रोहतक की ‘बहादुर बहनों’ से छेड़छाड़ मामला: दो साल बाद तीनों आरोपी बरी

साल 2014 में हुई इस घटना में बस में सफर कर रहीं दोनों बहनों ने तीन लड़कों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था.

साल 2014 में हुई इस घटना में बस में सफर कर रहीं दोनों बहनों ने तीन लड़कों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था.

rohtak girls
बस में हुई मारपीट वाले वायरल वीडियो से निकाली गई तस्वीर.

28 नवंबर, 2014 में सोशल मीडिया पर चलती बस में दो बहनों द्वारा तीन लड़कों को पीटता हुआ वीडियो सामने आया था. दोनों बहनों का कहना था कि तीनों लड़के उनके साथ छेड़खानी कर रहे थे, जिसके बाद उन्होंने इन्हें पीटा.

लड़कों को गिरफ्तार किया गया था पर बाद में उन्हें ज़मानत मिल गई. फिर मामला अदालत पहुंचा और अब दो साल बाद रोहतक के एसीजेएम हरीश गोयल की अदालत ने तीनों आरोपियों दीपक, मोहित और कुलदीप को सुबूतों की कमी के चलते आरोपमुक्त कर दिया है.

सोनीपत की रहने वाली पूजा और आरती कुमार नाम की ये बहनें उस समय रोहतक के आईसी कॉलेज में पढ़ती थीं और कॉलेज से परीक्षा देकर घर लौटते समय हरियाणा रोडवेज की बस में यह घटना हुई थी.

दोनों बहनों ने युवकों पर आरोप लगाया कि तीनों ने उनसे छेड़छाड़ की जिसके बाद दोनों बहनों ने एक लड़के को बेल्ट से पीटा था. वहीं लड़कों ने इस बात से इनकार किया था. उन्होंने कहा कि विवाद सीट को लेकर हुआ था.

कुछ लोगों ने इस घटना का वीडियो बना लिया था जो कि सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. ये वीडियो सामने के आने के बाद आरती और पूजा कुमार ‘बहादुर बहन’ के नाम से मशहूर हो गई थीं. इसके बाद उन्हें कई संस्थाओं ने सम्मानित किया था. प्रदेश सरकार ने भी दोनों को पांच लाख रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की थी.

https://www.youtube.com/watch?v=vCWHiLsACRU

हालांकि इस घटना के बाद एक एनजीओ द्वारा एक दूसरा वीडियो भी सामने लाया गया था, जिसमें लड़कियों को ग़लत बताया गया था. कुछ और वीडियो भी सामने आए जिसमें इन दोनों बहनों पर मारपीट करने का आरोप लगाया गया था.

इसके बाद प्रदेश सरकार ने दोनों बहनों के लिए घोषित पुरस्कार की राशि रोक ली थी. पुलिस ने इसकी जांच के लिए एसआईटी गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट छह महीने के अंदर ही दे दी गई थी. इसमें बस में सवार सभी लोगों की गवाही ली गई.

बस में मौजूद 40 चश्मदीदों ने लड़कों का ही पक्ष लिया और कहा कि झगड़ा सीट को लेकर ही हुआ था. साथ ही आरोपियों का पॉलीग्राफिक टेस्ट भी किया गया था, जिसके नतीजे इन बहनों के दावों से उलट निकले थे.

अब ये लड़के और उनके परिजन अदालत के इस फैसले से खुश तो हैं पर उन्हें अफ़सोस है कि अब उनका सेना में जाने का सपना पूरा नहीं हो सकता. गौरतलब है कि दीपक और कुलदीप घटना के समय सेना में भर्ती का फिजिकल टेस्ट पास कर चुके थे, पर छेड़खानी के आरोप लगने के बाद सेना द्वारा उन्हें लिखित परीक्षा देने से रोक दिया गया था. सेना के इस इम्तेहान के लिए आयु-सीमा 23 साल है पर दीपक और कुलदीप इसे पार कर चुके हैं.

जहां एक तरफ ये तीनों लड़के अब राहत की सांस ले रहे हैं, वहीं पूजा-आरती और इनका परिवार ऊपरी अदालत में जाने की सोच रहे हैं. मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार इन बहनों के वकील अतर सिंह पवार फैसले की प्रति मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं, जिसके बाद वे इंसाफ़ के लिए हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे.

NEW DELHI, INDIA - DECEMBER 13: Rohtak Sisters, Aarti (R) and Pooja addressing a press conference on the controversy behind the videos showing thrashing their "molesters" on a moving bus and in a park is refusing to die down and now the entire episode has taken caste overtones with non-Jat groups asking the Haryana government to reinstate the bravery award announced for the girls, on December 13, 2014 in New Delhi, India. Both sisters had hit national headlines after a video showed them taking on three youth who they claimed had molested and assaulted them in a moving Haryana Roadways bus Nov 28, 2014. Also some passenger claimed that the youths had not indulged in harassment of the sisters and the fight was for the seat. (Photo by Mohd Zakir/Hindustan Times via Getty Images)
रोहतक सिस्टर्स के नाम से मशहूर आरती (दाएं) और पूजा कुमार. (फाइल फोटो साभार: हिन्दुस्तान टाइम्स)

एनडीटीवी से बात करते हुए पवार ने कहा, ‘दोनों लड़कियां अपने बयान पर टिकी हुई हैं, यहां तक कि कंडक्टर ने भी बयान दिया था कि लड़कों ने बदसलूकी की थी.’ वहीं आरती का कहना है, ‘अदालत के आदेश से हम हैरान और दुखी हैं लेकिन हमें तो शुरू से ही जांच से दिक्कत थी. पुलिस वाले हमसे पूछते थे कि हमारे कितने बॉयफ्रेंड हैं, हमारे चरित्र पर सवाल उठाते थे. इन सबका इस केस से क्या लेना-देना.’

आरती और पूजा अब गुरुग्राम की एक निजी कंपनी में नौकरी करती हैं. वो और उनके वकील इस बात को ज़ोर देकर कहते हैं कि अदालत में सुबूतों की कमी के चलते इन लड़कों को छोड़ा है न कि उन्हें बेक़सूर मानकर.