हें फिर 40 दिन की पैरोल मिली. इसके बाद जुलाई 2023 में 30 दिन के लिए वह जेल से बाहर आए. तब हरियाणा में पंचायत चुनाव थे.

नवंबर 2023 में भी तीन हफ्तों के लिए वह बाहर रहे. तब राजस्थान में विधानसभा चुनाव थे.

इसके बाद जनवरी 2024 में उन्हें 50 दिन की पैरोल मिली थी.