मध्य प्रदेश: चारे के लिए मिले 35 लाख, फिर भी सड़ा चारा खाने से 15 दिन में 300 गायों की मौत

देश के पहले गोअभयारण्य, जिसकी नींव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रखी थी, में सड़ा चारा खाने से हर रोज़ 10 से 20 गाय की मौत हो रही है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

देश के पहले गोअभयारण्य, जिसकी नींव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रखी थी, में सड़ा चारा खाने से हर रोज़ 10 से 20 गाय की मौत हो रही है.

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प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में आगार जिले के सालरिया गांव स्थित गोअभयारण्य में हर रोज 10 से 20 गाय की मौत हो रही है. 15 दिनों के भीतर 300 गाय की सड़ा चारा खाने से मौत हो गई. पत्रिका अख़बार की ख़बर के अनुसार यह देश का पहला गोअभयारण्य है, जिसकी नींव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 4 नवंबर, 2012 में रखी थी.

पत्रिका की टीम मौके पर पहुंच कर पाया की गोअभयारण्य केंद्र में कोई भी शासकीय कर्मचारी मौजूद नहीं था. सालरिया गांव के निवासी गाय की लाश को ट्रैक्टर में लाद रहे थे.

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स्थानीय मजदूरों ने बताया कि सड़ा चारा खाने के चलते रोजाना 10 से 20 गाय मर जाती हैं और 15 दिनों के भीतर 300 गाय सड़ा चारा खाने के चलते मर चुकी हैं. मरी हुई गायों को गोअभयारण्य के पीछे गड्ढे में दफनाया जा रहा है.

गाय को चारा खिलाने वाले मजदूरों ने बताया कि कुल 17 शेड हैं, जिनमें हर शेड में 200 से 300 गाय हैं. सब की देख-रेख करने के लिए महिला और पुरुष कर्मचारियों को रखा गया है. सरकारी कर्मचारी 12 बजे आते हैं और 2 बजे के आस-पास चले जाते हैं.

मजदूरों ने बताया कि वर्तमान में गाय को खिलाने के लिए बस सूखा सोयाबीन है, जो सड़ा हुआ है. इसे खाने से गायों की प्रतिदिन मौत हो रही हैं.

सुसनेर गोअभयारण्य के सहायक संचालक डॉ वीएस कोसरवाल ने बताया कि सड़ा हुआ चारा हटाने के लिए तत्काल प्रभाव से आदेश दे दिए गए हैं. ठेकेदार को कह दिया गया है कि सड़ा हुआ चारा हटा लिया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि अब सोयाबीन हटाकर गेहूं का चारा गायों को दिया जाएगा.

जिले के कलेक्टर अजय गुप्ता ने कहा कि उन्होंने मामले की जानकारी मिलते ही सभी सड़े सोयाबीन को हटाकर गेहूं का चारा उपलब्ध करवा दिया है. साथ ही वे मामले की जांच भी कर रहे हैं.

चारे के लिए गोअभयारण्य केंद्र को अभी तक 35 लाख रुपये मिल चुके हैं और 50 लाख रुपये की मांग सरकार के पास भेजी हुई है.

ज्ञात हो कि इस गोअभयारण्य में इसी साल के सितंबर महीने से गाय रखना शुरू किया गया है.